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मंदिर में 100 साल से लगातार 12 महीने तक होते हैं रामायण के पाठ
रामनवमी पर भगवान राम के जन्मोत्सव पर होते हैं विभिन्न रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम
उदयपुरवाटी, [कैलाश बबेरवाल ] कस्बे के पहाड़ी की तलहटी में गोपीनाथजी मंदिर परिसर में भगवान श्री कृष्ण तथा राधा रानी विराजमान है। जानकारी देते हुए पुजारी पूर्णमल शर्मा ने बताया कि गोपीनाथ जी का मंदिर 450 वर्ष पुराना है। जिसमें हमारी कई पीढ़ियां लगातार अपनी सेवाएं दे रही हैं। पहले सिर्फ पतासा का भोग लगाया जाता था। इसके बाद धीरे-धीरे उसमें परिवर्तन कर सुबह अन का भोग लगाया जाता है, तो शाम को दूध का भोग लगाया जाता है। इसकी मुख्य मान्यता यह रही है कि जो भी यहां आकर सच्चे मन से जो भी मनोकामना लेकर आता है। उसकी मनोकामनाएं पूरी होती है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार बिड़ला ने करवाया था। इसके बाद धीरे-धीरे श्रद्धालु जुड़ते गए और इस मंदिर का विस्तार होता गया। मंदिर की सबसे बड़ी खास बात यह है कि 100 साल से लगातार प्रतिदिन शाम के समय रामायण के पाठ होते हैं। जो रामनवमी के दिन प्रारंभ होते हैं साथ ही 12 महीने तक लगातार रामायण पाठ कर रामनवमी के दिन ही संपन्न होते हैं। इसके बाद उसी दिन दोबारा रामायण पाठ शुरू कर दिया जाता है।
इस प्रकार से यह क्रम निरंतर चला आ रहा है। रामनवमी के दिन दोपहर 12:00 बजे भगवान राम के जन्म के समय आरती होती है। उसके बाद शाम को कस्बे के मुख्य मार्गों से झांकियां एवं ध्वज यात्रा भगवान राम को पालकी में बैठा कर निकाली जाती है। इसके पश्चात रात्रि को भगवान राम के जन्मोत्सव पर हवन कार्यक्रम किया जाता है। जो प्राचीन समय से चला आ रहा है। रामनवमी के दूसरे दिन भंडारे का आयोजन किया जाता है। जिसमें हजारों श्रद्धालु प्रसादी ग्रहण करते हैं। शेखावाटी के प्रसिद्ध कलाकार बाबा कपिल शर्मा ने बताया कि जिन लोगों को इस मंदिर के चमत्कार के बारे में पता है वे श्रद्धालु अपने समय के अनुसार बाबा के चरणों में शीश नवाने के लिए आते रहते हैं। लेकिन इतना प्राचीन भव्य मंदिर होने के बावजूद भी क्षेत्र में काफी लोगों को इसके चमत्कार की जानकारी नहीं है। मैं चैनल के माध्यम से श्रद्धालुओं से कहना चाहता हूं कि गोपीनाथजी मंदिर स्थित भगवान श्री कृष्ण एवं राधा जी को शीश नवा कर जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर आता है। वह कभी खाली झोली नहीं जाता है। उसकी मनोकामना पूर्ण अवश्य पूरी होती है। क्योंकि भगवान कभी लेता नहीं है, अपने भक्तों को देता ही है।