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भारत सरकार की पिलानी स्थित राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला सीएसआईआर-सीरी के जयपुर स्थित इनयूबेशन एवं इनोवेशन केंद्र में सोमवार को एमएसएमई एवं स्टार्टअप के लिए एक प्रौद्योगिकी पोर्टफोलियों कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला का उद्देश्य के मेक-इन-इंडिया मिशन के अंतर्गत संस्थान द्वारा विकसित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाली प्रौद्योगिकियों को नए स्टार्टअप्स के माध्यम से प्रयोगशाला से वास्तविक उपयोगकर्ता तक पहुँचाना और नए व युवा उद्यमियों को उद्यम स्थापित करने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित करना था।
कार्यशाला के आरंभ में संस्थान के निदेशक प्रो. शान्तनु चौधरी ने कहा कि जब एक वैज्ञानिक के रूप में हमारा ध्यान उन प्रौद्योगिकियों पर होगा जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने में अपना योगदान दें तो निश्चित रूप से देश की अर्थव्यवस्था विकसित और सुदृढ़ होगी। उन्होंने बताया कि हमारे संस्थान के वैज्ञानिकों ने भी ग्रामीण आवश्यकताओं को समझते हुए इस प्रकार की प्रौद्योगिकियों को विकसित किया है। जैसे दूध में मिलावट का पता लगाने के लिए क्षीर स्कैनर, क्षीर टेस्टर, क्षीर एनालाइजर आदि तथा पानी और हवा के शुद्घिकरण के लिए पारामुत युवी लैम्प एवं एयर प्यूरीफॉयर, फलों की गुणवता मापने के लिए विकसित प्रौद्योगिकी आदि इसके उदाहरण है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा भी हमारे संस्थान के वैज्ञानिकों ने एसी अनेक प्रौद्योगिकियों का विकास किया है, जो ग्रामीण भारत के साथ-साथ शहरी भारत के जीवन को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करने में सक्षम है।
इस अवसर पर उन्होंने सीएसआईआर प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के विपणन के लिए भारत सरकार के विज्ञान तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के अंतर्गत कार्यरत संस्था एनआरडीसी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए एनआरडीसी के साथ किए गए समझौता ज्ञापन की भी जानकारी दी। प्रो. चौधरी ने कार्यशाला के दौरान युवा उद्यमियों को नए स्टार्टअप स्थापित करने की पूर्व अपेक्षाओं की भी जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि सीरी के पास नए स्टार्टअप्स स्थापित करने व उत्पादों के परीक्षण की विशेषज्ञता और आधारभूत ढाँचा उपलध है। उन्होंने नए एवं भावी उद्यमियों को संस्थान की ओर से यथा संभव सहयोग का आश्वासन दिया। अंत में उन्होंने आशा व्यत की कि यह प्रौद्योगिकी पोर्टफोलियो कार्यशाला अपने उद्देश्यों में सफल होगा