रतनगढ़, [सुभाष प्रजापत ] स्थानीय ग्रामीण किसान छात्रावास स्थित सेमिनार हॉल में महाराजा सूरजमल की पुण्यतिथि को शौर्य दिवस के रूप में मनाया गया। छात्रावास अध्यक्ष सुल्तान सिंह भींचर की अध्यक्षता में आयोजित हुए कार्यक्रम में महाराजा सूरजमल की तस्वीर पर पुष्प अर्पित करते हुए श्रृद्धांजलि दी गई। जाट बौद्धिक मंच सचिव महेंद्र डूडी में बताया कि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंचस्थ जाट बौद्धिक मंच अध्यक्ष मुकंदाराम नेहरा ने कहा कि महाराजा सूरजमल राजस्थान के भरतपुर के राजा थे। उनका शासन जिन क्षेत्रों में था वे वर्तमान समय में भारत की राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश के आगरा,अलीगढ़,फ़िरोज़ाबाद, एटा, राजस्थान के वह भरतपुर, धौलपुर,हरियाणा के गुरुग्राम, रोहतक, झज्जर, रेवाड़ी, मेवात जिलों के अन्तर्गत हैं। राजा सूरज मल में वीरता, धीरता, गम्भीरता, उदारता, सतर्कता, दूरदर्शिता, सूझबूझ, चातुर्य और राजमर्मज्ञता का सुखद संगम सुशोभित था। मेल-मिलाप और सह-अस्तित्व तथा समावेशी सोच को आत्मसात करने वाली भारतीयता के वे सच्चे प्रतीक थे। संबोधित करते हुए योगाचार्य पवन जोशी ने कहा कि महाराजा सूरज मल के समकालीन एक इतिहासकार ने उन्हें ‘जाटों का प्लेटो’ कहा है। इसी तरह एक आधुनिक इतिहासकार ने उनकी स्पष्ट दृष्टि और बुद्धिमत्ता को देखने हुए उनकी तुलना ओडिसस से की है। संबोधित करते हुए अंबेडकर शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष शिवाराम मेघवाल ने कहा कि वह एक महान नेता, सेनानी, राजनयिक और अपने समय के एक महान राजनेता थे।
उन्होंने हिंदू और मुसलमानों के विभिन्न गुटों को एकजुट किया तथा उनमें एकता स्थापित की। संबोधित करते हुए विनोद प्रजापत ने कहा कि सूरजमल ने अन्य धर्मों के राजाओं द्वारा बनाए गए ऐतिहासिक स्मारकों की देखभाल की और लोगों को योग्यता के अनुसार उच्च पदों पर नियुक्त किया, चाहे उनकी जाति कुछ भी हो।उनका मानना था कि मानवता ही मनुष्य का एकमात्र धर्म है। संबोधित करते हुए मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी भंवरलाल डूडी ने कहा कि महाराजा सूरजमल किसानों को समाज का सबसे महत्त्वपूर्ण वर्ग मानते थे और उनका बहुत सम्मान करते थे।उन्होंने व्यक्तिगत रूप से किसानों की समस्याओं को सुना और समाधान के लिये सुधारों की शुरुआत की। सरपंच संघ के विक्रमपाल थालोड़ ने कहा कि महाराजा सूरजमल ने अपने जीवन काल में 80 युद्ध लड़े और सभी युद्ध उन्होंने जीते थे। कार्यक्रम के समापन पर अध्यक्ष सुल्तान सिंह भींचर ने सभी आगंतुकों को धन्यवाद देते हुए महाराज सूरजमल के जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही। कार्यक्रम को छात्रावास के विद्यार्थी विद्धाधर और पेमाराम ने भी संबोधित किया। संचालन शुभकरण नैण में किया। इस अवसर पर भागीरथमल खीचड़,रामकृष्ण थालोड़, रामेश्वरलाल सुंडा,सांवरमल बड़जाती, फूलाराम मील, भंवरलाल पूनिया, गोविंदराम ढाका, भंवरलाल बिजारनिया, हनुमान न्यौल, सोहनलाल चबरवाल, मोहनराम नैण, सोहनलाल बेनीवाल ,हरलाल डूडी ,हरलाल ख्यालिया, सहित छात्रावास के विद्यार्थी उपस्थित थे।