सूरजगढ़, स्वतंत्रता दिवस के पूर्व 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर रणधीर सिंह बुडानिया की अध्यक्षता में आदर्श समाज समिति इंडिया के कार्यालय सूरजगढ़ में कार्यक्रम का आयोजन किया। विभाजन की त्रासदी में मारे गए लाखों लोगों को दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। शिक्षाविद् राजपाल सिंह फोगाट, वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र सैन, रणधीर सिंह बुडानिया, जगदेव सिंह खरड़िया, योगाचार्य डॉ. प्रीतम सिंह खुगांई, मनोहर लाल जांगिड़, धर्मपाल गांधी आदि वक्ताओं ने विभाजन की विभीषिका पर अपने विचार व्यक्त किये। इस मौके पर कार्यक्रम के अध्यक्ष रणधीर सिंह बुडानिया, बाबूलाल बड़गूजर, रतन सिंह खरड़िया, योगा खिलाड़ी मनीषा व खुशी वर्मा को धर्मपाल गांधी द्वारा लिखित पुस्तक आजादी के दीवाने व हिंद की क्रांतिकारी बेटियां भेंट की गई। धर्मपाल गांधी ने बताया कि गोल्ड मेडलिस्ट योगा खिलाड़ी सुदेश खरड़िया को स्वतंत्रता दिवस पर कलेक्टर द्वारा जिला मुख्यालय पर सम्मानित किया जायेगा। योगा खिलाड़ी विशाल बेरला को उपखंड स्तर पर सम्मानित किया जायेगा। विभाजन की विभीषिका पर विचार व्यक्त करते हुए युवा नेता रणधीर सिंह बुडानिया ने कहा- भारत की आजादी के साथ हुआ हिन्दुस्तान का विभाजन मानव इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी थी, जिसका खामियाजा करोड़ों लोगों को भुगतना पड़ा था। आजादी के समय हुए अमानवीय विभाजन में कितने लोग मारे गये? यह आज तक किसी ने जानने की कोशिश नहीं की। हमें आज तक सिर्फ यही समझाया जाता रहा कि विभाजन को भूलना होगा। हम हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं, लेकिन उन लोगों को कभी याद नहीं करते जिनके लिए आजादी एक त्रासदी के रूप में आई थी। सांप्रदायिक हिंसा में धार्मिक उन्मादी भीड़ ने निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया। प्रत्यक्षदर्शी साहित्यकारों के अनुसार विभाजन की त्रासदी में तकरीबन 20 लाख से ज्यादा लोग मारे गये और दो करोड़ लोग इधर से उधर विस्थापित हुए। विभाजन की त्रासदी का दंश पीढ़ी दर पीढ़ी आज भी लोगों को झेलना पड़ रहा है। बांग्लादेश में हो रही हिंसा विभाजन की ही देन है। 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ लेकिन आजादी के साथ जो विभाजन का ज़ख्म मिला, उसे हम सदियों तक भूल नहीं पायेंगे। 1947 में विभाजन से उपजी हिंसा की घटनाएं आज भले ही कहानियों के माध्यम से काल्पनिक लग सकती हैं, परंतु उस समय के लेखकों ने इस भीषण त्रासदी को प्रत्यक्ष झेला और सहा था। इसलिए उनकी कहानियां उन हिंसाओं की सच्ची तस्वीर खींचती हैं। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने विभाजन की त्रासदी को याद करते हुए बताया कि हम हर वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास से मनातें हैं। 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने के बाद स्वतंत्रता दिवस मनाने को दिल नहीं करता है। क्रांतिकारियों के बलिदान और स्वतंत्रता सेनानियों के लंबे संघर्ष की बदौलत 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ। लेकिन आजादी के साथ जो देश का विभाजन हुआ, वह विश्व इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी थी। लोग अपने ही देश में शरणार्थी हो गये और एक दूसरे की जान के दुश्मन बन गये। सांप्रदायिक दंगों में लाखों निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया। विभाजन आधुनिक भारत के इतिहास की भीषणतम त्रासदी थी। विभाजन की त्रासदी एक अनवरत चलने वाली मानवीय त्रासदी है, जो भिन्न-भिन्न कालखंडों में सरहद के दोनों ओर गुस्सा, शोक, नफरत और अफसोस की लकीरें बनाती चल रही है। विभाजन के दौरान एक लाख से ज्यादा महिलाओं का अपहरण, हत्या और बलात्कार हुआ। जबरन शादी, गुलामी और ज़ख्म ये सब बंटवारे में औरतों के हिस्से में आया। इतिहास को न भुलाया जा सकता है और न ही छुपाया जा सकता है। जब-जब इस तरह का प्रयास होता है, उसके परिणाम बुरे ही निकलते हैं, क्योंकि सच की एक बुरी आदत है कि वह सामने आने का रास्ता खोज ही लेता है। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस उन भारतवासियों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करने का अवसर है, जिनका जीवन देश के बंटवारे की बलि चढ़ गया। इसके साथ ही यह दिन उन लोगों के कष्ट और संघर्ष की भी याद दिलाता है, जिन्हें विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर होना पड़ा। आदर्श समाज समिति इंडिया परिवार विभाजन की त्रासदी में मारे गये लाखों लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इस मौके पर अरविंद बाडेटिया, जगदेव सिंह खरड़िया, वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र सैन, शिवदान सिंह भालोठिया, समाजसेवी इंद्र सिंह शिल्ला, बाबूलाल बड़गूजर, राजपाल सिंह फोगाट, शुभकरण झाझड़िया, मनोहर लाल जांगिड़, योगा खिलाड़ी सुदेश खरड़िया, मनीषा बेरी, वंदना कुमारी, खुशी वर्मा, विशाल बेरला, रतन सिंह खरड़िया, दरिया सिंह, धर्मपाल गांधी, सुनील गांधी, अंजू गांधी आदि अन्य लोग मौजूद रहे। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने सभी का आभार व्यक्त किया।