रविवार को भामाशाह योजना से अनुबंधित निजी अस्पताल के संचालकों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी एवं जनकल्याणकारी भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना में 40 से अधिक निजी अस्पताल जिले और ग्रामीण स्तर पर अपनी सेवाएं दे रहे है एवं प्रतिदिन इन अस्पतालों में 1200 से अधिक लाभार्थी मरीज निशुल्क स्वास्थ्य लाभ लेते है। सभी अस्पताल योजना के मापदंडो के अनुसार ईमानदारी से कार्य कर रहे है। लेकिन अब बीमा कंपनी लगातार अनुचित साधनों और कारणों का सहारा लेकर निजी अस्पतालों को योजना में काम करने से रोक रही है इसके लिए नियमित रूप से अस्पतालों को क्लेक्स अटका कर पैसा रोका जा रहा है, निलंबित या योजना से हटाया जा रहा है। बीमा कम्पनी के इस प्रकार के कार्य से निजी अस्पताल जहां आर्थिक और मानसिक शोषण का शिकार हो रहे है वहीं पर सैकड़ों लाभार्थी मरीजों को भी योजना का लाभ सहीं तरीके से नहीं मिल पा रहा है। वहीं निजी अस्पताल मुनाफा तो दूर अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे है। ज्ञापन के माध्यम से निजी संचालकों ने मांग की कि समय पर क्लेम का भुगतान किया जाए, अकारण क्लेम निरस्त नहीं किये जाए एवं निरस्त किए गए क्लेम का अतिशीघ्र निस्तारण कर भुगतान किया जायें, गलत तरीके से लगायी गयी पेनेल्टी एवं निष्कासित किये गए अस्पतालों को वापस जोड़ा जाये एवं पेनेल्टी निरस्त की जायें आदि मांग की गयी है। वहीं संचालकों ने बताया कि 7 अगस्त तक यदि न्याय नहीं मिला तो सभी अस्पताल योजना का बहिष्कार करेंगे। इस मौके पर डॉ. राजेश रैवाड़, राजेश कटेवा, पुष्पेन्द्र बुडानिया, आर आर चौधरी, रामकृष्ण सुमन, विकास ढूकिया, अशोक चौधरी सहित भामाशाह योजना से संबंधित निजी अस्पतालों के संचालक आदि मौजुद थे।