श्री कृष्ण सत्संग बालिका महाविद्यालय में पं. राधाकृष्ण दीक्षित महोदय की स्मृति में ’’वैदिक साहित्य में समन्वय भावना’’ विषय पर संस्कृत भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में 7 विद्यालय एवं महाविद्यालय के प्रतिभागियों ने भाग लेकर वैदिक साहित्य में समन्वय भावना के संदर्भ में अपने विचार प्रस्तुत किए। निदेशक डॉ. गोरधन सिंह शेखावत ने पं. राधाकृष्ण दीक्षित के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आप संस्कृत के प्रखर विद्वान थे। आपने संस्कृत एवं बालिका शिक्षा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्राचार्य डॉ. सम्पत शर्मा ने अपने उद्बोधन के माध्यम से बताया कि वैदिक साहित्य कर्तव्य निर्वाह एवं समन्वय की शिक्षा देता है। यदि व्यक्ति समाज में रहकर ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्य का निर्वाह करता है साथ ही सामांजस्य बनाकर चलता है, तो समाज सगंठित होता है। मुख्य अतिथि रामदत्त शास्त्री ने आयुर्वेद एवं ज्योतिष के विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया भारत सदैव से ही महान है। कार्यक्रम की अध्यक्ष सुनीता पाण्डेय ने बताया कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। संस्कृत से ही संस्कृति जीवित है।