जैसे-जैसे अष्टमी नजदीक आती जा रही है वैसे ही मां जीण भवानी के दरबार में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। मेले के सातवें दिन बड़ी संख्या में भक्तों ने कुलदेवी के धोक लगाकर पूजा अर्चना की। देर रात तक श्रद्धालुओं की कतारे लगी रही। अम्बे के जयकारों के साथ भक्तों का रैला माता के दरबार में उमड़ रहा है। इंतजार के बाद मैया के दर्शन होने के बाद श्रद्धालुओं का रोमरोम पुलकित हो उठा। वहीं आने वाली अष्टमी को मेला अपने पूरे शबाब पर होगा। जीणमाता आने वाले मार्गों पर भी भक्तों का रैला उमड़ रहा है। गौरियां से लेकर जीणमाता तक वाहनों की लंबी कतार है, तो कोई पैदल ही अम्बे मैया के दरबार में हाजरी लगाने आ रहा है। सप्तमी के दिन से मेला पूरे योवन पर चढऩे लगता है जो अष्टमी को पूरे शबाव पर होगा। अष्टमी होने के कारण मेला परवान पर रहेगा। अपनी कुलदेवी को अष्टमी पर धोकने का विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए अष्टमी पर बड़ी संख्या में जनपद के तथा बाहर रहने वाले प्रवासी जीण भवानी के धोक लगाने आएंगे। अष्टमी के दिन मां की विशेष पूजा-अर्चना के लिए भक्त पहले से ही जीण माता में डेरा जमाए हुए है। दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु अष्टमी के दिन विशेष अनुष्ठान करते है, इसलिए यह श्रद्धालु नवरात्र के शुरू होते ही यहां धर्मशालाओं में ठहर कर नवरात्र करते है और अष्ठमी के दिन विशेष पूजा अर्चना कर लौटते हैं।
मैया के दरबार में आने वाले श्रद्धालु जीण भवानी को सुहाग की सामग्री, चूड़ा, चूनड़ी, सिन्दुर, मेहन्दी, काजल आदि अर्पित कर रहे है। वहीं अम्बे मैया को मेवा, चूरमा, पेड़ा, नारियल आदि का प्रसाद चढ़ाया जा रहा है। वहीं कुलदेवी के नव विवाहितों की जात देकर उनके लंबे सुखी जीवन की कामना की जाती है। मेले में भक्तों का रैला बढऩे के साथ ही पुलिस प्रशासन ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी। जीणमाता धाम इस समय भक्तों से अटा हुआ है। चारों ओर भक्तों का रैला नजर आ रहा है। धर्मशालाए भी श्रद्धालुओं से भरी पड़ी है।