ज्ञान, प्रेम और विश्वास से भरी खूबसूरत दुनिया बनाने का
सूरजगढ़, राष्ट्रीय साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में ग्राम काजड़ा में मनजीत सिंह तंवर के नेतृत्व में नव वर्ष के उपलक्ष में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में नव वर्ष पर युवाओं को दूध पिलाकर नशे से दूर रहने का आह्वान किया। सरपंच मंजु तंवर के नेतृत्व में वर्ष 2025 में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान शुरू करने का संकल्प लिया। सरपंच मंजु तंवर ने नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा- देश में महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है। नव वर्ष में देश हित में युवाओं को साथ लेकर नवाचार करने का प्रयास करेंगे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर 23 जनवरी को क्षेत्र में तिरंगा यात्रा निकाली जायेगी। गणतंत्र दिवस के 75 वर्ष पूरे होने पर सामूहिक कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा। भारतीय संविधान निर्माण पर भी एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया जायेगा। राष्ट्रीय युवा दिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा और युवाओं को राष्ट्रहित में कार्य करने के लिए प्रेरित किया जायेगा। कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानी आशा देवी आर्यनायकम की जयंती पर सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर विश्व में शांति स्थापित करने के साथ ही ज्ञान, प्रेम और विश्वास से भरी खूबसूरत दुनिया बनाने का संकल्प लिया। इस मौके पर स्वतंत्रता सेनानी और महान सामाजिक कार्यकर्ता आशा देवी आर्यनायकम व स्वतंत्रता सेनानी महादेव देसाई की जयंती मनाई। दोनों ही स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन देश की आजादी और महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्यों को आगे बढ़ाने में समर्पित किया था। इस अवसर पर प्रथम और द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने वाली महिला अधिकारों की समर्थक महान सामाजिक कार्यकर्ता और देश की प्रथम महिला सांसद राधाबाई सुबारायन को उनकी पुण्यतिथि पर याद किया। स्वतंत्रता सेनानी आशा देवी आर्यनायकम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने कहा- आशा देवी आर्यनायकम का जन्म 1 जनवरी 1901 को लाहौर में एक शिक्षित परिवार में हुआ था। उनके पिता फणी भूषण अधिकारी और माता सरजूबाला देवी दोनों ही शिक्षाविद् और धर्मनिष्ठ, धार्मिक लोग थे। आशा देवी के पिता दिल्ली में प्रोफेसर थे। आशा देवी ने भी उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद बनारस में वीमेंस कॉलेज में अध्यापन का कार्य किया। आशा देवी का परिवार रविंद्रनाथ टैगोर के करीब था और शांतिनिकेतन उनके लिए घर जैसा था। आशा देवी को शांतिनिकेतन में भी अध्यापन करने का मौका मिला। आशा देवी आर्यनायकम शांतिनिकेतन व सेवाग्राम और आजादी के आंदोलन से जुड़ी हुई महिला थीं। वे देश के लिए एक समर्पित महिला थीं, जिन्होंने अभिज्ञता को दूर करने के साथ ही ज्ञान, प्रेम और विश्वास से भरी दुनिया बनाने की कोशिश की। महात्मा गांधी की नई तालीम (बुनियादी शिक्षा) की योजना को आगे बढ़ाने में आशा देवी आर्यनायकम का विशेष योगदान रहा है। महात्मा गांधी के साथ सेवाग्राम वर्धा में रहते हुए उन्होंने नई पीढ़ी को नई तालीम देने, आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ ही गांधी जी के रचनात्मक कार्यों को आगे बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाई। महात्मा गांधी की हत्या के बाद आशा देवी फरीदाबाद चली गई और उन्होंने फरीदाबाद में शरणार्थियों की देखभाल की। बच्चों के लिए स्कूल शुरू किये और विनोबा भावे के भूदान आंदोलन से जुड़ गई। 1954 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया। पद्म श्री पुरस्कार पाने वाली आशा देवी आर्यनायकम प्रथम महिला थीं। उनका जीवन हमारे लिए प्रेरणादायक है। कार्यक्रम में धर्मपाल गांधी द्वारा लिखित पुस्तक “क्रांति का आगाज़” भेंट की गई। इस मौके पर आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी, शिक्षाविद् व सामाजिक कार्यकर्ता मनजीत सिंह तंवर, सरपंच मंजु तंवर, रायसिंह शेखावत, प्रकाश मेघवाल, प्रताप सिंह तंवर, विनोद सोनी, दरिया सिंह डीके, अनिल जांगिड़, होशियार सिंह सिंगाठिया, अशोक कुमावत, धीर सिंह नायक आदि अन्य लोग मौजूद रहे। सरपंच मंजु तंवर ने सभी का आभार व्यक्त किया।