बिना किसी जान-पहचान के करते हैं अपने रक्त का निशुल्क दान. ब्लड मैचिंग नहीं होने पर सोशल मीडिया पर करते हैं सूचना वायरल
अस्पताल में भर्ती हुए सैकड़ों रोगियों को दे चुके हैं अब तक ब्लड, छुपे हुए हीरो की तरह काम करने वाले युवा तारीफ से रहते हैं दूर
रतनगढ़, [सुभाष प्रजापत ] रक्तदान महादान है और इस कार्य के लिए क्षेत्र की स्वयंसेवी संस्थाएं समय-समय पर क्षेत्र में शिविर भी आयोजित कर जरूरतमंदों को रक्त की उपलब्धता करवाती है। लेकिन कभी-कभार ऐसा समय भी आता है, जब अस्पताल में भर्ती रोगी को तुरंत रक्त की आवश्यकता होती है और उस ग्रुप का ब्लड अस्पताल प्रशासन के पास उपलब्ध नहीं होता। ऐसे में वे लोग आगे आते हैं, जो बिना किसी स्वार्थ के जरूरतमंद को अपना रक्त दान कर वापिस भीड़ में गुम हो जाते हैं। अंजनी माता मंदिर के पास बिल्डिंग मेटेरियल का व्यापार करने वाले 36 वर्षीय युवक अनिरूद्ध दायमा ने 2004 से अब तक तक दर्जनों बार अपने रक्त का दान किया है। दायमा को जब भी किसी जरूरतमंद का फोन आता है, तो वे बिना समय गवाएं अस्पताल पहुंच जाते हैं तथा अपने रक्त का दान करते हैं। दायमा ने बताया कि वह बीकानेर, सूरतगढ़, जयपुर में भी पहुंचकर रक्तदान कर चुके हैं। ब्लड ग्रुप मैचिंग नहीं होने पर वे अपने परिचितों से संपर्क करते हैं और अगर वहां भी बात नहीं बनती, तो सोशल मीडिया का सहारा लेकर ब्लड की आवश्यकता पूर्ति करते हैं। उन्होंने अस्पताल में भर्ती होने वाले अब तक सैकड़ों रोगियों की आवश्यकता की पूर्ति की है। वहीं क्षेत्र में ईगल फाउंडेशन के नाम से संचालित संस्थान के जिलाध्यक्ष सुभाष सोनी भी इस कार्य में पीछे नहीं है। जब भी उन्हें पता चलता है कि अस्पताल में भर्ती रोगी को ब्लड की आवश्यकता है, तो वे अस्पताल पहुंचकर इस कार्य को बिना किसी स्वार्थ के पूरा करते हैं। प्रचार-प्रसार से दूर रहकर सोनी पिछले कई महिनों से यह कार्य कर रहे हैं तथा इस कार्य में उनका फाउंडेशन के अन्य सदस्य भी सहयोग प्रदान करते हैं। जिला अस्पताल में गोलसर निवासी बबीता मेघवाल को हाल ही में फांडेशन के सदस्यों द्वारा रक्त उपलबध करवाया गया है।