श्रमिक दिवस विशेष : झुंझुनू में नहीं किया जाता श्रमिक सुरक्षा उपकरणों का प्रयोग, जिम्मेदार कौन ?
पिछले वर्षो में झुंझुनू के हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र में हुई थी एक श्रमिक की मौत
झुंझुनू, आज श्रमिक दिवस मनाया जा रहा है और हर दिन कुशल श्रमिकों की आवश्यकता सभी को पड़ती है लेकिन वर्ष का एकमात्र यह दिन होता है जिसमें श्रमिक को केंद्र में रखकर मनाया जाता हो। लेकिन हमारी सरकार और प्रशासन उनके सुरक्षा मानकों की तरफ कोई ध्यान नहीं देकर महज एक दिन अवकाश करके ही श्रमिक दिवस मनाने की रस्म अदा कर देती हैं। बात झुंझुनू शहर की करें तो जैसे-जैसे शहर का विकास होता जा रहा है यहां पर बहु मंजिला इमारत का निर्माण लगातार किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में झुंझुनू में श्रम विभाग और नगर परिषद को भी इस और ध्यान देने की आवश्यकता है। क्या भवन का जो निर्माण किया जाता है उसमे श्रमिकों के लिए पर्याप्त सुरक्षा के उपाय किए जाते हैं ? उदाहरण के लिए जितने भी श्रमिकों के कार्य के दौरान मौत के मामले सामने आते हैं उनमें ज्यादातर मृत्यु ऊंचाई से गिरने के कारण होती है लेकिन झुंझुनू में बहुमंजिला इमारत का निर्माण कार्य किया जाता है या रंग रोगन करने का कार्य होता है इस दौरान कोई भी सुरक्षा उपकरण काम में नहीं लिए जाते हैं। इसमें सबसे प्रमुख होता है जिस सीढ़ी के द्वारा वह ऊंचाई पर चढ़कर काम करते हैं उसकी गुणवत्ता के साथ ही श्रमिक का बेल्ट के द्वारा बंधा होना और विशेष रूप से सिर की सुरक्षा के लिए विशेष मानक निर्धारित हेलमेट पहनना और विशेष प्रकार के जूते श्रमिक के लिए पहनना आवश्यक होता है। यह तो मुख्य मुख्य सुरक्षा युक्ति या उपकरण है जो श्रमिकों के लिए काम में लिए जाने चाहिए लेकिन झुंझुनू शहर में इस तरफ अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है। विशेष रूप से श्रमिक दिवस के दिन ही आप बहुमंजिला इमारत की विजिट करें जो अभी निर्माण अधीन है तो आप इसकी सच्चाई से रूबरू हो सकते हैं लेकिन श्रम विभाग के अधिकारियों और जिला प्रशासन को अपने चेंबर से बाहर निकलकर फील्ड में जाने की आवश्यकता है। वही श्रमिक दिवस के दौरान ही निर्माण जैसे कठिन कार्य में लगे हुए बाल मजदूर भी देखे जा सकते हैं। ऐसी स्थिति में महज एक दिन श्रमिक दिवस के नाम पर अवकाश करना ही क्या उचित है ? सिर्फ अवकाश के नाम पर ही सरकार और प्रशासन अपनी श्रमिकों के प्रति जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते।