राज्य सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष (राज्य मंत्री) प्रेम सिंह बाजौर ने कहा है कि देश की रक्षा के लिये अपने प्राणों की आहुति देने वाले जवानों की शहादत को सदैव याद रखने के लिये हमें उन्हें व उनके परिजनों को सदैव मान-सम्मान करना होगा। उन्होंने कहा कि शहीदों के परिजनों के दुख-दर्द में भागीदार बनना हम सभी का फर्ज है। वे शुक्रवार को जिले की चिडावा पंचायत समिति की ग्राम पंचायत सारी के मालूपुरा गांव में शहीद प्रहलाद सिंह सोमरा की मूर्ति अनावरण समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमें शहीदों को देवताओं से कम नहीं मानना चाहिये और उनकी शहादत को धर्म से जोड़कर देवी-देवताओं की तरह पूजना चाहिये। राज्य सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष ने कहा कि उस जमाने में जिन लोगों ने चमत्कारिक कार्य किये थे, इसी लिये उन्हें आज हम देवी-देवता के रूप में पूजते हैं, लेकिन हमारे शहीदों ने यहीं पर पढ़े-लिखे और सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा के लिये अपने प्राण न्योछावर किये हैं और इन सबको देखा है। इन्होंने लड़ाई के दौरान यह नहीं देखा कि सामने वाला किस जाति और धर्म का है। हमारे जवानों ने दुश्मन को सामी छाती गोली मारी है और कभी भी पीठ नहीं दिखाकर सामी छाती ही गोली खाकर वीर गति को प्राप्त हुए है।
उन्होंने कहा कि हमारे जवानों ने विकट परिस्थितियों में सीमा पर डटे रहकर दुश्मन का मुकाबला किया है और दुश्मन को भारत की धरती पर पैर नहीं रखने दिया। उन्होंने भारत की धरा को धन्य बताते हुए कहा कि जिस गांव में शहीद होता है, वह गांव भी भाग्यशाली है और शहीदों की शहादत की वजह से ही हमारा देश सुरक्षित है। बाजौर ने ग्रामीण महिलाओं से कहा कि जब गांव से दुल्हे की बारात रवाना हो तो दुल्हा शहीद की मूर्ति के समक्ष धोक लगाये और जब दुल्हन लेकर आये तो उसे भी यहां धोक लगावाई जाये और जब घर में गाय, भैंस, बकरी आदि बीमार हो तो शहीद के नाम से नारियल रखा जाये और ठीक होने पर मूर्ति पर वह नारियल चढ़ाया जाये। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 1999 से पहले शहीद हुए सैनिकों के रक्त संबंधी (ब्लड रिलेशन) के एक व्यक्ति को नौकरी लगायेगी।
समारोह की अध्यक्ष व सांसद संतोष अहलावत ने कहा कि झुंझुनू की मिट्टी के कण-कण में वीरता रची-बसी है और यहां के लाडलों ने लड़ाई के दौरान कभी भी पीठ नहीं दिखाई है। उन्होंने कहा कि यहां के सैनिकों ने मां के दूध को लज्जित भी नहीं होने दिया। श्रीमती अहलावत ने कहा कि यहां की वीरांगनाओं के जज्बे को सलाम करना पड़ेगा कि एक जवान के शहीद होने पर उसके आंसू सूख भी नहीं पाते हैं और वे अपने दूसरे लाडले को सेना में भेजने के लिये तैयार रहती है। उन्होंने कहा कि झुंझुनू वह जिला है जिसने सेना में सर्वाधिक भागीदारी और शहादत देकर देश में जिले का गौरव बढ़ाया है।
इस अवसर पर शहीद वीरांगना श्रीमती परमेश्वरी देवी एवं शहीद के भाई व लड़के को भी शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। आसपास के तीन अन्य वीरांगनाओं को भी बाजौर ने शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। समारोह में मुकेश दाधीच, विश्वम्भर पूनिया, सरजीत चौधरी, राजेश बाबल, जाकिर भाई ने भी अपने विचार व्यक्त किये। समारोह में शहीद सम्मान यात्रा के कर्नल जगदेव सिंह, समाज सेवी विनोद कुमार झाझड़िया, ग्राम सरपंच सुनील, महिपाल नूनिया, जिला परिषद सदस्य सुमित्रा सिंह, समाजसेवी सुशील शर्मा सहित अनेक संख्या में अधिकारी एवं महिला पुरूष उपस्थित थे।