उपभोक्ता को जागरूक बन भारत को मजबूत व विकसित देश बनाना चाहिए – मनोज कुमार मील
अध्यक्ष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग झुंझुनूं, सीकर एवं चूरू
हमारे प्यारे मुल्क के हरेक नागरिक को उपभोक्ता के रूप में कानूनी सुरक्षा व संरक्षण के साथ त्वरित न्याय मिले, इसके लिए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्वर्गीय राजीव गाँधी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने 24 दिसम्बर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 बना कर जिला उपभोक्ता मंच, राज्य उपभोक्ता आयोग व राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का गठन कर उपभोक्ताओं के हितों को संरक्षण देने की शुरुआत की थी। इसी वजह से हम आज के दिन को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाते हैं। 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस होने के साथ ही 145 करोड़ भारतीयों के हक-हकुक की खुशियाँ बाँटने का दिन भी है। वर्ष 2024 में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस का आयोजन इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाने के सिलसिले को 25 वर्ष पूर्ण हो रहे है। इस समयावधि में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में अनेक संशोधन होने के साथ ही उपभोक्ताओं के कल्याण व संरक्षण को मजबूती दी गई है।आज 145 करोड़ भारतीय नागरिकों को सद्भावी व ईमानदार उपभोक्ता बन कर भारत को मजबूत बनाने और विकसित देश बनाने का सद्प्रयास करना चाहिए तथा भारतीय सेवा प्रदाताओं को भी उपभोक्ता देवो भव: को आत्मसात कर यह स्वीकार करना ही होगा कि आज का उपभोक्ता ही देश का भाग्य विधाता है।
वर्तमान प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 20 जुलाई 2020 से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लागू करवा कर उपभोक्ताओं के अधिकारों को मजबूती देने का सकारात्मक सद्प्रयास किया गया है। ये एक सामान्य जानकारी लगती है लेकिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 व 2019 में एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि के साथ विधिक शक्ति भी छुपी हुई है। दरअसल देश के प्रधानमंत्रियों के दिल में उपभोक्ता संरक्षण की पवित्र भावना निश्चित ही रही है, तभी तो अलग से उपभोक्ता कानून बनाया गया।
ध्यान रहे कि उपभोक्ता अधिकारों को सींचने व मजबूत करने की असली ताकत उपभोक्ता आयोग की सक्रियता और अधिनियम के प्रावधानों में निर्णय करने के लिए 3 माह से 5 माह की स्पष्ट रूप से निर्धारित की गई समयावधि अपने आप में ही उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को खूबसूरत व ताक़तवर बनाती है।
आप एक बार सोचिए – विचार कीजिए कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 व 2019 दोनों ही बार लोकसभा व राज्यसभा में सर्वसम्मति से पारित हुआ है और विभिन्न स्तर पर बदलाव करने के उपरांत भी जिला उपभोक्ता आयोग, राज्य आयोग व राष्ट्रीय आयोग को दिन-प्रतिदिन विधिक रूप से शक्तिशाली बनाया जा रहा है। इसके पीछे देश के रहनुमाओं की निश्चित ही यह मजबूत सोच रही है कि सामान्य उपभोक्ता की पीड़ा के समाधान के लिए उपभोक्ता आयोग ही महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म है। इसीलिए न्यायिक मजिस्ट्रेट व न्यायालय से हट कर अलग से उपभोक्ताओं के लिए उपभोक्ता आयोग बनाने का उद्देश्य भी यही है।
राजस्थान प्रदेश की बात की जाये तो वर्तमान समय में 37 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग एवं राज्य उपभोक्ता आयोग और राज्य आयोग की विभिन्न सर्किट बैंच उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के नियमानुसार उपभोक्ताओं के परिवाद,प्रार्थना पत्र व अपील पर कार्यवाही कर त्वरित न्याय पीड़ित उपभोक्ता को दिलाने के लिए अधिनियमित है। इसका सीधा सा अर्थ है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 व 2019 में कानूनी सच्चाई बहुत ताकतवर है कि जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय की अपील