किसान के लिए कर्जा माफ़ या रास्ता साफ़…….. क्या जरूरी ?
हाल ही में राज्यों में हुए विधानसभा चुनावो के बाद से किसान राजनीति का केंद्र बिंदु बन चुका है लेकिन उसके बाद भी बुनियादी सुविधाओं को लेकर वह उपेक्षित बना हुआ है। कांग्रेस ने 10 दिन के अंदर किसानों के कर्ज माफी की घोषणा की और नतीजा सबके सामने रहा। भाजपा सरकार ने भी चुनाव से पहले कुछ कर्ज माफ किया था। अब देखने वाली बात यह है कि वास्तव में हम किसान को कर्ज माफी के रूप में क्या दे रहे हैं। आप कर्जा करो खेती करो चुनाव आएंगे तब हम कर्जा माफ कर देंगे। यह सौगात या भारत के किसान को मूलभूत सुविधाएं देकर स्वावलम्बी बनाया जाये। आज किसान के लिए मिट्टी की गुणवत्ता की जांच, उन्नत बीज, सिंचाई के साधन, पर्याप्त पानी की मात्रा, बिजली और यूरिया खाद जैसी मूलभूत सुविधाओं को देना ज्यादा जरूरी है। या वोटों के लिए रेवड़ी बांटकर उसकी आदत खराब करना। भारत का किसान इतना स्वाभिमानी और मेहनती है कि अपना हिस्सा तो वो जमीन की छाती फाड़कर भी निकाल लेता है। लेकिन विपरीत परिस्थितियों के चलते इस किसान के ट्यूबवैल का पानी जरूर कम हो जाता है लेकिन उसकी आँखे वर्ष भर पानी से लबरेज रहती है। उसको बीज के लिए लाइन, खाद के लिए लाइन से लेकर अपनी फसल को बेचने के लिए लाइन में लगना पड़ता है लेकिन इसके बाद भी उसे अपनी फसल का वाजिब दाम नहीं मिल पाता। खेतिहर किसान और गरीब होता जाता है वही बिचौलिए दिन दुगनी और रात चौगुनी प्रगति करते है। उसके शोषण के चक्र को तोड़ने की आवश्यकता है न कि कर्जमाफी की। वर्तमान समय की बात करें तो यूरिया खाद के लिए किसानों में मारामारी मची हुई है पिछले काफी दिनों से यूरिया की बहुत कमी थी लेकिन अब सप्लाई के क्रय विक्रय सहकारी समितियों में आने पर उसके प्राप्ति के लिए किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बानगी के लिए झुंझुनू क्रय विक्रय सहकारी समिति के सामने आज महिला और पुरुषों की लंबी-लंबी लाइनें लग गई। लाइन इतनी लंबी थी कि व्यस्त रहने वाली एक नंबर रोड पर भी किसानों की कतार उसकी समस्याओ की तरह बढ़ती रही। वहां पर वितरण करने वाले कर्मचारियों की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। किसान यहां पर कर्ज माफी या खैरात के लिए लाइन में नहीं खड़ा है बल्कि वह पैसे देकर यूरिया खाद की खरीदारी के लिए जोर आजमाइश कर रहा है।