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व्यक्ति अपनी जीवन शैली को प्रकृति से जोड़कर दीर्घायु और स्वस्थ जीवन जी सकता है-झुंझुनू कलेक्टर

व्यक्ति अपनी जीवन शैली को प्रकृति से जोड़कर दीर्घायु और स्वस्थ जीवन जी सकता है। आज हर व्यक्ति का खान-पान और तौर तरीका प्रकृति से बहुत दूर हो गया है, इसीलिये हमारा शरीर अनेक बीमारियों का घर बन गया है। आज हर व्यक्ति मानसिक तनाव से पीड़ित है, उस दबाव को एक-दूसरे से शेयर करके कम किया सकता है। जिला कलक्टर श्री दिनेश कुमार यादव मंगलवार को जिला परिषद सभागार में महाराष्ट्र के नागपुर के नेशनल एज्यूकेशन स्वयं सेवी संस्थान द्वारा आयोजित जिला स्तरीय अधिकारियों की एक कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा एवं शारीरिक श्रम को महत्वपूर्ण बताया। श्री यादव ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा एवं जीवन शैली से ही लोगों को जीवन की व्याधियों से निजात मिल सकती है। उन्होंने बताया कि बीमारियों की वजह ़ आज का खान-पान और शरीर को शुद्ध आॅक्सीजन का अभाव ही मुख्य कारण है।
कार्याशाला में डाॅ. नीलेश चरपे ने दवा मुक्त जीवन, बेहतर जीवन शैली और स्ट्रेस मनेजमेंट के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि हमारा संस्थान दवा मुक्त जीवन के लिये लोगों को जागरूक करने का अभिनव प्रयास कर रहा है। कार्यशाला में डाॅ. नीलेश चरपे ने विभिन्न प्राकृतिक नुस्खों से केंसर, आंखों की बीमारियों, पत्थरी, डायबिटिज, हाई एवं लो ब्लड प्रेशर, हार्ट अटेक, ब्रेन हेमरेज सहित अनेकों बीमारियों का घरेलू एवं प्राकृतिक उपचारों की विधियां गिनाते हुए बताया कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन सुबह मार्निंग वाॅक करनी चाहिये। उन्होंने माॅर्निंग वाॅक करने का कारगर तरीके की चर्चा करते हुए बताया कि कई लोगों को मार्निग वार्क के टिप्स का पूर्ण ज्ञान नहीं होने के कारण उसका पूरा फायदा नहीं मिल पाता है। यदि व्यक्ति कायदे से माॅर्निंग वाॅक करे तो उसे कोई बीमारी ही न हो।
उन्होंने बताया कि व्यक्ति बिना दवा के योगाभ्यास, प्राणायाम, एक्यूप्रेसी, हर्बल थेरेपी, मेगनेट थेरेपी द्वारा भी स्वस्थ रह सकता है। उन्होंने मार्निग वार्क के शरीर के लिए उपयोगी 5 अलग-अलग तरीके भी बताए। उन्होंने घर में उपयोग होने वाली रसायनिक खाद की फलों एवं सब्जियों के बारे में बताया कि इन सबको नमक के पानी से धोने के बाद शु़द्ध पानी में साफ करके ही यूज लेनी चाहिए।
इसके अलावा डाॅ चरपे ने हार्ट अटेक से बचने के लिए भोजन में यूज होने वाले तेल को भी शेड्यूल बनाकर अलग-अलग माह में अलग-अलग तेल के उपयोग करने की सलाह उन्होंने चुम्बकीय चिकित्सा को बेहतर बताते हुए कहा कि इस प्रद्धति से काफी हद तक शरीर को लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि जो चुम्बकीय बेड 2 से 3 लाख में उपलब्ध होता है, उसे आप मात्रा 15 हजार के कम खर्चे में घर पर भी डिजाइन कर सकते हों।
कार्यशाला में जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव, अतिरिक्त जिला कलेक्टर मुन्नीराम बागडिया, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रतिष्ठा पिलानियां, महिला विभाग के उपनिदेशक रामावतार वैद्य, महिला अधिकारिता विभाग के सहा. निदेशक विप्लव न्यौला, आयुर्वेद अधिकारी सहित सभी जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।

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