जिले की इस्लामपुर ग्राम पंचायत इन दिनों विवादों को लेकर चर्चा मे है। वही कस्बें के की लगभग हर गली कचरें और दुर्गन्ध की शिकार है। पिछले कुछ दिनो से कस्बें की सफाई व्यवस्था इस कदर बिगड चुकी है। कि कस्बें वासी अपने दिन की शुरूआत चाय के साथ न कर, नालियों से कचरा निकालने से करते है। इन्हें चिन्ता रहती है कि अपने घर व दुकान के आगे से गुजरने वाली नाली ब्लाक होकर कही गंदे पानी से मार्ग को बाधित न कर दे। गौरतलब हैे कि पांच अपे्रल को आयुक्त के आदेश से स्थानीय सरपंच आशाराम को पद मुक्त कर दिया गया है।
उसके बाद से ग्राम पंचायत की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चैपट हो चुकी है। वर्तमान कार्यभार वाहक सरपंच मकबूल कुरैशी व ग्राम विकास अधिकारी मदन सिंह का विवाद इतना बढ चुका है कि बात थाने और मुकद्मे तक पहुच चुकी है। ऐसे मे कस्बें का दुर्भाग्य है कि उसका कोई धणी धोरी नही है। कस्बें मे जगह जगह कचरें के ढेर लग चुके है। नालियां ओवर फुल होकर मार्ग बाधित करती रहती है। लेकिन ग्राम पंचायत के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों मे जुतम पैजार देखने को मिल रहा है।
कस्बें के वार्ड न चार मे जलदाय विभाग की टंकी के नीचे कचरे का ढेर लग चुका है। जिससे बदबू फैलने से मार्ग मे गुजरना भी मुश्किल हो गया है वही गर्मी के इस मौषम मे पानी की टंकी के नीचे कचरे का ढेर लगने से संक्रमण फैलने का खतरा भी मडराने लगा है। वही वीणा शक्ति मन्दिर की सिमेण्टेड सडक पर कचरे का भारी ढेर लग चुका है। जिससे लगता है कि लाखो रूपये खर्च कर बनाई गयी यह सडक कचरे के श्राप को भ्ुागत रही हो। बडी मस्जिद के पास बाजार मे नालियां ओवर फुल होने के कारण गंदे पानी को निष्कासित करने की जिम्मेदारी स्थानीय दुकानदारों के कंधो पर आ जाती है।
स्थानीय लोगों द्वारा नालियो से निकाले गए कचरे के ढेर सडकों पर लग चुके है। कस्बे का व्यस्तम मार्ग चिंचडौली बाजार मे भी हालात चिंताजनक बने हुए है। ये तो कुछ बानगी मात्र हैं वरना कस्बें के हालात इतने बिगड चुके है कि लगता ही नही की यहां पर स्थानीय निकाय जैसी कोई संस्था कार्यरत है। कस्बे मे कचरे के जगह जगह ढेर लगने से स्वच्छता के लिए आपात काल जैसे हालात हो चले है।