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अध्यापक से प्रोफेसर का सफर, 45 वर्ष की उम्र में RPSC को टॉप कर युवाओं के लिए बने प्रेरणा स्रोत

चुरू के डॉ शमशाद अली

चूरू, इरादे अटल और हौसले बुलंद हो तो कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं इसे सच साबित कर दिखाया है चुरू के डॉ शमशाद अली ने राजकीय बागला उच्च माध्यमिक विद्यालय चुरू में उर्दू व्याख्याता के पद पर कार्यरत डॉ शमशाद अली ने राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा 2020 में पूरे राजस्थान में पहला स्थान प्राप्त कर जिले को गौरवान्वित किया है । उम्र के इस पड़ाव 45 साल की उम्र में आर पी एस सी को टॉप करना और वो भी मात्र एक सीट के विरुद्ध वाकई बहुत बड़ी उपलब्धि है। डॉ शमशाद अली ने राजकीय सेवा का आगाज 2001 में उर्दू टीचर के पद से किया था उसके बाद तरक्की करते करते वरिष्ठ अध्यापक उर्दू और 2013 व्याख्याता भर्ती परीक्षा में पूरे राजस्थान में ओबीसी वर्ग में भी पहला स्थान प्राप्त किया था। डॉ शमशाद अली अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भी शिरकत करते रहते हैं और उर्दू के नामवर स्कोलर के साथ अपने पेपर प्रस्तुत करते रहते हैं। डा शमशाद अली विद्यार्थी जीवन से ही होनहार और प्रतिभाशाली रहे हैं 1996 में अकादमिक परीक्षा मे भी राज्य स्तर पर वरीयता सूची मे अपना स्थान बनाया था। दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय उर्दू डे अवार्ड और प्रेमचंद अवार्ड सहित बहुत से अवॉर्ड्स से आप नवाजे जा चुके हैं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनारओं में बराबर शिरकत करते रहते हैं और यू जी सी पीअर्ड्स मेग़ज़ीन में आपके रिसर्च पेपर्स छप चुके हैं। जिला कलेक्टर चूरू ने भी आपकी उत्कृष्ट राजकीय सेवा, समाज सेवा,उर्दू भाषा और साहित्य सहित राष्ट्रीय कार्यक्रमों में योगदान को देखते हुए अभी तक आपको गणतंत्र दिवस और स्वाधीनता दिवस समारोह सहित चार बार सम्मानित कर चुके हैं। उर्दू भाषा और साहित्य के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले राजस्थान उर्दू लेक्चरर्स संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ शमशाद अली ने बताया किबुलंद हौसले और अटल इरादों के दम पर कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय अपनी माता स्वर्गीय सुबह दौलत और पिता लाल मोहम्मद चेजारा,को दिया है जिन्होंने खुद परेशानियों से संघर्ष करते हुए अपने बेटों को मेहनत, ईमानदारी और संघर्ष के बल पर आगे बढ़ते रहना सीखाया। माता पिता के साथ अपनी सफलता का श्रेय प्रोफेसर डा एम एन खान जयपुर और मरहूम प्रोफेसर डाॅ अबुल फ़ैज़ उस्मानी टोंक को भी दिया है जो कामयाबी के लिए हमेशा होसला अफ़ज़ाई और रहनुमाई करते रहे।

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