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सीकर में जलभराव व बाढ़ की संभावना के मद्देनजर सुरक्षात्मक प्रबन्धन करने के निर्देश

  जिला कलेक्टर नरेश कुमार ठकराल ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्ष 2018 राज्य में जून माह में सक्रिय होने की संभावना के मद्देनजर, जनधन के सुरक्षात्मक उपाय के लिए सभी विभागों द्वारा उचित प्रबन्धन किये जाने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश  दिए हैं कि  मौसम विभाग द्वारा नियन्त्रण कक्ष स्थापित किया जायेगा। डी.आर.एस.एस. स्टेशन पूर्णतः कार्यशील   रखेंगे। सिचाई विभाग 15 जून से बाढ़ नियन्त्रण कक्ष स्थापित करेगा तथा जिले के संवेदनशील एवं संकटग्रस्त क्षेत्रों का सामना करने के लिए कार्य योजना बनायेंगे व उपलब्ध वायरलैस सैटों को  कार्यशील रखेंगे तथा नावों, रक्षा पेटियोें, रस्सों , मशालों, टॉर्चों की व्यवस्था करायेंगे। गैर सरकारी संगठनों की पहचान कर उनके पास उपलब्ध संसाधन, सामग्री का सुनिश्चितीकरण कर आपदा की स्थिति में उनका उपयोग करने की व्यवस्था करायेंगे।  सिचाई विभाग वर्षाकाल में नदियां, बांधों, तालाबों आदि पर निरन्तर भ्रमण करते हुए आने वाले संकट के विषय में अग्रिम चेतावनी देने का कार्य करेंगे। बांध के गेट खोलने वाले तथा तकनिकी रूप से दक्ष कर्मचारियों की सूची बनाकर अपने कार्यस्थल पर तैनात रहने के लिए पाबन्द किया जावे और नावें, रस्से तथा अन्य उपकरण आदि की बाढ़ सम्भावित केन्द्रों पर उपलब्धता सुनिश्चित की जावे।  उन्होंने जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को निचले क्षेत्रों से पानी निकालने के लिए पम्प सैटों की व्यवस्था सुनिश्चित की जावे तथा पेयजल की व्यवस्था व पेयजल स्त्रोतों के क्लोरीफिकेशन की समुचित व्यवस्था की जावे, ताकि दूषित पेयजल जनित बीमारियां फैलने की सम्भावना न रहें। व्यवस्था व वितरण के स्थान का उल्लेख आदि सूचनाओं की  पारदर्शिता के साथ-साथ उनकी उपलब्धता की व्यवस्था करवायें।   उन्होंने नगरपरिषद एवं नगरपालिओं को नालियों की मरम्मत एवं नालों की सफाई की व्यवस्था 15 जून से पूर्व कर करने के निर्देश  दिए । उन्होंने कहा की निचले स्तर से  प्रभावित व्यक्तियों, बस्तियों को ऊंचे क्षेत्रों में अस्थायी रूप से रहने के लिए वहां स्थित धर्मशाला, सार्वजनिक स्थल आदि को चिन्हित करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जावे। वर्ष के एकत्रित पानी को निकालने के लिए पम्प सैटों का प्रबन्ध करने, मृत पशुओं, मलवा, कचरा आदि को हटाने  एवं सुरक्षात्मक स्वास्थ्य उपाय, जैसे- मलेरिया रोधी उपाय, कटे हुए फलोें और सब्जियों को खुले में विक्रय पर प्रतिबन्ध आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जावे। मौसमी बिमारियां, हैजा, पीलिया, मलेरिया, त्वचा संबंधि बिमारियांं, फूड पॉइजनिंग आदि के इलाज के लिए पर्याप्त मात्रा में दवाईयां उपलब्ध रखी जावें। दुषित जल से बचाव व क्लोरिन की पर्याप्त व्यवस्था रखी जाए। जिला स्तरीय नियंत्रण कक्ष का टॉल फ्री नम्बर 1077 को  निरन्तर दुरूस्त रखा जावे,  होमगार्ड  एवं आर.ए.सी की प्रशिक्षित व अन्य कम्पनियां तैयार रखी जावे। पर्याप्त जीवन रक्षक यंत्रों जैसे जैकिट रस्से, टार्च, संचार तंत्र की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाए तथा कन्टीजेन्सी प्लान तैयार किया जावें।

उन्होंने विद्युत विभाग को निर्देश दिए है कि विद्युत व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए आवश्यक उपकरण पोल, कण्डक्टर आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जावे। यदि कहीं पर ट्रांसफारमर जमीन पर पडे है तो उन्हें डी.पी. पर रखवाया जावे । ढ़ीले तारों को कसाया जावें व कनेक्शनों को टाईट किया जाए। आपदा प्रबन्धन एक्शन प्लान का एक बार रिव्यू कर लें। आपदा प्रबन्धन के लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों के  साथ, संभावित खतरे वाले स्थानों का दौरा कर लें सभी महत्वपूर्ण टेलीफोन नम्बरों की सूची बनाकर आपदा प्रबन्धन से जुडे़ सभी कर्मचारियों, अधिकारियों को उपलब्ध करावें तथा पशुपालन विभाग बाढ़़ के समय पशुओं में फैलने वाली बीमारियों के इलाज के लिए पर्याप्त दवाईयों की व्यवस्था सुनिश्चित की जावे। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चारे, पशु आहार की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए एवं मृत पशुओं का सुरक्षित निस्तारण करने का स्थान भी सुनिश्चित करें।

उन्होंने  सार्वजनिक निमार्ण विभाग को निर्देश दिए है की ऎसे सार्वजनिक भवनों की पहचान की जाए जो वर्षाकाल में गिर सकते है । सड़क मार्ग से गुजरने वाले नदी-नाले, रपट, कलवर्ट आदि पर होकर वर्षा का पानी बह रहा हो तो उन स्थानों को चिन्हित कर दोनों और साईनबोर्ड लगाकर यातायात प्रतिबन्धित किया जाये। संभावित खतरों वाले रपट, पुलियाओं  पर लोहे की जंजीर की व्यवस्था की जावे। विभागीय अधिकारी मानसून के समय बिना जिला कलेक्टर की अनुमति के  मुख्यालय नहीं छोडे़।

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