सिर्फ और सिर्फ राज्य आयोग, राष्ट्रीय आयोग तथा माननीय सुप्रीम कोर्ट में ही हो सकती है। कोई सिविल न्यायालय और यहां तक कि माननीय हाई कोर्ट भी उपभोक्ता आयोग के निर्णय, सुनवाई में सिधे दखल नहीं देते है और माननीय सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ताओं को बड़ी राहत यह कहते हुए दी है कि सामन्यतः उपभोक्ता सुप्रीम कोर्ट में कानूनी कार्यवाही करने में तकलीफ महसूस करता है, इसलिए विधि के विशेष बिन्दु पर उच्च न्यायालय जाकर भी न्याय पाने के लिए स्वतंत्र है और सुप्रीम कोर्ट ने यह रास्ता भी उपभोक्ताओं को त्वरित न्याय देने के लिए ही खोला है। ये ही उपभोक्ता कानून की ताकत व खूबसूरती है।
मेरा निजी विचार है कि 145 करोड़ भारतीयों को उपभोक्ता आयोग के गठन,आवश्यता व कानून इत्यादि मुद्दों पर एक बार खुद से ही विचार मंथन व आत्मावलोकन जरूर करना चाहिए।
एक उदाहरण के साथ उपभोक्ता आयोग की शक्ति व सकारात्मक रूप से सक्रियता, शक्ति को धरातल पर लागू करने के लिए उपभोक्ताओं को जागरूक होकर न्याय पाने के लिए प्रेरित करना चाहता हूँ कि भारत निर्वाचन आयोग में गठन के समय ही नियम व शक्ति बनाये गये थे, लेकिन अधिकारों का असली रूप में सदुपयोग कर चुनाव आयोग की ताकत जिस तरह पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी एन शेषन ने अपने कार्यकाल में दिखाई व बतलाई थी, उसी तरह देश में उपभोक्ताओं की स्थिति-परिस्थितियों को देखते हुए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम से प्राप्त शक्ति का सदुपयोग विभिन्न स्तरों पर बनें उपभोक्ता आयोग को सक्रियता से करने की पहल करनी चाहिए।
ध्यान रहेः
पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उपभोक्ताओं को कानूनी रूप से मजबूत बनाने के साथ ही सरल व सुलभ त्वरित न्याय दिलाने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 से जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग को विधिक रूप से सशक्त बनाया गया है और 50 लाख रुपये का प्रतिफल चुका कर सेवा या सामग्री प्राप्त करने के मामले जिला आयोग में ही सुनवाई के लिए अधिनियमित कर दिए गये हैं। पहले जहाँ जिला आयोग की अधिकारिता 20 लाख रुपये अनुतोष मांगने तक ही निर्धारित था, वहीं वर्तमान समय में अधिकारिता के लिए चुकाये गये प्रतिफल को आधार रखा गया है और अनुतोष चाहे करोड़ रुपये हो, तो भी पीड़ित उपभोक्ता अपना मामला 50 लाख रुपये का प्रतिफल चुकाने के आधार पर जिला आयोग में सुनवाई करवा सकता है।
वहीं उपभोक्ता को भी जागरूक बनने की महत्ती आवश्यकता है। उपभोक्ताओं का जागरूक होकर कार्य व्यवहार करना ही देश की आर्थिक मेरूदंड की खुशहाली को बताता है। उपभोक्ताओं में अपने अधिकारों के प्रति सजगता आने से टैक्स की लूट व कालाबाजारी पर अंकुश लगेगा। यदि हर उपभोक्ता अपनी प्रत्येक खरीद पर पक्का बिल लेगा, तो इससे टैक्स चोरी पर तो लगाम लगेगी ही, वहीं उपभोक्ता को भी अपने खरीदे गए उत्पाद या सेवा पर सुरक्षा की गारंटी भी मिलती है।
सनद रहेः
24 दिसम्बर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पर तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जेल सिंह के हस्ताक्षर होने के साथ ही कानूनी रूप से उपभोक्ता संरक्षण अधिकार हरेक भारतीय को मिला है और वर्ष 2000 में पहली बार 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाने का सिलसिला शुरू किया गया। जिसने 25 वर्षों की पूर्णता होने तक बहुत से खूबसूरत पलों में उपभोक्ताओं को संरक्षण देने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को त्वरित न्याय देने की जिम्मेदारी भी उपभोक्ता आयोग के माध्यम से निभाने के पवित्र संकल्पित पथ पर मजबूती से आगे बढ़ने के विश्वास को भी आमजन में जिन्दा किया है। प्रत्येक नागरिक को उपभोक्ता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देने के साथ ही सेवा प्रदाताओं को उपभोक्ता देवो भव: की पवित्रता को आत्मीयता से संकल्पित करने की अपील करते हुए 145 करोड़ भारतीय उपभोक्ताओं को पुनः उपभोक्ता दिवस की असीम शुभकामनाएँ