जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट ने दी जानकारी
झुंझुनूं, ग्रामीण क्षेत्रों में साल में सौ दिन का रोजगार देने की गारंटी देने वाली महात्मा गांधी नरेगा की मिट्टी इधर उधर करने वाली योजना की छवि मिटाकर हरियाली से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। जिले में इस योजना को शुरू हुए 13 साल पूरे हो चुके हैं, तथा अब तक 800 करोड़ रुपये खर्च हो चुके है, परन्तु राजीव गांधी सेवा केंद्र के रूप में पंचायत कार्यालयों के सुदृढ़ीकरण तथा कुछ जगह पर ग्रेवल सड़कों के अलावा कोई स्थायी एवं उपयोगी काम नजर नही आ रहा है। जिला परिषद द्वारा चालू वर्ष के लिये स्वीकृत110 करोड़ की वार्षिक कार्ययोजना में परम्परागत स्वरूप में तब्दीली करते हुए केवल जल संचय के लिए पक्के कुण्ड तथा 2 लाख पौधों को लगाकर आगामी चार साल तक उनकी सुरक्षा के उपायों को शामिल किया गया है। जिला परिषद की कार्ययोजना के अनुसार इस वर्ष 2 हजार किसानों को उनके निजी खेतों में कुण्ड बनाकर एक लाख पौधे लगाने हेतु स्वीकृतियां जारी की गई है। इसी तरह प्रत्येक गांव में एक चारागाह तथा विद्यालय परिसर, श्मशान, कब्रिस्तान, आदि चारदीवारी से सुरक्षित एक हजार परिसरों में एक लाख पौधे लगाकर आगामी चार साल तक इनकी सुरक्षा का प्लान तैयार किया गया है। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट का कहना है कि सामुदायिक परिसरों में लगाये जाने वाले पौधों की आगामी 4 साल तक सुरक्षा तथा इनसे लाभ पाने के लिये प्रत्येक 200 पौधों पर एक वृक्ष मित्र नियुक्त किया जायेगा। इन वृक्ष मित्रों का समूह तैयार कर उन्हें पेडों की सुरक्षा के लिये सघन प्रशिक्षण दिया जायेगा। जिले में एक हजार वृक्ष मित्रों का चयन किया जायेगा ,जो आवंटित पेडों की अगले चार साल तक सुरक्षा हेतु समुचित उपाय करेंगे तथा इनके फल, चारा, लकड़ी आदि का लाभ लेने के लिये अधिकृत होंगे। इन वृक्षमित्रों को स्वच्छग्राही के रूप में स्वच्छ भारत मिशन की गतिविधियों से भी जोड़ा जाकर गांवों के विकास की गतिविधियों में स्थायी भागीदार बनाया जायेगा।