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भारत रत्न आचार्य विनोबा भावे की जयंती मनाई

महादेवी वर्मा की स्मृति दिवस और राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाया

सूरजगढ़, आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में गांधी कृषि फार्म सूरजगढ़ में अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित महान सामाजिक कार्यकर्ता, भूदान आंदोलन के प्रणेता, महान स्वतंत्रता सेनानी भारत रत्न आचार्य विनोबा भावे की जयंती मनाई। इस मौके पर साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित महान साहित्यकार, पद्म विभूषण से सम्मानित प्रख्यात कवयित्री महादेवी वर्मा को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किये। आदर्श समाज समिति इंडिया द्वारा आज प्रकृति और पर्यावरण को बचाने की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए भारतीय सभ्यता, संस्कृति, पर्यावरण, जल, जंगल, जमीन को बचाने की नई मुहिम शुरू करते हुए राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाया। भारत एक महान देश है। यहां का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। यहां की सभ्यता और संस्कृति विश्व में सबसे निराली है। वर्तमान में सरकार विकास की अंधी दौड़ में वनों को मिटाने का काम कर रही है। जो आने वाले समय में मानव जीवन के लिए घातक सिद्ध होगा। आज प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने की बजाय हमें प्रकृति और कुदरत की अनमोल धरोहर को बचाने की आवश्यकता है। हमारी सरकारें वनों के प्रति बहुत लापरवाह रही हैं। वनों को बचाने के लिए और वन अधिकारी और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए समिति द्वारा सरकार को पत्र लिखा जायेगा।
आचार्य विनोबा भावे के जीवन संघर्ष को याद करते हुए आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने बताया कि वे हमारे लिए प्रकाश स्तंभ हैं। वे राष्ट्रीयता, नैतिकता एवं अहिंसक जीवन एवं पीड़ितों एवं अभावों में जी रहे लोगों के लिये आशा एवं उम्मीद की एक मीनार थे, रोशनी उनके साथ चलती थी। विनोबा भावे ने सामाजिक बुराइयों जैसे असमानता व गरीबी और अस्पृश्यता को खत्म करने के लिए अथक प्रयास किया। गांधीजी ने जो मिसालें कायम की थी,उससे प्रेरित होकर उन्होंने समाज में दबे- कुचले तबके के लिए काम करना शुरू किया। उन्होंने सर्वोदय शब्द को उछाला। जिसका मतलब सबका विकास था। 1950 के दौरान उनके सर्वोदय आंदोलन के तहत कई कार्यक्रमों को लागू किया गया। जिसमें से एक भूदान आंदोलन भी था। स्वतंत्रता के बाद गरीबी हमारे देश की मुख्य समस्या थी। विभाजन की त्रासदी से बेघर हुए लोगों के लिए घर और जमीन की व्यवस्था करना कठिन कार्य था। आचार्य विनोबा भावे ने भूदान आंदोलन के माध्यम से लाखों गरीब भूमिहीन किसानों को कई लाख एकड़ भूमि दान में दिला कर उन्हें जीवन यापन करने का सुनहरा अवसर दिया। सबसे ज्यादा फायदा दलित हरिजन वंचित वर्ग को हुआ। विनोबा भावे का भू दान आंदोलन 13 सालों तक चलता रहा। इस दौरान विनोबा भावे ने देश के कोने-कोने का भ्रमण किया। उन्होंने करीब 59000 किलोमीटर का सफर तय किया। इस आंदोलन के माध्यम से गरीबों के लिए वह 44 लाख एकड़ भूमि दान के रुप में हासिल करने में सफल रहे। उस जमीन को उन्होंने गरीबों में बांट दिया। विनोबा भावे के इस आंदोलन की न सिर्फ भारत बल्कि विश्व में काफी प्रशंसा हुई। उनकी जन नेतृत्व क्षमता का अंदाजा इसी घटना से लगता है कि उन्होंने चंबल के डाकूओं को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया और वे विनोबा जी से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण के लिए तैयार हो गये। विनोबा भावे को सामुदायिक नेतृत्व के लिए पहला अंतरराष्ट्रीय रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला था। वे संतो की उत्कृष्ट पराकाष्ठा थे। भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता, विशिष्ट उपदेष्टा, महान विचारक तथा गांधी जी के अनुयायी और भारत रत्न थे। ऐसे महापुरुष इतिहास में विरले ही पैदा होते हैं। ऐसी महान शख्सियत को हम बार-बार नमन करते हैं। कार्यक्रम में इलाहाबाद से श्रीमती रेनू मिश्रा ने ऑनलाइन भाग लेकर आचार्य विनोबा भावे के संबंध में अपने विचार व्यक्त किये। इस मौके पर आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी, रवि कुमार, चाँदकौर, सुनील गांधी, पिंकी नारनोलिया, पूनम, दिनेश कुमार, अंजू गांधी, सोनू कुमारी, अमित कुमार, तनीषा, हर्षिता, इशांत आदि अन्य लोग मौजूद रहे।

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