झुंझुनूताजा खबर

बीमार डिस्पेंसरी की छत, इलाज शुरू करवा दिया फर्श का

भवन के ट्रस्ट के केयरटेकर ने लगाया सरकारी पैसे के दुरुपयोग का आरोप

झुंझुनू, सरकारों द्वारा विकास कार्य के लिए बहुत बड़ी राशि आवंटित की जाती है लेकिन इसके जो मातहत कर्मचारी और अधिकारी हैं वह जानबूझकर या अनजाने में बजट का सही उपयोग नहीं कर पाते हैं जिसके चलते वांछित परिणाम देखने को नहीं मिलते हैं । इसी का एक उदाहरण है झुंझुनू शहर के गांधी चौक के पास स्थित सिटी डिस्पेंसरी नंबर वन का । आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह वही भवन है जहां पर कभी जनाना अस्पताल चलाया जाता था । स्थिति देखने पर बिल्कुल वैसी ही है कि डिस्पेंसरी की छत बीमार थी और अधिकारियों ने इलाज शुरू करवा दिया फर्श का । भवन के ट्रस्ट की देखभाल करने वाले जगदीश प्रसाद जांगिड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि अस्पताल की छत से पानी टपक रहा था पाइप लाइनें क्षतिग्रस्त हैं खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं भवन का रंग बदरंग हो चुका है इन सभी चीजों के लिए बजट दिया गया था लेकिन अधिकारियों ने इन स्थानों पर बजट का उपयोग नहीं कर के अस्पताल के कमरों में जो कोटा स्टोन का मजबूत फर्श डाला हुआ था उसके ऊपर ही टाइलें डलवाने शुरू कर दी । जगदीश प्रसाद जांगिड़ ने केयरटेकर होने के नाते हिम्मत की तो संबंधित अधिकारियों को पैर पीछे खींचने पड़े । जगदीश प्रसाद जांगिड़ का आरोप है कि जहां पर पैसे को खर्च किया जाना था वहां पर पैसे को खर्च नहीं किया जाकर सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है ।सबसे पहले छत की मरम्मत का कार्य किया जाना था लेकिन अच्छे भले कोटा स्टोन के फर्श के ऊपर टाईल्स डलवाने का काम शुरू कर दिया गया । वहीं उन्होंने बताया कि सिटी डिस्पेंसरी बनने के बाद में इस में आने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ गई थी लेकिन बदहाल स्थिति के चलते इसी तरीके से काम किया जाता रहा तो कोई भी मरीज यहां आना पसंद नहीं करेगा । उनका आरोप था कि आने वाले बजट का सही उपयोग नहीं किया जाता जिसके चलते सरकार का जो पैसा है वह धूल में मिल जाता है और अस्पताल के विकास कार्य में नहीं लग पाता । वहीं इस मामले में सीएमएचओ ऑफिस के एईएन रामबाबू यादव से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि एक कमरे की टाइलें लगवानी हमने शुरू कर दी थी बाकी अब मुख्य कार्य सेनेटरी वाटर सप्लाई, टूटी हुई वॉल टाइल को बदलवाने, रंगाई पुताई का काम किया जाएगा । बाकी बचे हुए बजट के पैसों से व एक लाख और जो सेशन होने हैं उनको मिलाकर नए टेंडर जारी करके छत की मरम्मत का कार्य पूरा करवा दिया जाएगा । इस प्रकार देखा जाए तो भवन के ट्रस्टी जगदीश प्रसाद जांगिड़ की जागरूकता और सूझबूझ से ही हो रहे हैं अदूरदर्शी कार्य को रोका जा कर सरकारी पैसे का दुरुपयोग होने से बचा लिया गया । वहीं अस्पताल की हालत इसके खिड़कियों के टूटे शीशे, टपकती छत, पानी सप्लाई की व्यवस्था को लेकर परेशान होते लोग ही बयान कर देते है । लेकिन एक जागरूक ट्रस्ट की देखभाल करने वाले जगदीश प्रसाद जांगिड़ की सजगता से सही समय पर काम को सही दिशा देने का प्रयास किया गया । जिसके चलते अब सरकार का पैसा सही मद में खर्च हो सकेगा । ऐसी ही सजगता और जागरूकता हमारे देश का आम आदमी दिखाने लगे तो वास्तव में सरकारी राशि के दुरुपयोग को रोका जा सकता है ।

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