खेतड़ी नरेश के मुंशी जगमोहन ने समझा जिसे साधारण साधु, राजा अजीत सिंह ने स्वामी विवेकानंद के पांव दबा कर माना गुरु
विरासत दिवस को लेकर सौंपी विशेष जिम्मेदारियां
खेतङी [जयंत खाखरा ] स्वामी विवेकानंद द्वारा अमेरिका के शिकागो में सनातन धर्म का परचम लहरा कर वापस भारत लौटने पर खेतड़ी में 12 दिसंबर 1893 को भव्य स्वागत किया था । उसी की याद ताजा करने के लिए पिछले 9 वर्षों से रामकृष्ण मिशन के सचिव आत्मा निष्ठा नंद महाराज के सानिध्य में खेतड़ी विरासत समिति द्वारा विरासत दिवस मनाया जाता है। कल रविवार को विरासत दिवस को लेकर रामकृष्ण मिशन अजीत विवेक संग्रहालय में स्वामी आत्म निष्ठानंद की अध्यक्षता में वॉलिंटियर्स की बैठक का आयोजन कर उन्हें विशेष जिम्मेदारियां सौंपी गई जिसमें घर-घर जाकर चंदा एकत्रित करना, कस्बे वासियों को घर घर में दीपक और लाइट जलाकर रोशनी करना ,कार्यक्रम में व्यवस्था बनाए रखने ,अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ने संबंधित कई जिम्मेदारियां दी गई। विरासत दिवस में सुबह स्कूली बच्चों द्वारा प्रभातफेरी ,दोपहर को राजा अजीत सिंह और स्वामी विवेकानंद की बग्गी में बैठाकर सजीव झांकी निकाली जाएगी, शाम को बंटी सोनिया तिलकधारी द्वारा फूलों की होली, स्वामी विवेकानंद की नाटिका ,5 काली का भव्य नृत्य नाटिका ,राम दरबार की झांकी ,राजस्थानी लोक नृत्य चिरमी भवाई कार्यक्रम की प्रस्तुति दी जाएगी। कार्यक्रम में मंच संचालन करते हुए अध्यापक रमाकांत वर्मा ने राजा अजीत सिंह और स्वामी विवेकानंद से जुड़ी घटना का वृतांत बताया कि सर्वप्रथम माउंट आबू में खेतङी नरेश के मुंशी जगमोहन स्वामी विवेकानंद को साधारण साधु माना था तत्पश्चात खेतङी नरेश के विशेष आग्रह पर स्वामी विवेकानंद खेतङी आए और मध्य रात्रि को जब स्वामी सो रहे थे तब राजा उनके कक्ष में गए और उनके पांव दबाकर रोने लगे तब स्वामी जी उठे, राजाजी सिंह ने उन्हें अपना गुरु माना। तब से दोनों में गुरु शिष्य और परस्पर मित्रता बनी और फतेह विलास महल की छत पर राजा अजीत सिंह ने टेलीस्कोप मंगवा कर साइंस लैब बनाई स्वामी विवेकानंद राजा अजीत सिंह को खगोल विज्ञान और तारामंडल का अध्ययन करवाते थे। बैठक के दौरान स्वामी आत्मा निष्ठानंद ने आगंतुकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह खेतड़ी के लिए सौभाग्य की बात है कि स्वामी विवेकानंद के चरण यहां पर पड़े पूरा देश खेतड़ी का ऋणी रहेगा क्योंकि खेतड़ी नरेश ने ही स्वामी विवेकानंद को विश्व में ख्याति दिलवाई। इस मौके पर बंशीधर सैनी पालिका उपाध्यक्ष शशि सैनी, दीनदयाल पंवार ,डॉक्टर पारस वर्मा ,एडवोकेट विजेंद्र सैनी ,अमित सिंह उससरिया, डॉ प्रतिभा ,लोकेश कुमावत, मोहित सैनी, डॉ राघवेंद्र पाल, पार्षद सविता छबलानी, पार्षद नंदकिशोर, लोक राम वर्मा, संजय गुर्जर, प्रदीप सुरोलिया, निर्भय राम शास्त्री ,गोपी राम सैनी, लक्ष्मीकांत शर्मा ,ओमप्रकाश, राजेंद्र यादव, मोहित सैनी ,तरुण खींची, मुकेश सैनी, अजय गुप्ता ,देवेंद्र ,नरेश कुमार ,गौतम मेहरा, गोपाल सैनी, राहुल शर्मा सहित कई वॉलिंटियर्स मौजूद रहे।
-हजारों दीपक से पन्ना सागर तालाब को किया जाएगा रोशन
तत्कालीन समय में राजा अजीत सिंह द्वारा स्वामी विवेकानंद को अपनी चांदी की बग्गी में बैठा कर लाया गया और पन्ना सागर तलाव पर भव्य स्वागत कर 40 मन देसी की दियों से खेतड़ी को रोशन किया गया था। इस बार विरासत दिवस पर नगर पालिका अध्यक्ष उमराव सिंह ने इसकी जिम्मेदारी ली है पन्ना सागर तालाब को हजारों दीपक की रोशनी से रोशन किया जाएगा और स्वामी विवेकानंद राजा अजीत सिंह का सचित्र झांकियां निकालकर स्नेह मिलन करवाया जाएगा
-वॉलिंटियर्स घर घर जाकर कस्बे वासियों को रोशनी करने के लिए करेंगे प्रेरित
इस बार के विरासत दिवस को ऐतिहासिक बनाने के लिए मिशन के सचिव आत्म निष्ठानंद ने वॉलिंटियर्स को घर घर जाकर कस्बे वासियों को घर में दीपक और रोशनी कर प्रेरित करने का आह्वान किया है सचिव ने कहा की विरासत दिवस को एक त्योहार के रूप में मनाना चाहिए दीपावली की तरह हर घर में रोशनी करनी चाहिए। जिससे खेतड़ी की विरासत एक बार पुनः जीवंत हो सके।