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विश्व शांति दिवस पर आयोजित किया जायेगा अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन

आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में

सूरजगढ़, आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में गांधी कृषि फार्म सूरजगढ़ में विश्व शांति दिवस मनाने को लेकर कार्यकर्ताओं की बैठक संपन्न हुई। बैठक में कई कार्यकर्ताओं ने ऑनलाइन भाग लेकर अपने सुझाव प्रस्तुत किये। दिल्ली से अंशुपाल “अमृता”, उत्तर प्रदेश से एडवोकेट अनुजा मिश्रा, इलाहाबाद से रेनू मिश्रा, अमरोहा से एडवोकेट चौधरी मुजाहिद हुसैन, छत्तीसगढ़ से संघमित्रा राएगुरु, गोवा से विकास कुमार, दिल्ली से गोपाल शर्मा, कंचन गुप्ता, भिवाड़ी से राजेंद्र कुमार आदि ने दुनियाभर में फैली स्वार्थ, घृणा और हिंसा जैसी महामारी के कारण उत्पन्न अशांति को दूर करने के लिए विश्व शांति दिवस पर 21 सितंबर को विश्व में शांति का संदेश देने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित करने का प्रस्ताव रखा। आदर्श समाज समिति इंडिया के सभी सदस्यों की राय व सहमति से 21सितम्बर को विश्व शांति दिवस पर समाज, देश और विश्व में भाईचारा और शांति स्थापित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया गया। समिति द्वारा विश्व शांति के प्रतीक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और स्वतंत्रता आंदोलन में उनके सहयोगी रहे भारत रत्न सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान को नोबेल शांति पुरस्कार दिलाये जाने के संबंध में देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति महोदय को पत्र लिखा गया है। हिंसा के दौर में दुनिया को शांति का पाठ पढ़ाने वाले दोनों महापुरुषों का नाम उनके जीवन काल में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया था लेकिन आज तक इन दोनों शांति दूतों को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं देकर नोबेल पुरस्कार के साथ नाइंसाफी की जा रही है। महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में हिंसा के खिलाफ सत्‍य के उपयोग के साथ अपने प्रयोगों की शुरुआत की और फिर भारत में इसे ऐसे शांति आंदोलन के रूप में विकसित किया जिसे दुनिया ने कभी नहीं देखा था। इस आंदोलन से न केवल भारत को स्वतंत्रता मिली बल्‍कि दुनिया भर में उपनिवेशवाद के अंत की शुरुआत हुई। महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर दुनिया को जो शांति की राह दिखाई इसका दूसरा उदाहरण कोई नहीं है। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने कहा- आज दुनिया आतंकवाद, चरमपंथ, अलगाववाद, सहिष्णुता, और सियासत की दमनकारी नीतियों की गिरफ्त में है। अमन और चैन किसी राष्ट्रवादी सियासत की पोटली में बंद है। आज हर तरफ असत्य, हिंसा, फरेब का बोलबाला है। अगर आज गांधी जी हम लोगों के बीच जीवित होते तो आज के भारत की दशा देखकर उन्हें बेहद निराशा होती। ऐसे समय में जब पूरे विश्व में हिंसा का बोलबाला है, राष्ट्र आपस में उलझ रहे हैं, मानवता खतरे में है, गरीबी, भूखमरी और कुपोषण लोगों को लील रहा है तो गांधी के विचार प्रासंगिक हो जाते हैं। अब विश्व महसूस भी करने लगा है कि गांधी के बताये रास्ते पर चलकर ही विश्व को हिंसा,द्वेष और प्रतिहिंसा से बचाया जा सकता है। गांधी जी के विचार विश्व के लिए इसलिए भी प्रासंगिक हैं कि उन विचारों को उन्होंने स्वयं अपने आचरण में ढालकर सिद्ध किया। उन विचारों को सत्य और अहिंसा की कसौटी पर जांचा-परखा। आज, जब विश्व शांति को मानव जाति को समाप्त करने की क्षमता वाले परमाणु हथियारों से ख़तरा है, ऐसे समय में किसी और समय की तुलना में, प्रेम तथा सत्य और दूसरों के अधिकारों के लिए महात्मा गांधी की दी गई सीख कहीं अधिक प्रासंगिक लगती है। मार्टिन लूथर किंग जूनियर यहाँ तक कह गये कि “अगर मानवता को प्रगति करनी है, तो गांधी अपरिहार्य हैं।” शांति तथा एकता की एक दुनिया विकसित करने की दिशा में उन्होंने मानवता की दृष्टि से जीवन गुज़ारा, चिंतन और कर्म किया तथा प्रेरणा ली। महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं प्राप्त हुआ, हालांकि उनका नामांकन कई बार हो चुका है। लेकिन उनके अनुयायी मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला, दलाई लामा, आंग सान सू ची, बराक ओबामा, डेसमंद टूटु और अर्जेन्टीना के अडोल्फ़ो पेरेज़ एस्क्विवेल नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। इसलिए, यह स्पष्ट है कि महात्मा गांधी नोबेल शांति पुरस्कार से ऊपर हैं। आज विश्व में शांति स्थापित करने के लिए महात्मा गांधी के विचारों को अमल में लाना जरूरी हो गया है। बैठक में आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी, रवि कुमार, सुनील गांधी, पिंकी नारनोलिया, दिनेश कुमार, अंजू गांधी, अमित कुमार, सोनू , तनीषा, इशांत, हर्षिता आदि अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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