भेड़-बकरियों को पी.पी.आर. रोग से बचाने हेतु टीकाकरण करवाने का सही समय
डॉ योगेश आर्य, पशुचिकित्सा विशेषज्ञ, नीम का थाना
सीकर, पी.पी.आर. रोग को बकरी-प्लेग भी कहा जाता हैं। ये रोग भेड़-बकरियों में महामारी की तरह फैलता हैं। सर्दियों में इसकी ज्यादा संभावना होती हैं अतः अब इस रोग के कारक, लक्षण और बचाव के तौर-तरीकों पर विचार करना अतिआवश्यक हैं-
रोगकारक:- पी.पी.आर. रोग पैरामिक्सोविरिडी फेमिली के मोर्बिल्ली वंश के वायरस से होता हैं|
रोग के लक्षण:- पी.पी.आर. रोग में मुख्यतया बुखार, नाक से स्त्राव आना, खांसना और न्यूमोनिया जैसे लक्षण प्रमुख हैं| परन्तु कभी कभी मुहं में छाले और पतले खूनी दस्त भी हो जाते हैं| रोग के उपचार के लिए तुरंत वेटरनरी डॉक्टर के पास भेड़-बकरियों को ले जाना चाहिए|
रोग से बचाव :- पी.पी.आर. रोग से बचाव के लिए 3 माह से बड़ी भेड़-बकरियों का 3 वर्ष में एक बार टीकाकरण करवाना आवश्यक हैं| सर्दियां शुरू हो चुकी हैं इसलिए ध्यान रखिये पी.पी.आर. (बकरी-प्लेग) रोग से बचाव के लिए 3 वर्ष में एक बार टीकाकरण करवा कर हम इस नामक महामारी से अपनी भेड़-बकरियों को बचा सकते हैं।
पशुपालकों को सलाह:- गर्मियों की तुलना में सर्दियों में भैंस अधिक संख्या में ताव/हीट में आती हैं। पशुओँ को ताव/हीट में लाने के लिए “हीट-मैक्स” का एक बोलस देवें और जरूरत हो तो ग्यारह दिन बाद पुनः देवें। इसी प्रकार पशुओँ के ताव में आने पर कृत्रिम गर्भादान करवाने के बाद “ए.आई.मैक्स” 225 मि.ली. लिक्विड देने से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती हैं।