वसुंधरा राजे सिंधिया के जन्मदिन पर विशेष
झुंझुनू, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे जिन्होंने अपने मुख्यमंत्री काल में जन कल्याणकारी योजनाओं को लागू कर राज्य के आमजन के हृदय पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी । चुनावों में हार जीत होती रहती है व प्रजातांत्रिक व्यवस्था में सता अंकों का खेल होती है । किसी नेता के चुनावों में हार का वरण करने के यह मायने नहीं कि उनकी लोकप्रियता कम हो गई है । राजे के विरोधियों ने उनको दरकिनार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी लेकिन जिस नेता को जनता का आशीर्वाद प्राप्त हो उसको दरकिनार करना मुश्किल ही नहीं बल्कि अंसभव भी है और यह साबित कर दिया उनकी धार्मिक यात्राओं में उमड़े जनसैलाब ने । वसुंधरा राजे की यह धार्मिक यात्रा शक्ति प्रदर्शन न होकर भक्ति का प्रदर्शन था । जो नेता वर्ग , जाति व धर्म के लोगों में सर्वमान्य हो उसे भला शक्ति प्रदर्शन करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए । वसुंधरा राजे का उन्हीं नेताओं में शुमार है और उसी की परिणति है कि उनके विरोधियों के दरकिनार करने के बावजूद राजस्थान के जनमानस का आशीर्वाद उनके साथ है । यह उस आशीर्वाद का ही प्रतीक है कि उनकी शेखावाटी की पावन धरा विश्व प्रसिद्ध सिध्दपीठ सालासर धाम में उनकी जनसभा ने यह साबित कर दिया कि उनके कद का नेता आज भी भाजपा में नहीं है । एक कहावत है कि बाहर के विरोध करने वालो से सचेत रहा जा सकता है लेकिन घर में ही भितरघात करने वालों से निपटना थोड़ा मुश्किल होता है । घर में वही नेता हैं जिनका कोई जनाधार नहीं है वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कंधों पर बैठकर सता की दहलीज तक पहुंचने का मानस बनाए बैठे हैं । जिन्होंने प्रदेश के संगठन में एक समानांतर संगठन खड़ा कर उन नेताओं को तब्बजो दी है जिनका केवल एक ही ध्येय है सता के साथ रह कर निजी स्वार्थ को पूरा करना । उन नेताओं का भाजपा की नितियों व सिध्दांतों से कोई लेना देना नहीं है । यदि वर्तमान में देखा जाए तो स्वर्गीय भैरोसिंह शेखावत के बाद कोई लोकप्रिय व सर्वमान्य नेता हैं तो केवल ओर केवल वसुंधरा राजे ही है । मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर जो असमंजस की स्थिति बनी हुई है वह आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकती है । क्योंकि जो नेता मोदी के चेहरे पर चुनाव मैदान में जाने की बात कर रहे हैं यह वही नेता हैं जो अपनी पूरी ताकत लगाने के बावजूद राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की जयपुर रैली में भीड़ नहीं जुटा पाए । उनकी लोकप्रियता का बखान खाली पड़ी कुर्सियां कर रही थी। उन नेताओं को इस बात का भी आभास होना चाहिए कि लोकसभा व विधानसभा चुनाव की स्थितियां भिन्न होती है । विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों को लेकर लडे जाते हैं और राज्य के नेतृत्व का अहम रोल होता है । यदि मोदी के चेहरे पर ही विधानसभा चुनाव जीते जाते तो राजस्थान मे 25 में से 24 सांसद भाजपा की झोली में डालने के बावजूद सरकार क्यों नहीं बनी ? मैं राज्य की सर्वमान्य नेता वसुंधरा राजे के जन्मदिन पर उनको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित करने के साथ ही ईश्वर से यह मंगलकामना करता हूं कि आप अनवरत राज्य की जनता की सेवा करती रहे क्योंकि जनता का आशीर्वाद आपके साथ है ।