झुंझुनू, देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टी कांग्रेस तेजी से पतन के मार्ग पर आगे बढ़ रही है, जो एक चिंतनीय विषय है। देश की आजादी और राष्ट्र के नवनिर्माण में मुख्य भूमिका निभाने वाली 137 साल पुरानी प्रमुख राजनीतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 85 वें महाधिवेशन के पोस्टर पर कांग्रेस के नेताओं की अनदेखी कर डॉ. भीमराव अंबेडकर का छायाचित्र किस आधार पर लगाया गया है? यह आश्चर्यजनक बात है। क्योंकि अंबेडकर कभी कांग्रेस के सदस्य या अध्यक्ष नहीं रहें हैं। उधार के सिंदूर से मांग भरना गलत बात है। सामाजिक चिंतक, विचारक और राजनीतिक विश्लेषक धर्मपाल गाँधी ने बताया कि कांग्रेस के नेता अपना इतिहास भूल गये और मार्ग से भटक गये हैं, जो देश के लिए चिंता का विषय है।
जो लोग अपना इतिहास नहीं जानते, वह कभी इतिहास नहीं बना सकते हैं। कांग्रेस ने न केवल देश को आजाद कराया, बल्कि एक समृद्ध भारत की बुनियाद रखी। पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में भारत में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की नींव रखी गई। जिस कांग्रेस के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ी गई थी, आज वही कांग्रेस देश की बर्बादी में मुख्य भूमिका निभा रही है। बीजेपी के नेताओं के पास सच बोलने के लायक कुछ नहीं था, इसलिए वह झूठ बोलकर देश पर शासन कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस के नेता सच बोलना भी मुनासिब नहीं समझते हैं। कांग्रेस के महाधिवेशन के पोस्टर पर और हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के विज्ञापन पोस्टर पर डॉ. भीमराव अंबेडकर के चित्र को अंकित करना कांग्रेस के नेताओं की मूर्खता को दर्शाता है। स्वतंत्रता सेनानियों व कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को छोड़कर अंबेडकर का चित्र पोस्टर पर लगाना कहाँ की समझदारी है। दलित वोटों को आकर्षित करने के लिए आजकल हर कोई अंबेडकर के छायाचित्र का इस्तेमाल कर रहा है। पिछले दिनों केन्द्र की मोदी सरकार ने भी आजादी के अमृत महोत्सव के पोस्टर पर डॉ. भीमराव अंबेडकर का छायाचित्र लगा रखा था। डॉ. भीमराव अंबेडकर चाहे कितने भी विद्वान या महान व्यक्ति रहें हों, लेकिन उन्होंने कभी आजादी के आंदोलन में भाग नहीं लिया। अंबेडकर का आजादी के आंदोलन से कोई संबंध नहीं रहा। अंबेडकर कभी कांग्रेस के सदस्य या नेता रहे नहीं रहे। महात्मा गांधी के कहने पर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें देश का प्रथम कानून मंत्री बनाया। लेकिन वह कभी कांग्रेस के नेता नहीं रहे। अंबेडकर की तरह डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी प्रथम कैबिनेट में जगह दी गई थी। व्योमेश चंद्र बनर्जी, दादाभाई नौरोजी, बदरुद्दीन तैयबजी, फिरोजशाह मेहता, पंडित मदन मोहन मालवीय, मोतीलाल नेहरू, लाला लाजपत राय, देशबंधु चितरंजन दास, नेल्ली सेनगुप्त, मौलाना अबुल कलाम आजाद, आचार्य जेबी कृपलानी, के. कामराज, बाबू जगजीवन राम, एनी बेसेंट, गोपाल कृष्ण गोखले, डॉ. राजेंद्र प्रसाद आदि नेताओं को छोड़कर कांग्रेस के पोस्टर पर डॉ. भीमराव अंबेडकर का फोटो लगाना कांग्रेस की मूर्खता को दर्शाता है। स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े तमाम क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों का कांग्रेस से संबंध रहा है। कांग्रेस के नेतृत्व में जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी की लड़ाई लड़ी, आज उन क्रांतिवीरों की अनदेखी की जा रही है और जिनका स्वाधीनता आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं, उनके चित्र पोस्टर पर लगाकर वोटों के लिए उनका महिमामंडन किया जा रहा है। बाबू जगजीवन राम कांग्रेस के सबसे लंबे समय तक नेता रहे हैं। उन्होंने आजादी की लड़ाई में भी भाग लिया और आजादी के बाद देश के प्रथम श्रम मंत्री बनने का गौरव भी हासिल किया। राष्ट्र के निर्माण में भी उनकी मुख्य भूमिका रही है। 