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खेतड़ी में ट्रस्ट के नाम पर कुछ लोग जबरन संपतियों पर कर रहे है कब्जा, ग्रामीणों ने एसडीएम को ज्ञापन देकर की कार्यवाही की मांग

उपखंड अधिकारी को ज्ञापन देते ग्रामीण

खेतड़ी[हर्ष स्वामी ] कस्बे में इन दिनों ट्रस्ट के नाम पर ठिकाने के पूर्व की संपति पर जबरन कब्जा करने के लिए कुछ लोग ग्रामीणों को डरा धमकार महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार कर रहे है। दबंगो से परेशान आक्रोशित ग्रामीणों ने उपखंड अधिकारी संजय कुमार वासु के मार्फत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर उक्त लोगो के खिलाफ कानुनी कार्यवाही करने की मांग की है। उपखंड अधिकारी कोदिए गए ज्ञापन में बताया कि खेतड़ी कस्बे में ठिकाने के समय की काफी विवादित संपति है। जिसको लेकर इन दिनो कुछ लोग ट्रस्ट का आदमी बताकर लोगों को डरा, धमका रहे है तथा पूर्व में बनी दूकानों व मकानों के नाम पर अवैध वसूली कर रहे है, वही जगह-जगह बोर्ड व पत्थर पटिटका लगाकर समंति पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे है। ट्रस्ट के आदमी बताकर समंति को अपने अधिकार क्षेत्र में लोगों से लेने के लिए रूपए की भी डिमांड की जा रही है तथा किसी के द्वारा रूपए नही देने तथा संपति को अपना बताने पर उनको प्रताडित किया जा रहा है। ग्रामीणों ने उपखंड अधिकारी को दिए ज्ञापन में बताया कि कुछ दिन पूर्व कस्बे के वार्ड 8 के हनुमान मंदिर के पास अविनाश जौहरी व चेनसिंह आठ-दस लोगों के साथ फावड़ा, गैती व लाठी लेकर ठिकाने के समय कवि रहे भैरू लुहार के घर आए तथा उनके मकान के सामने बनी दूकानों को ट्रस्ट की बताकर तालाबंदी कर फोटोग्राफी करने लगे। इस पर जब भैरू लुहार के परिजनों ने ऐसा करने का कारण पुछा तो दुकानों को ट्रस्ट की बताकर रूपए की डिमाड की ऐसा नही करने पर उन्होनें महिलाओं के साथ गाली-गलौच कर घर से बाहर निकालकर जुलुस निकालने की धमकी दी तथा दूकानों को जल्द खाली कर देने की बात कही। इससे पूर्व उक्त लोग वार्ड 19 में लक्ष्मण कुमावत के घर पर जाकर भी धमकी दी तथा बेटी के शादी में जयनिवास कोठी की जमीन में लगाए गए टेंट के एक लाख रूपए किराए के रूप में वसूल कर लिए तथा उसकी रसीद भी नही दी गई। ऐसे में ट्रस्ट के नाम पर हो रही दबगाई से परेशान ग्रामीणों ने एसडीएम से कानुनी कार्यवाही करने की मांग की है। इस मौके पर लक्ष्मण कुमावत, बजरंग सिगलीकर, पार्षद नरेश शास्त्री, गजेंद्र पारीक, ग्यारसीलाल, रामअवतार सैनी, विमला देवी, कमला देवी, भंवरी देवी, सरला देवी, सुमन देवी सहित अनेक लोग मौजूद थे।

यह है पूरा मामला

खेतडी रियासत का कोई वारिस नही होने के कारण सरकारी संपति घोषित कर दिया था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह संपति करीब दौ हजार करोड रूपए की है। इतिहास के जानकारो ने बताया कि वर्ष 1870 से लेकर 1901 तक राजा अजीत सिंह खेतड़ी का राजा थे तथा इस ठिकाने के आखिरी राजा सरदार सिंह बहादूर थे। राजा सरदार सिंह बहादूर की मौत के बाद यह संपति राज्य सरकार के सरंक्षण में है। राजस्थन एस्चीटस रेग्यूलेशन एक्ट के तहत सरकार ने इसकों अपनी प्रॉपर्टी माना तथा उतराधिकारी के अभाव में सारी प्रापर्टी सरकार के अधीन आ गई। इसके बाद से खेतड़ी ट्रस्ट, सरकार के बीच लंबी कानुनी लड़ाई चल रही है।

जिस दूकानों पर कब्जा लेने गए थे वे राजा के दरबार में थे कवि

ट्रस्ट के नाम पर जिन दूकानों पर कब्जा लेने गए थे वे दुकान राजा के दरबार के कवि रहे भैरू लुहार थी। भैरू लुहार के वंशज बजरंग लुहार व ग्यारसीलाल ने बताया कि उनके पूर्वज भैरू लुहार खेतड़ी ठिकाने के राजा के दरबार के प्रसिद्ध कवि हुआ करते थे, जिस पर राजा ने उनको जागीरदार भी बनाया था, क्योकि लुहारू की युद्व में कवि भैरू लुहार ने अहम भूमिका निभाई थी। जिस पर खेतड़ी के राजा ने उक्त दुकानों व क्षेत्र में कई स्थानों पर जमीन देकर जागीरदार बनाया था और राजा की सवारी निकलती थी तब कवि भैरू लुहार व उनके वंशज खेतड़ी रियासत का निशाल लेकर सबसे आगे हाथी पर बैठकर चलते थे। इस बारे में इतिहास कारो का तो यह भी कहना है कि कवि भैरू लुहार द्वारा युद्व में फतेह हासिल करने पर एक दिन का राजा भी बनाकर सम्मान किया था।

 

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