अंचल में शीतलाष्टमी का पर्व बास्योड़ा धूमधाम से बनाया गया। शीतला माता का भरा मेला। शीतला चोक स्थित माता के मंदिर में रात से सुबह 7 बजे तक शेखावाटी के प्रसीद गींदड़ नृत्य का आयोजन चलता रहा जिसमें हजारो कलाकारों ने गींदड़ नृत्य कर देखने वालों का मन मोह लिया। नगारे की थाप पर घुंगरू की झंकार व बांसुरी की तान ने सबको आकर्षित किया। रात्रि 1 बजे से ही महिलाओ की भीड़ आने लगी जो आज दोपहर तक लाइनों में लग कर शीतल माता की पूजा अर्चना करती रही। ठंडे पकवानों का भोग लगाकर कामना की। इसी प्रकार लक्ष्मणगढ़ व फतेहपुर शेखावाटी में शीतलाष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया गया।
शीतलाष्टमी के दिन नवविवाहिताओं व लड़कियों ने कुम्हार के घर से मिट्टी लाकर ईसर व गणगौर की प्रतिमाएं बनाई। घरों में पूजा के स्थान पर माता की प्रतिमा बनाई गई। नवविवाहिताओं ने कुम्हार से गणगौर बनवाकर उसकी पूजा-अर्चना की। लाल चुनरी व गहनों से गणगौर माता का शृंगार किया गया। शीतलाष्टमी के दिन से इन प्रतिामओं की पूजा शुरू हुई। पूजन स्थान के चारों ओर ज्वारें बोए गए। माता का मनभावन शृंगार किया गया।