पशुओं के लिए प्रोटीन स्त्रोत : यूरिया मोलासेस उपचारित चारा
राजस्थान की शुष्क जलवायु और अकाल की समस्या के कारण पशुओ के लिए वर्षभर हरा चारा उपलब्ध नहीं हो पाता है, एवं जो सुखा चारा उपलब्ध होता है उसकी पोष्ठिकता कम होती है और अधिक उत्पादन वाले पशुओ में पोषक तत्वों की पूर्ति नहीं हो पाती है तथा पशु कमजोर व रोगग्रस्त हो जाते है | पशुपालन आजीविका का प्रमुख स्रोत होने के कारण संतुलित आहार देने के लिए यूरिया-मोलासेस उपचारित चारे का प्रयोग किया जा सकता है | ज्यादातर पशुपालक सूखे चारे, तुड़ी, बेरी-पाला, भूसा, खाखला, कड़बी इत्यादि का प्रयोग करते है जिनसे पशुओ को ऊर्जा, प्रोटीन एवं खनिज लवण प्राप्त नहीं हो पाते तथा उत्पादन में कमी आती है |
यूरिया मोलासेस उपचारित चारे का पशु के शरीर में उपापचय :-
यूरिया मोलासेस उपचारित चारा प्रोटीन, नाइट्रोजन का प्रमुख स्रोत है जिसमे पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा, खनिज लवण व् विटामिन होते है | जुगाली करने वाले पशु के रुमन में सूक्ष्म जीव बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ, कवक इत्यादि होते है, इनके लिए मोलासेस ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है, साथ ही यूरिया पशु के रुमन में हाइड्रोलायसिस से अमोनिया में परिवर्तित हो जाता है जो इन सूक्ष्म जीवो के लिए नाइट्रोजन का प्रमुख स्रोत होता है इससे सूक्ष्म जीव उच्च गुणवता की माइक्रोबियल प्रोटीन बनाते है जो पशुओ के काम आती है |
यूरिया मोलासेस उपचारित चारे के प्रमुख संघटक :-
-:प्रति 100 किलोग्राम चारे हेतु:-
यूरिया – 2 किलो मोलासेस (शीरा / गुड) – 10 किलो
पानी – 10 किलो खनिज तत्व – 1 किलो नमक – 1 किलो
यूरिया मोलासेस उपचारित चारे के निर्माण की विधि :-
- सबसे पहले 2 किलो यूरिया को 10 किलो पानी में घोल ले|
- इस घोल में 10 किलो मोलासेस को डालकर अच्छी तरह मिश्रित कर ले|
- अब इसमें 1 किलो नमक और 1 किलो खनिज तत्व मिला ले, यह मिश्रण 100 किलो चारे के लिए पर्याप्त है|
- सूखे चारे को छोटे छोटे टुकडो में कट लेवे तथा दो से तीन इंच की परत में फैला ले|
- अब सूखे चारे पर मिश्रण या घोल का आधा भाग छिड़क कर 30 मिनट तक सूखने देवे, जिस से घोल चारे पर चिपक जाये|
- अब चारे को उल्टा पुल्टा कर शेष बचे आधे मिश्रण का भी छिडकाव कर देवे |
- इसे अच्छी तरह से सुखा कर इसका भण्डारण कर लेवे|
अब ये यूरिया-मोलासेस उपचारित चारा पशुओ को आवश्यकता अनुसार खिलाया जा चाहिए| शुरुवात में पशुओ को थोड़ी थोड़ी मात्रा में खिलाना शुरू करते है| एवं जब पशु अच्छे से खाने लगता है तब मात्रा बढ़ाई जा सकती है| इस प्रकार से उपचारित चारे को पशुओ को खिलाने से पशुओ के लिए आवश्यक प्रोटीन उसके पेट में रहने वाले जीवाणुओ द्वारा नाइट्रोजन को काम में लेकर उपलब्ध करवाई जाती है| इस उपचारित चारे को खिलाकर पशुओ का शारीरिक रखरखाव आसानी से हो सकता है एवं दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है|
यूरिया मोलासेस उपचारित चारा खिलाते समय सावधानिया :-
- यूरिया मोलासेस उपचारित चारे की मात्रा शुरू में कम देनी चाहिए फिर धीरे धीरे बढाई जानी चाहिए, इसमें नमी की मात्रा 10{44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56} से अधिक नहीं होनी चाहिए|
- यूरिया मोलासेस उपचारित चारे का निर्माण वैज्ञानिक विधियों से व निर्दिष्ट मात्रा के अनुसार ही होना चाहिए एवं इसका संग्रहण सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए|
- जुगाली ना करने वाले तथा छोटे बछड़े- बछडीयो (6 माह तक )को उपचारित चारा नहीं खिलाना चाहिए|
- कभी-कभी दुर्घटनावंश पशु द्वारा अधिक यूरिया का सेवन कर लेने से रक्त में अमोनिया का स्तर बढ़ जाता है, जिससे यूरिया विषाक्तता हो जाती है, इसके प्रमुख लक्षण मुंह से अधिक लार टपकना, आफरा आना, मांस पेशियों में ऐठन, पशु का लड़खड़ाना, श्वास लेने में दिक्कत इत्यादि है |
- यूरिया विषाक्तता के लक्षण प्रकट होते ही पशुचिकित्सक की सलाह से पशु को सर्वप्रथम 25 से 30 लीटर ठंडा पानी पिलाना चाहिए, फिर 100 से 200 मिलीलीटर सिरका दो से पांच लीटर पानी में पिलाना चाहिए |