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बेटी पैदा होने की खुशी में गाँधी परिवार ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस

क्रांतिकारी महिला भीकाजी कामा को जयंती पर किया नमन

क्रांतिकारी प्रीतिलता वाद्देदार का मनाया शहादत दिवस

सूरजगढ़, गाँधी कृषि फार्म सूरजगढ़ में अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस पर गाँधी परिवार में बेटी पैदा होने पर खुशियां साझा करते हुए बेटियों के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस मनाया। इस मौके पर बेटियों को तिलक लगाकर मिठाई खिलाई और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए शुभ आशीर्वाद दिया। गाँधी परिवार के सदस्य सतीश गाँधी व बृजेश के बेटी का जन्म हुआ है। जबकि दिनेश व सरिता के बेटे का जन्म हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस पर गाँधी परिवार में खुशी का माहौल है। इसके साथ ही देश की आजादी में महिलाओं के योगदान को याद करते हुए आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वावधान में स्वाधीनता आंदोलन की प्रथम महिला शहीद क्रांतिकारी प्रीतिलता वाद्देदार का शहादत दिवस मनाया। इस मौके पर क्रांतिकारी महिला भीकाजी रुस्तम कामा उर्फ मैडम कामा को भी उनकी जयंती पर याद किया। भीकाजी कामा का जन्म 24 सितंबर 1861 को पारसी परिवार बम्बई में हुआ था। उनका नाम क्रांतिकारी आन्दोलन में विशेष उल्लेखनीय है, जिन्होंने विदेश में रहकर भी भारतीय क्रांतिकारियों की भरपूर मदद की थी। उनके ओजस्वी लेख और भाषण क्रांतिकारीयों के लिए अत्यधिक प्रेरणा स्रोत बने। भीकाजी कामा भारतीय मूल की फ़्राँसीसी नागरिक थीं, जिन्होंने लन्दन, जर्मनी तथा अमेरिका का भ्रमण कर भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में माहौल बनाया। वे जर्मनी के स्टटगार्ट नगर में 22 अगस्त 1907 में हुई सातवीं अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस सभा में तिरंगा फहराने के लिए सुविख्यात हैं। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने क्रांतिकारी प्रीतीलता के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा- भारतीय स्वतंत्रता संगाम की महान क्रान्तिकारी प्रीतिलता वाद्देदार का जन्म 5 मई 1911 को तत्कालीन पूर्वी भारत (अब बांग्लादेश) में स्थित चटगाँव के एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता नगरपालिका में क्लर्क थे। उन्होंने सन् 1928 में मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उतीर्ण की। इसके बाद सन् 1929 में उन्होंने ढाका के इडेन कॉलेज में प्रवेश लिया और इण्टरमिडिएट परीक्षा में पूरे ढाका बोर्ड में पाँचवें स्थान पर आयीं। दो वर्ष बाद प्रीतिलता ने कलकत्ता के बेथ्यून कॉलेज से दर्शनशास्त्र से स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की। क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने की वजह से कलकत्ता विश्वविद्यालय के ब्रितानी अधिकारियों ने उनकी डिग्री को रोक दिया। उन्हें 80 वर्ष बाद मरणोपरान्त यह डिग्री प्रदान की गयी। शिक्षा उपरान्त उन्होंने परिवार की मदद के लिए एक पाठशाला में नौकरी शुरू की। इस दौरान उनका संपर्क बंगाल के प्रसिद्ध क्रांतिकारी सूर्य सेन से हो गया। पहले बंगाल में एक जगह थी चटगांव, जो अब बांग्लादेश में है। तब देश में अंग्रेजों का राज था और वहां एक यूरोपियन क्लब था, उसके बाहर लिखा था- ‘डॉग्स एंड इंडियंस नॉट अलाउड’, यानी कुत्तों और भारतीयों की एंट्री नहीं है। क्रांतिकारियों को ये बात नागवार गुजरी। क्रांतिकारी सूर्य सेन के नेतृत्व में प्रीतिलता वाद्देदार द्वारा उस यूरोपियन क्लब को जलाकर खाक कर दिया गया। उससे पहले सूर्य सेन और प्रीतिलता अंग्रेजों के नाक में दम करके असम-बंगाल ट्रेजरी ऑफिस को लूट चुके थे। इसे आर्मरी रेड कहा जाता है। 24 सितंबर 1932 को अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की अमर मिसाल प्रीतिलता वाद्देदार ने महज 21 साल की उम्र में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। ऐसी महान क्रांतिकारी महिला को हम नमन करते हैं। इस मौके पर आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी, पूर्व पंचायत समिति सदस्य चांदकौर, होशियार सिंह, राजेंद्र कुमार, गाँधी, विकास कुमार, भतेरी, सुनील गाँधी, किरण देवी, सतीश कुमार, रवि कुमार, सोनू कुमारी, अंजू गाँधी, पिंकी नारनौलिया, इशांत, तनिष्का, हर्षिता, हर्ष गाँधी, शुभम् आदि अन्य लोग मौजूद रहे।

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