चूरू, विश्व की प्रथम होम्योपैथी यूनिवर्सिटी, जयपुर के प्रथम दीक्षान्त समारोह के मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू का शेखावाटी में होम्योपैथी के पुरोधा, होम्योपैथी यूनिवर्सिटी जयपुर की बोर्ड ऑफ मैनेजमेन्ट के मेम्बर डॉ. अमर सिंह शेखावत ने मैंनेजमेन्ट बोर्ड की ओर से उपराष्ट्रपति को गुलदस्ता भेंटकर हार्दिक स्वागत किया। उपराष्ट्रपति ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारा अस्तित्व मां, जन्मभूमि, मातृभाषा, मातृ देश और गुरू से है इसलिए हमें इन पांचों सत्यों को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होने कहा कि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति बिना साइड इफैक्ट वाली, स्थाई इलाज करने वाली, सस्ती, वैज्ञानिक तथा कारगर पद्धति है। बीमारियों के लिए होम्योपैथी उपचार की मांग के अलावा इसे निवारक और उपचारात्मक देखभाल के लिए अपनाया जा रहा है। होम्योपैथी को मधुमेह, हृदय रोग, स्ट्रोक और अन्य जीवनशैली संबंधी बीमारियों की स्क्रीनिंग और रोकथाम में भी स्वीकृत किया गया है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोग किफायती स्वास्थ्य देखभाल की तलाश में हैं और होम्योपैथी निश्चित रूप से दवा की वैकल्पिक प्रणाली के रूप में है। समारोह के विशिष्ट अतिथि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री राजस्थान सरकार कालीचरण सराफ एवं डॉ. मनोज राजोरिया एम.पी. ने कहा कि विश्व की चिकित्सा में होम्योपैथी विशिष्ट पद्धति है, यह कम खर्चीली है तथा इसके माध्यम से रोग को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। इस अवसर पर डॉ. गिरेन्द्र पाल होम्योपैथिक अस्पताल एवं रिसर्च सेन्टर जयपुर का अतिथियों ने लोकार्पण किया। दीक्षान्त समारोह होम्योपैथी यूनिवर्सिटी के संस्थापक व चेयरपर्सन डॉ. गिरेन्द्र पाल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। होम्योपैथी के विकास में अपने सम्पूर्ण जीवन में समर्पित सेवाओं के लिए डॉ. पाल को लाईफ टाइम एचिवमेन्ट अवार्ड प्रदान कर सम्मानित किया। भव्य दीक्षान्त समारोह में बीएचएमएस, एमडी तथा पीएचडी के विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई। प्रारंभ में प्रेसीडेन्ट डॉ. सी.बी.नायक ने स्वागत भाषण दिया तथा रजिस्ट्रार डॉ. तारकेश्वर जैन ने आभार जताया। सचिव डॉ. के.सी. भिण्डा, डॉ. शिशिर माथुर, डॉ. श्रीमोहन शर्मा, डॉ. बिडवाकर, डॉ. अतुल सिंह आदि ने आयोजकीय भूमिका अदा की। समारोह में राजस्थान के अतिरिक्त सम्पूर्ण देश के अनेक वरिष्ठ होम्योपैथ्स व विशिष्टजनों ने शिरकत की।