50 वर्ष से ज्यादा वे कांग्रेस से जुड़े रहे। बाबू जगजीवन राम 1970 व 71 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं, इसके बावजूद कांग्रेस के नेता बाबू जगजीवन राम का फोटो पोस्टर पर लगाने की बजाय भीमराव अंबेडकर का फोटो लगा रहे हैं, जिनका कांग्रेस से कोई संबंध नहीं रहा। ऐसे अनगिनत नाम हैं, जिन्होंने कांग्रेस को बनाया, अपने खून से सींचा, यातनाएं सहीं, जेल गए लेकिन आज कांग्रेस सबको भुला बैठी है। अपने 137 साल पूरे होने के संबंध में कांग्रेस ने जो विज्ञापन जारी किया है, उससे यह साबित होता है कि कांग्रेस के सलाहकार व रणनीतिकार मूर्ख हैं और कांग्रेस के नेता अपना इतिहास भूल गये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया हो लेकिन इसको पूरा करने का संकल्प राहुल गांधी सहित कांग्रेस के सभी नेताओं ने ले लिया है। कांग्रेस बहुत तेजी से अपने राजनीतिक पतन की ओर अग्रसर है। इस प्रक्रिया को रोक पाना अब कठिन दिखाई देता है।नेहरू-गांधी परिवार इस प्रक्रिया में उत्प्रेरक का काम कर रहा है। गांधी परिवार हर वह फैसला ले रहा है, जो उसे नहीं लेना चाहिए। इसकी सूची इतनी लंबी है कि गिनती कराना भी कठिन है। परिवार के फैसलों में राजनीतिक अपरिपक्वता, अज्ञानता, अदूरदर्शिता, अहंकार की भावना सब एक साथ नजर आती हैं। कांग्रेस के जिन वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी को सही राह दिखाने की कोशिश की उनको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। गुलाम नबी आजाद, कैप्टन अमरिंदर सिंह, कपिल सिब्बल जैसे न जाने कितने नेताओं को कांग्रेस छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। एक शताब्दी से भी ज्यादा पुरानी कांग्रेस की हालत देखने योग्य है। कांग्रेस को किसी को डूबोने की जरूरत नहीं बल्कि यह अपने बोझ से ही डूब रही है। भाजपा सहित अन्य दल सिर्फ इस पुराने राजनीतिक बरगद के पेड़ को ढहते हुए देख रहे हैं। कांग्रेस की हालत यह है कि केंद्र की भाजपा गठबंधन सरकार की नीतियों का क्या विरोध करेगी, अपने घर को ही नहीं संभाल पा रही है। राहुल गांधी उन राजनीतिक गलतियों की ओर बढ़ रहे हैं, जहां से वापसी ‘नामुकिन’ है। कांग्रेस के पतन की जो प्रक्रिया धीमी गति से चल रही थी, उसे पार्टी नेता राहुल गांधी ने और तेज कर दिया है। आपको जब भी लगेगा कि कांग्रेस अब और नीचे नहीं गिर सकती, उसी समय वह आपको गलत साबित कर देगी। यह एक लकवाग्रस्त, नेतृत्वविहीन और दिशाहीन पार्टी हो गई है। यह वह कांग्रेस नहीं हो सकती जिसने देश में राष्ट्रवाद को परिभाषित किया और उसी मुद्दे पर आजादी का आंदोलन चलाया। यह तो नेहरू और इंदिरा गांधी की भी कांग्रेस नहीं रही है। वर्तमान में कांग्रेस विपक्ष की भूमिका भी ठीक से नहीं निभा पा रही है। जब पार्टी के सभी फैसले गांधी परिवार को लेने हैं तो फिर वयोवृद्ध मल्लिकार्जुन खड़गे को अध्यक्ष बनाने की कहां आवश्यकता थी। सोनिया गांधी के नेतृत्व में क्या कमी थी। राहुल गांधी से सोनिया गांधी का नेतृत्व अच्छा है। अगर किसी युवा अध्यक्ष का चुनाव करना था तो प्रियंका गांधी सबसे बेहतर थी। कांग्रेस पार्टी के नेताओं में आज भी इतना अहंकार है कि वे किसी सामान्य व्यक्ति को पार्टी का सदस्य बनाना भी जरूरी नहीं समझते हैं। गांधी परिवार पार्टी के वफादार नेताओं की बजाय गद्दार नेताओं को ज्यादा तरजीह दे रहा है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आधुनिक भारत की राजनीति में कांग्रेस पार्टी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। देश के स्वतंत्रता संग्राम के दौर में विभिन्न राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक आंदोलनों के माध्यम से कांग्रेस द्वारा देश के स्वतंत्रता आंदोलन को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भारत की आजादी के महानायक रहे विभिन्न महान नेता कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे हैं। देश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कांग्रेस पार्टी का इतिहास विभिन्न पड़ावों से होकर गुजरा है। कांग्रेस का पतन सीधे तौर पर बीजेपी के उदय का कारण बना, जो देश के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। देश की संवैधानिक संस्थाओं और लोकतंत्र को बचाने के लिए आम आदमी को आगे आना होगा। कांग्रेस इस मुहिम में विफल हो रही है। सुधार करना आज के नेताओं के सिद्धांत में नहीं है। यह देश हम सभी का है। किसी राजनीतिक पार्टी का नहीं है।