अंतर्राष्ट्रीय स्तर के फ़िल्म महोत्सव में चयनित होने वाली यह एकमात्र राजस्थानी फ़िल्म
लक्ष्मणगढ, यहां के निवासी विवेक पारीक और डूण्डलोद की किस्मत बानो अभिनीत राजस्थानी भाषा की लघु फिल्म “डेजर्ट डैजी” का एम्सटर्डम फ्रीडम फिल्म फेस्टिवल व दिल्ली इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल – 2022 में चयन हुआ है। उल्लेखनीय है कि इन अंतर्राष्ट्रीय स्तर के फ़िल्म महोत्सव में चयनित होने वाली यह एकमात्र राजस्थानी फ़िल्म है। फिल्म के लेखक-निर्देशक डाॅ. कुमार राजीव ने बताया कि यह फ़िल्म सहज मानवीय संवेदनाओं पर केंद्रित है। आज के दौर में इंसान वर्तमान को ताक पर रख कर भविष्य का ताना बाना बुन रहा हैं जबकि उसके अगले पल का ही ठिकाना नहीं। ग्रामीण पृष्ठभूमि में पली-बढ़ी असाध्य रोग से पीड़ित एक शिक्षित लड़की की जीने की ललक के मूल कथानक वाली यह फिल्म नायिका प्रधान है और इसका छायांकन जोधपुर जिले में किया गया है। फिल्म की अवधि 34 मिनट की है। फिल्म की नायिका किस्मत बानो के किरदार का नाम सपन है जो आईआईटी की छात्रा है जबकि नायक विवेक पारीक के किरदार का नाम जोरा है जो गांव में लकड़हारा एवं गडरिया है।
फिल्म के अन्य कलाकार हैं- ममता माथुर, पंकज सिंह तंवर, पूजा जोशी व स्वरू व्यास। फ़िल्म की तकनीकी टीम के डी.ओ.पी. आमिर अली हैं जबकि डी.आई. कलरिस्ट एक जाने माने फोटोग्राफ़र सफात अली हैं जिन्होंने वर्ष 2022 का ट्राईरिनबर्ग गोल्ड मेडल जीता है जिसे फ़ोटोग्राफ़ी का ऑस्कर कहा जाता है। फ़िल्म में मुख्य सहयोग मशहूर राजस्थानी फ़िल्म मेकर आनंद सिंह चौहान व शराफ़त अली का रहा जिनकी फ़िल्म वॉशिंग मशीन अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अवार्ड विनिंग फ़िल्म है।
डूण्डलोद की मूल निवासी किस्मत बानो का परिवार गुवाहाटी में रहता है। उनके पिता लियाकत अली का वहां फलों का बड़ा व्यवसाय है। क़िस्मत की शिक्षा भी गुवाहाटी में हुई है। सम्प्रति वह मुंबई के सिनेमा जगत में सक्रिय है। विवेक पारीक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सेवानिवृत्त सहायक निदेशक राजकुमार पारीक के अनुज मुकेश पारीक (हाल निवासी डूण्डलोद) के पुत्र हैं और उन्होंने जोधपुर से एमटेक किया है। वे शेखावाटी जनपद के वीर रस के युवा कवि और मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं। विवेक पिछले 10 वर्षों से थियेटर जगत में सक्रिय हैं और उन्होंने भारत सरकार के गीत एवं नाटक प्रभाग द्वारा ध्वनि एवं प्रकाश शो के अन्तर्गत मंचित “जमुनिया” में भी अभिनय किया है। वे काशी हिंदू विश्वविद्यालय सहित देश के कई संस्थानों में अपने नाटकों का प्रदर्शन कर चुके हैं। वर्ष 2015 में उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के प्रोफ़ेसर्स द्वारा आयोजित कार्यशाला प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था।