परिवार में जब भी किसी कुत्तें के छोटे बच्चे अथार्त पप को जोड़ा जाता हैं तो माहौल खुशनुमा हो जाता हैं| कुत्तें के छोटे बच्चे को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती हैं| उसके खाने से लेकर उसकी सेहत तक पर पैनी नजर रखनी पड़ती हैं| सबसे पहले ध्यान रखने योग्य बात ये हैं कि आपको जिस नस्ल के कुत्ते को पालना है उसके बारे में, वेटरनरी डॉक्टर से पूरी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहियें| अच्छी नस्ल के कुत्ते अधिक समझदार, अनुशासित और विनम्र होते है| आप जिस उद्देश्य के लिए कुत्ता घर में ला रहे है उसी के हिसाब से उसकी नस्ल तय की जाती हैं| जैसे अगर आपके घर में छोटे बच्चे हैं तो आप टॉय-नस्ल जैसे पग, चिहुआहुआ, पोमेरेनिअन और पेपिलोन इत्यादि नस्ल खरीदना चाहेंगे और अगर आप घर की सुरक्षा करने के लिए कुत्ता ला रहे है तो आपको गार्ड-नस्ल जैसे जर्मन शेफर्ड, रॉटवीलर और ड़ोबरमेंन इत्यादि नस्ल खरीदनी होगी| कुत्ते की नस्ल का पहचान उसके रंग, कान, मुंह, पूंछ और शारीरिक आकर के हिसाब से की जाती हैं| कुत्ते के नवजात बच्चे की आँखे बंद रहती हैं और उसकी माँ दूध उसके लिए बहुत जरुरी होता हैं ऐसे में कुछ दिन तक उसको उसकी माँ का दूध पीने देना चाहिए| कुत्ते के छोटे बच्चे के खाने की मात्रा उसकी नस्ल और शरीर भार के अनुसार निर्धारित की जाती हैं| लगभग 2 सप्ताह की उम्र होने तक पप को केवल उसकी माँ का दूध पीने देना चाहिए और अगर आप उसे घर ले आये हैं तो गाय या भैंस के दूध को पानी मिलकर अधिक तरल करके देना चाहिए| गाय या भैस के दूध में पानी 60 फीसदी तक मिलाया जा सकता हैं| 2 से 4 सप्ताह की उम्र होने तक पप को 60-100 मिली. दूध प्रति किलो शरीर भार के हिसाब से दिन में 7-8 बार में दिया जाना चाहिए साथ ही इसमें कुल 15-20 ग्राम मिल्कोपेट, सेरेलेक अथवा फारेक्स मिलाया जा सकता हैं| बाजार में उपलब्ध विटामिन सप्लीमेंट्स जैसे विरोल, प्रोविबूस्ट अथवा अक्टिपेट की कुल 20 बूंदे प्रति किलो शरीर भार के हिसाब से पप को दिन में 1-2 बार देनी चाहिए| पाचन बढाने के लिए जाईमोपेट अथवा डिजिटोन दिया जा सकता है|
पप की उम्र 1-2 माह होने तक उपरोक्त वर्णित डाइट को शरीर भार के अनुसार बढ़ाते जाकर इसके साथ कैल्शियम सप्लीमेंट्स देना शुरू करते हैं| आजकल प्रोविकेल, इन्टाकेल, पेटकेल अथवा मिमकेल के नाम से कैल्शियम सप्लीमेंट्स आते हैं जिनको आधा से एक चम्मच प्रति 5 किलो शरीर भार के अनुसार दिन में दो बार दिया जा सकता हैं|
2 माह से अधिक की उम्र के पप को कैल्शियम सिरप अथवा कैलोज़-सप्लीमेंट की मात्रा बढाकर 2-4 चम्मच कर दी जाती हैं, इसके अलावा पप को ब्रेड, अंडे, मांस, दलिया, दाल, सोया, आलू और सब्जियां भी देनी शुरू कर देनी चाहियें| वर्तमान में बाजार में रेडीमेड डॉग-फ़ूड भी उपलब्ध हैं| डॉग-फ़ूड जैसे पेडिग्री, रॉयल-केनिन, रीगल-पप, विस्कस, हिल्स, ड्रुल्स, केनोबाईट, वेट-लाइफ अथवा सिबेउ इत्यादि, कुत्ते की उम्र और नस्ल के हिसाब से दिए जाने चाहिए|
अपने परिवार में पप को जोड़ते ही उसका “स्वास्थ्य और टीकाकरण कार्ड” बनवा लेना चाहिए| इस कार्ड में पप की फोटो, नाम, नस्ल, उम्र, मालिक का नाम और पता लिखा होने के साथ साथ पप के टीकाकरण और स्वास्थ्य की पूर्ण जानकारी संग्रहीत होती हैं, साथ ही अगर पप किसी मेडिसिन के लिए अधिक संवेदनशील हो तो उसको भी दर्ज कर लिया जाता हैं| वेटरनरी डॉक्टर की सलाह के अनुसार पप का समय पर टीकाकरण करवाते रहना चाहिए| पप की साफ़ सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए| उसको सप्ताह में आवश्यकता अनुसार 2-3 बार नहलाया जा सकता हैं| पप को नहलाने के लिए उसकी त्वचा और बालों की सुरक्षा के हिसाब से बहुत साबुन और शेम्पू जैसे पेट-शाइन, पेटबेन, टॉप-पॉ, वेल एंड गुड, अर्थ-बाथ और फर्मिनेटर इत्यादि बाजार में उपलब्ध हैं| संतुलित और पोष्टिक आहार देने के साथ साथ पप को अंतःपरजीवियों और बाह्य परजीवियों से भी बचाया जाना चाहिए| इसके लिए वेटरनरी डॉक्टर की सलाह के अनुसार सही समय पर कृमिनाशन करवाया जाना चाहिए| बाह्य परजीवी जैसे जूं-चिचड़ और खुजली से बचाने हेतु अच्छे शेम्पू से नहलाना चाहिए और नहलाने के बाद सूखे तौलियें से अच्छी तरह पौंछा जाना चाहिये| पप के नाख़ून सावधानी पूर्वक काटे जाने चाहियें| पप के बाल समय समय पर कंघे से साफ किये जाने चाहिए ताकि वो पुरे घर में न फ़ैल जाये| बाल बड़े हो जाने पर उन्हें वेटरनरी क्लिनिक पर निर्देशानुसार कटवाया जाना उचित रहता हैं|
पप को प्रशिक्षित करने हेतु बहुत सारे डॉग-होस्टल और डॉग-ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट है जो उन्हें अनुशासित और विनम्र बनाते है| वैसे घर पर भी छोटे पप को, आप खुद रोजाना ट्रेनिंग देकर “गो”, “कम”, “फेच”, ”सिट” और “ईट” जैसी सामान्य ट्रेनिंग सिखा दे हैं|
छोटा पप अपने वातावरण के प्रति भी अधिक संवेदनशील होता है अतः सर्दियों में उसके लिए गर्म बिछावन देकर गर्म कपडा ओढाया या पहनाया जा सकता हैं, वरना न्युमोनिया हो सकता हैं| इसी प्रकार गर्मियों में सुविधा के हिसाब से ए.सी. अथवा कूलर में रखा जाना चाहिए अन्यथा पप हीट-स्ट्रेस में आ सकता हैं| पप के बीमार हो जाने पर तुरंत वेटरनरी डॉक्टर को दिखाना चाहिए|