दांतारामगढ उपखण्ड मजिस्ट्रेट ओम प्रकाश शर्मा ने सीकर जिले के ग्राम जीणमाता में वार्षिक चैत्र शुल्क नवरात्रा जीणमाता का मेला 18 से 25 मार्च तक होने वाला है। इस मेले में लाखो दर्शनार्थी विभिन्न स्थानो से पहुॅचते है, वर्ष में 2 बार लगने वाले इस मेले में पशु बलि एवं शराब पीकर चलने, अवैध शराब के विक्रय , मन्दिर में शराब भोग के रूप में चढाने की प्रवृति के कारण मेला अवधि में समय -समय पर लोक परिशान्ति भंग होने का खतरा बना रहता है। एंव इन गतिविधियों से कानून व्यवस्था भंग होने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। पूर्व के मेलो के अवसर पर इन गतिविधियों पर रोक लगाने की आम जनता द्वारा अपील की गई थी जिसका बहुत अच्छा सकारात्मक प्रभाव रहा है। जन भावनाओं, कानून व्यवस्था, लोक परिशान्ति को दृष्टिगत रखते हुऎ इस मेला अवधि में शराब के उपयोग एवं पशु बली को निषेध किया गया है। दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अन्तग्रत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए ग्राम जीणमाता में अवसिथत माताजी के मन्दिर की 3 किलोमीटर की परिधि में कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार के आग्नेय एवं अस्त्र, शस्त्र तथा धारधार या नुकीले हथियार यथा बल्लम, भाला छुरा, चाकू, होकी स्टिक , कुल्हाडी, लठ्ठ एवं मशाल न तो साथ लेकर चलेगा एवं ना ही इनका प्रदर्शन करेगा और ना ही ब्रिकी करेगा। जुलूस एवं अन्य आयोजन के दोरान उक्त क्षेत्र में कोई ज्वलनशील प्रदार्थ यथा पेट्रोल, डीजल आदि अपने साथ नही रखेगा। कोई भी व्यक्ति इस वर्णित परिधि में किसी प्रकार की पशु बलि, वध नही करेगा। कोई भी व्यक्ति इस वर्णित परिधि में न तो शराब पीयेगा ना ही शराब पीकर चालेगा और ना ही शराब का विक्रय करेगा। कोई भी व्यक्ति इस वर्णित मन्दिर में शराब एवं मांस को भोग नही लगायेगा। यह आदेश 20 मार्च मघ्य रात्रि के बाद से 26 मार्च की मध्य रात्रि तक प्रभावी रहेंगे। यह आदेश पुलिस, राजकीय कार्य के लिए नियुक्त कार्मिको अथवा ऎसे व्यक्तियों जिनको विशिष्ट आदेश द्वारा इस आदेश की पालना से मुक्त रखे गये हो पर लागू नही होेंगे। ऎसे अन्धे एवं विकलांग व्यक्ति जिनको चलने के लिए लाठी के सहारे की जरूरत होती है वे लाठी के प्रयोग के लिए प्रतिबन्ध से मुक्त होगें