जिले के दांतारामगढ़ तहसील के करणपुरा गांव के शहीद हरदेवा राम की उनके पैतृक गांव में मंगलवार को राजकीय सम्मान के साथ गार्ड ऑफ ऑनर देकर अन्त्येष्टि की गई। देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले अपने लाड़ले हरदेवा राम की शहादत को नमन करने के लिए गांव में ग्रामीण जनों का हुजूम उमड़ पड़ा, जहां देखों वहीं पर लोगों की कतारें लगी रही । शहीद के घर से जैसे ही अंतिम यात्रा रवाना हुई लोगों ने भारत माता की जय कारों, “जब तक सुरज चांद रहेगा, शहीद हरदेवा राम का नाम रहेगा“ के साथ पूरे गांव को गुंजायमान कर दिया। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा, धोद विधायक परसराम मोरदिया, जाट रेजीमेंट के सुरेश कुमार,राजकुमार, सोनू, विजय प्रकाश, जिला कलेक्टर सी.आर.मीना, उपखण्ड अधिकारी दांतारामगढ़ अशोक कुमार रणवां, डीवाईएसपी ग्रामीण कमल सिंह चौहान सहित अनेक लोगों ने शहीद को पुष्प चक्र र्अपित कर सलामी दी। शहीद हरदेवा राम की पार्थीव देह पैतृक गांव करणपुरा पहुंचने पर पारिवारिक रस्में अदा करने के बाद जाट रेजीमेंट की बटालियन व राजस्थान पुलिस के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया तथा हरदेवा राम के बड़े पुत्र नरेन्द्र ने मुखाग्नि दी। जाट रेजीमेंट के अधिकारियों ने तिरंगा शहीद के भाई श्रवण कुमार व पुत्र नरेन्द्र को र्अपित किया। शहीद की पत्नी वीरांगना भंवरी देवी तथा दो पुत्र बड़ा नरेन्द्र, छोटा सुरेन्द्र है। शहीद की माता कानी देवी जीवित है व पिता रामूराम भींचर का स्वर्गवास हो चुका है। शहीद के बड़े भाई रघुनाथ प्रसाद, गोपाल लाल, सेना से सेवानिवृत तथा श्रवण कुमार आर्मी में सेवारत है। रिछपाल व पप्पू लाल गांव में कृषि कार्य करते है।
– गांव में पूरे दिन से छाया रहा सन्नाटा- हरदेवा राम 110 मिड़ियम जाट रेजीमेंट में कार्यरत थे। आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही को लेकर हरदेवा राम और उनकी यूनिट अभ्यास में जुटी हुई थी। अभ्यास के दौरान हरदेवाराम अचैत होकर गिर गये। साथी जवानों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया। रविवार को ईलाज के दौरान हरदेवा राम का निधन हो गया। वे दो वर्ष से जम्मू कश्मीर में तैनात थे। जैसे ही उनके शहीद होने की सूचना मिली पूरे गांव में सन्नाटा पसरा रहा और गांव के समस्त प्रतिष्ठान बंद रहें। अपने लाल की अंतिम विदाई में जहां गम का माहौल था वहीं लोगों को उनके शहीद होने पर फक्र भी महसूस हो रहा था। शिक्षामंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि शहीदोें के कारण से ही हमारा देश एक है और अखंड है। शहीदों को देवता के रूप में पूजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शहीदों के त्याग, शौर्य बलिदान को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा ताकी आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिल सकेगी। धोद विधायक परसराम मोरदिया, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया ने शिक्षामंत्री को गांव के स्कूल का नामकरण शहीद के नाम से करने, शहीद की मूर्ति लगवाने तथा राज्य सरकार द्वारा शहीद परिवार को मिलने वाले पैकेज के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भिजवाने का आग्रह किया। शहीद की अन्त्येष्टि में धोद के पूर्व विधायक अमरा राम , पेमाराम, सरपंच रिछपाल बिजारणीयां, धोद प्रधान ओमप्रकाश झीगर, दांतारामगढ़ पूर्व प्रधान भंवर लाल वर्मा, रामेश्वर रणवां , जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कमाण्डर हीरसिंह सहित ग्रामीण महिला, पुरूष बड़ी संख्या में उपस्थित रहें ।