क्या कुत्तों के समुदाय में पुरूषों के प्रति रोष व्याप्त हो गया है ?
झुंझुनूं, राजकीय बीडीके अस्पताल झुंझुनूं में अप्रैल माह में 229 आमजन ने कुत्ते, बिल्ली,बंदर आदि काटने से उपचार लिया। जिसमें चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि 217 लोगों को कुत्तों ने काट खाया है। जिसमें कुत्तों ने सर्वाधिक पुरूषों को निशाना बनाया है। 143 पुरूषों को कुत्तों ने काटा है।तथा सिर्फ 74 महिलाओं को काटा है। सबसे कम 27 बालिकाओं को काटा गया है। कुत्तों का पुरूषों को ज्यादा काटना अत्यंत चिंताजनक है। एंटी रेबीज क्लिनिक प्रभारी डॉ राजेन्द्र गजराज ने बताया कि सिर्फ़ एक व्यक्ति में प्रथम कैटैगरी की बाईट है,शेष94 व्यक्तियों को द्वितीय कैटैगरी,134 व्यक्तियों को तृतीय कैटेगरी की बाईट के शिकार हुएं हैं।अधिकतर बाईट गंभीर श्रैणी की है। चिरंजीवी योजना एवं मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना के तहत लगभग दो लाख रुपए की लागत से टीकाकरण एवं तीन लाख रुपए की लागत के एंटी रेबीज सीरम की सुविधा बीडीके अस्पताल द्वारा प्रदान की गई है। वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ जितेन्द्र भाम्बू ने बताया कि पुरूषों को महिलाओं से ज्यादा काटना अत्यंत ही विचारणीय विषय है। अप्रैल माह में 70 बच्चों को कुत्तों ने काटा है, जिसमें 43 बालकों एवं 27 बालिकाओं का काटा गया है।दो तिहाई बालकों को ज्यादा काटना एवं बालिकाओं को एक तिहाई ही काटना कुत्तों की काटने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।तथा अधिकतर बाईट तृतीय एवं गंभीर श्रैणी की है।
बढ़ती कुत्ता काटने की संख्या के प्रमुख कारण-
-आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी
-शहरीकरण एवं कुत्तों का घटता विचरण क्षैत्र
-पुरूषो के बाहर देर-सवेरे बाहर घूमने की प्रवृत्ति।
-कुत्तो का टीकाकरण नहीं होना आदि।
वहीं कुता पालको के अनुसार वाहनों की टक्कर से भी कुत्तों की मृत्यु में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है।वाहन चालकों में पुरुषों की संख्या ज्यादा हैं। इससे हो सकता है कि कुत्तों के समुदाय में पुरूषों के प्रति रोष व्याप्त हो गया है।