चिकित्सालेखसीकर

गरीब की गाय बकरी के लिए कैसे करें टीकाकरण

19वीं पशुगणना के अनुसार राजस्थान में 2.16 करोड़ बकरियां हैं, जो की देश में सर्वाधिक हैं| राजस्थान में बकरियों की सिरोही, जखराना और मारवाड़ी नस्लें प्रमुख रूप से पाई जाती हैं| बकरीयों को रोगों से बचाने के लिए संतुलित आहार तो दिया जाना अत्यंत आवश्यक है ही, साथ में समय-समय पर कृमिनाशन और टीकाकरण करवाना बहुत जरुरी हैं| बकरियों में मुख्यतया फड़कीया, कन्टेजियस-इक्थाईमा और पी.पी.आर. रोग का प्रकोप अधिक पाया जाता हैं|

-:फड़कीया:-

फड़कीया रोग का रोगकारक “क्लॉस्ट्रीडियम परफ्रीजेंस टाइप-डी” होता हैं| इस रोग में बकरी का चक्कर काटना, शरीर में ऐंठन आना, कंपकंपी, सांस लेने में दिक्कत, आफरा आना और दस्त लगना मुख्य लक्षण हैं| बकरी को तुरंत वेटरनरी डॉक्टर को दिखाना चाहिए| इस रोग से बचाव हेतु 4 माह से बड़ी बकरी का हर वर्ष मानसून से पूर्व टीकाकरण करवा लेना चाहिए|

-: कन्टेजियस-इक्थाईमा:-

डॉ.नरेंद्र जाखड़

कन्टेजियस-इक्थाईमा रोग, पॉक्स फेमिली के पेरापोक्स वंश के वायरस से होता हैं| इस रोग में बुखार, नाक से स्त्राव आना,  होंठो एवं मुहं पर फुंसी होना और पपड़ी जम जाना जैसे लक्षण प्रमुख हैं|  रोग के उपचार के लिए तुरंत वेटरनरी डॉक्टर के पास बकरी को ले जाना चाहिए|

-:पी.पी.आर.:-

पी.पी.आर. रोग, पैरामिक्सोविरिडी फेमिली के मोर्बिल्ली वंश के वायरस से होता हैं| इस रोग में मुख्यतया बुखार, नाक से स्त्राव आना, खांसना और न्यूमोनिया जैसे लक्षण प्रमुख हैं| परन्तु कभी कभी मुहं में छाले और पतले खूनी दस्त भी हो जाते हैं| रोग के उपचार के लिए तुरंत वेटरनरी डॉक्टर के पास बकरी को ले जाना चाहिए| इस रोग से बचाव के लिए 3 माह से बड़ी बकरियों का 3 वर्ष में एक बार टीकाकरण करवाना आवश्यक हैं|

टीकाकरण-कलेण्डर

महिना बीमारी प्राथमिक टीकाकरण के समय उम्र
जनवरी-फ़रवरी कन्टेजीयस केप्राइन प्लूरो न्युमोनिया 3 माह
मार्च- अप्रैल मुहंपका-खुरपका 4 माह
मई- जून फड़कीया, लंगड़ा बुखार एवं गलगोठूँ 4-6 माह
सितम्बर-अक्टूबर मुहंपका-खुरपका 4 माह
नवम्बर-दिसम्बर बकरी-पॉक्स 3 माह

 

एंथ्रेक्स प्रभावित क्षेत्रों में, बकरियों में वर्ष में एक बार एंथ्रेक्स रोग का टीकाकरण अवश्य करवाना चाहिए| इसी प्रकार पी.पी.आर. (बकरी-प्लेग) रोग से बचाव के लिए 3 वर्ष में एक बार टीकाकरण करवाना आवश्यक हैं|

विशेष नोट- बकरियों का हर तीन माह में कृमिनाशन (Deworming) करवाना अत्यंत जरुरी हैं|

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