ताजा खबरधर्म कर्मसीकर

गली गली में गूंजे गणगौर ऐ तू आछी आ पाछी जा…

सीकर में

गली-मोहल्लों में गूंजते गौर रे गाणगौर माता… तथा गणगौर ऐ तू आछी आ पाछी जा… के स्वर। सजी-धजी महिलाएं व युवतियां। उत्सवी माहौल में खीर व घेवर के साथ घरों में फैली व्यंजनों की महक। सोमवार शाम को निकली गणगौर की सवारी और उसमें उमड़ा शहर। कुछ इसी तरह के माहौल के बीच सोमवार को गणगौर का पर्व श्रद्धा व परंपरागत रूप से मनाया गया। अखंड सौभाग्य व युवतियों ने सुयोग्य वर की कामना के साथ शिव-पार्वत स्वरूप ईर-गणगौर की पूजा की। महिलाएं व युवतियां सुबह कलश लेकर बाग बगीचों में गई और वहां से दूब जल लेकर मंगल गीत गाती हुई घर पहुंची। गौर-गौर गाोमती, ईसर पूजै पार्वती… गणगौर ऐ तू आछी आ पाछी जा… सहित अन्य लोक गीतों के साथ उन्होंने ईसर-गणगौर का पूजन किया। सोलह शृंगार कर नव विवाहिताओं ने सखियों के संग मांगलिक गीत गाए। विवाहिताओ ंने गणगौर का उद्यापन कर सोलह सुहागिनों को भोजन कराकर कलपना दिया। उत्सवी माहौल में दिनभर व्यंजनों की महक फैली और लोगों ने पारंपारिक व्यंजन खीर घेवर का स्वाद चखा। राजस्थानी काहावत तीज तिवारां बावड़ी ले डूबी गणगौर… के अनुसार गणगौर के साथ ही अब त्योहारों पर विराम लग जाएगा। गणगौर की सवारी में शाही परम्परा की झलक दिखाई देती है। सीकर राज्य के राजमहल से 330 वर्ष पूर्व गणगौर मेले की शुरूआत की गई थी। सांस्कृतिक मंडल पिछले करीब 53 वर्ष से इस परम्परा का निर्वाह कर रहा है। ईसर-गणगौर की सवारी पर नारियल, सुहाग की वस्तुएं और अन्य चढावे अर्पित किए गए।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button