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नाबालिग युवति से दुष्कर्म के मामले में आरोपी को 10 वर्ष का कठोर कारावास

विशिष्ट न्यायाधीश यौन हिंसा से बालको का संरक्षण अधिनियम प्रकरण (विशिष्ट न्यायाधीश अनु जाति, जनजाति अत्याचार निवारण प्रकरण) झुंझुनूं सुमन सहारण द्वारा दिये एक निर्णय में एक नाबालिग युवति से दुष्कर्म के मामले में आरोपी चेतन चेजारा उर्फ चिन्टू पुत्र सुभाषचंद्र कुमावत निवासी वार्ड नम्बर 12 चिड़ावा को लैंगिक अपराधों से बालको के संरक्षण अधिनियम के तहत 10 वर्ष के कठोर कारावास व 10 हजार रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया है जबकि इस मामले में दो अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया है। मामले के अनुसार 29 अप्रैल 2014 को परिवादी विरेन्द्रपाल जाट निवासी घंडावा ने पुलिस थाना पिलानी पर एक रिपोर्ट दी कि उसकी पीडि़त पुत्री 26 अप्रैल 2014 को दोपहर बस द्वारा परीक्षा देने जयपुर गयी थी तथा उसे 27 अप्रैल को परीक्षा देनी थी किन्तु उसकी पुत्री जयपुर में परीक्षा देने के पश्चात वापस नही आयी। पुछताछ करने पर उसका पता नही चला तथा उसकी पुत्री नाबालिग है तथा ज्ञात हुआ कि चेतन चेजारा उसकी पुत्री को बहला-फुसलाकर भगाकर ले गया है आदि। पुलिस ने इस रिपोर्ट पर मामला दर्ज कर बाद जांच चेतन चेजारा उर्फ चिन्टू, अमीर खान पुत्र अब्दुल करीम धोबी निवासी वार्ड नम्बर 4 चिड़ावा, विकास कुमार पुत्र भंवरलाल गुर्जर निवासी वार्ड नम्बर 12 चिड़ावा के विरूद्ध सम्बन्धित न्यायालय में आरोप पत्र पेश कर दिया। इस्तगासा पक्ष द्वारा कुल 19 गवाहान के बयान करवाये गये। विशेष लोक अभियोजक नंद किशोर शर्मा ने न्यायालय में तर्क दिया कि गवाहान के बयानो से मामला पूर्णत: सिद्ध है। विद्ववान न्यायाधीश ने पत्रावली पर आई साक्ष्य का बारिकी से विश्लेषण  करते हुये अमीर खान व विकास कुमार को संदेह का लाभ देकर सभी आरोपो से बरी कर दिया जबकि चेतन उर्फ चिन्टू चेजारा को दोषी मानते हुये उक्त अनुसार सजा देते हुये धारा 366 में भी उसे 10 वर्ष के साधारण कारावास व पांच हजार रूपये अर्थदण्ड तथा धारा 363 में सात वर्ष का साधारण कारावास व पांच हजार रूपये जुर्माने से और दण्डित करते हुये यह भी आदेश दिया कि सभी मूल सजाएं साथ-साथ चलेगी तथा अर्थदण्ड जमा होने पर बाद गुजरने मियाद अपील 15 हजार रूपये बतौर प्रतिकर पीडि़ता को अदा किये जाये तथा पीडि़ता को राजस्थान पीडि़त प्रतिकर स्कीम के अधीन प्रतीकर हेतु अनुशंषा करते हुये निर्णय की प्रति अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भी प्रेषित करने का आदेश दिया।

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