पाटन उपतहसील के हसामपुर गांव में अस्पताल कहने को तो जिले की आदर्श अस्पताल बनने जा रहा है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि ना तो यहां कोई डॉक्टर मिलते हैं ना ही कोई दवाइयां। सारी दवाइया बाहर से लिखी जा रही है। इसका ही एक नजारा ग्रामीण महिला ने बयां कि हसामपुर निवासी आशा कुमारी ने अस्पताल में किसी बिमारी का इलाज कराने पहुंची। तब वहां डॉक्टर को नहीं पाया। तो स्टाफ से पूछा तो डॉक्टर के छुट्टी पर होना बताया। ऐसे में निजी डॉक्टर के पास दिखाने पर मजबूर होना पड़ा। सूत्रों की मानें तो ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। डॉक्टर छुट्टी का नाम लेकर ग्रामीणों को बेवकूफ बना रहे हैं। जब कोई अधिकारी अस्पताल में पहुंचकर जांच करते हैं तो डॉक्टर अस्पताल में उपस्थित हो जाते हैं। वरना अस्पताल के डॉक्टर छुट्टी पर मौज करते हैं। जब संवाददाता को इस बारे में सूचना मिली तो अस्पताल पहुंचने पर पाया कि वहां कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। ऐसे में मरीज इधर-उधर भटक रहे थे। ग्रामीणों ने बताया कि दवाइयां भी बाहर से लिखी जा रही है। दूसरी तरफ डिलीवरी के लिए ग्रामीण महिलाओं के लिए सरकार कितनी सुख-सुविधाओं का दावा करती है लेकिन यहां डिलीवरी रूम में एक लोहे का पलंग डला है जिस पर भी मिट्टी जमा है। टायलेट में गंदगी का आलम है। अस्पताल में चारों तरफ गंदगी ही नजर आ रही है। ग्रामीणों ऐसे में कोटपूतली या पाटन जाने को मजबूर हैं। डॉक्टर से जब इस संबंध में बात की गई तो गोलमोल जबाब देकर पल्ला झाड़ लिया और ग्रामीण की ओर से रिकॉर्डिंग बनाने पर अस्पताल के डॉक्टरों ने एतराज जताया। ऐसे में ग्रामीणों की मांग है कि अस्पताल प्रशासन को इस पर ध्यान देते हुए उचित कार्रवाई की मांग की है ताकि ग्रामीणों को दूर-दराज न जाना पड़े।