पशुपालक जाने-हरे चारे को “साइलेज” के रूप में संरक्षित करना
साइलेज सभी ऋतुओ में तैयार किया जा सकता है| हरी फसले कोमल औए रसपूर्ण अवस्था में उपलब्ध होने से पाचक और पोषक होते है और पशु बड़े चाव से खाता है|
साइलेज : एक परिचय
साइलेज हरे चारे के संरक्षण की वह विधि है जिसके अंतर्गत हरे चारे को उसकी रसीली अवस्था में एक गड्ढे में दबाकर सुरक्षित रखा जाता है और तैयार चारे को पशुओ को वर्षभर खिलाया जाता है| साइलेज ख़राब मौसम में भी बनायीं जा सकती है|
वैज्ञानिक ढंग से कहा जाये तो, हरे चारे में उपस्थित शर्करा को अवायवीय परिस्थितियों में जीवाणु किण्वन द्वारा, कार्बनिक अम्ल जैसे लेक्टिक अम्ल में बदला जाता है और इसी लेक्टिक अम्ल में हरा चारा संरक्षित रहता है|
साइलेज के लिए उपयुक्त चारा फसले:-
वे चारा फसले जिनमे घुलनशील कार्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा में होता है, उनमे प्राकृतिक किण्वन अच्छा होने से उन फसलो से अच्छा साइलेज बनता है जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, नेपियर, गिनी घास आदि| अनाज वाली चारा फसले भी साइलेज निर्माण के लिए अच्छी होती है| जिन फसलो में घुलनशील कार्बोहाइड्रेट कम मात्रा में होता है उनमे 2 – 4{44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56} तक शीरा मिलाया जाता है जैसे उष्ण कटिबंधीय घास और दलहन फसले| कभी कभी शीरे के स्थान पर रेशो को पचाने वाले एंजाइम का भी प्रयोग किया जाता है| एंजाइम की मात्रा 4-5 ग्राम प्रति किलोग्राम शुष्कभार आधार पर रखी जाती है| घास चारे से निर्मित साइलेज को अधिक पौष्टिक बनाने के लिए उसमे यूरिया (.5 -1{44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56} )मिलाया जा सकता है|
साइलेज निर्माण की विधि:-
अच्छा साइलेज बनाने के लिए जब चारा फसलो में 50 फीसदी फूल आ जाये और नमी की मात्रा 65 -70 फीसदी (शुष्क भार 30 -35 फीसदी) हो तब काटा जाना चाहिए| मक्का ज्वार जई आदि अनाज फसलों को दूधिया होने पर काटा जा सकता है| साइलेज बनाने के लिए चारा फसलो को शाम में समय में काटा जाता है, जिससे रात में नमी कम होकर घुलनशील कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी बढ़ जाती है| इसके बाद चारा फसलो को कुट्टी किया जाता है जिससे अधिक आसानी से चारा भरा जा सके और लैक्टिक अम्ल जीवाणु उत्पन्न करने के लिए अधिक रस उत्पन्न हो सके| अब कुट्टी किये गये चारे को साइलेज-बेग्स (प्लास्टिक बैग्स या रिपोल पोलीप्रोपिलिन के बने) या साइलो-गड्ढे में अच्छी तरह भरकर दबाते है, जिससे की हवा बाहर आ सके और प्राकृतिक किण्वन शुरू हो सके| अब इन साइलेज-बेग्स या साइलो-गड्ढे को प्लास्टिक से अच्छी तरह बंद करके 30-40 दिनों के लिए रखा जाता है| एक घन मीटर के गड्ढे में लगभग 400-500 किलोग्राम साइलेज बनता है| यदि एक स्वस्थ पशु को 15 किलोग्राम साइलेज प्रतिदिन खिलाया जाये तो उसे एक माह खिलने हेतु 1 घन मीटर गड्ढा होना चाहिए|
पशुओ के लिए साइलेज खिलाने की निर्धारित मात्रा
गाय : 16 -20 किलोग्राम प्रतिदिन प्रति पशु
बैल : 10-14 किलोग्राम प्रतिदिन प्रति पशु
बछडा : 0.5 से 2 किलोग्राम प्रतिदिन प्रति पशु
भैंस : 20-22 किलोग्राम प्रतिदिन प्रति पशु
नोट:- साइलेज को दूध दुहने के बाद खिलाया जाना चाहिए ताकि दूध में साइलेज की गंध को रोका जा सके|