मण्डावा [सूर्यप्रकाश लाहोरा] शेखावाटी की इन हवेलियो की बेजोङ स्थापत्य कला ओर नयनाभिराम रंग – बिरंगी चित्रकारी के साथ विदेशी मेहमान दीवारो पर नजरे गडाए चित्रो को निहारते रहते है । गुरूवार को राधिका हवेली में इटालिन ग्रुप का नीला रंग बहुत आकर्षित करता है, इस विदेशीयुगल के दूसरे चित्र देखने में मसरूफ थे, चित्र कैसे लगे ? इस सवाल का उन्होने जवाब दिया, वह सचमुच सोचने को मजबूर करता है ।
-विदेशी मेहमानो की टिप्पणी एक बड़े सच को बयान करती है
मंडावा में दुनियाभर से आने वाले सैलानियो की संख्या में बेशक इजाफा हो रहा र्हैं लेकिन दूसरी और यह कहना मुश्किल है कि उन्हें आकर्षित करने वाली हवेलियां और उनकी दीवारो पर मोहित करने वाले भिति चित्र कब तक कायम रह सकेगे। क्योकि इन हवेलियो को न तो उनके मालिको की तरफ से कोई मदद मिल रही है और न ही प्रशासन से, ये हवेलिया सचमुच अनुठी और बेशकीमती है , इनकी देखभाल बाहुत जरूरी है वरना देखने को यहां कुछ भी नहीं बचेगा ।
दरअसल इन हवेलियो पर सरकार का कोई अघिकार नहीं है दूसरी और कुछ हवेलियो को छोड़कर बाकी के मालिक इनकी खैर खबर नहीं ले रहे है हालांकि मालिको ने चैकीदार के भरोसे इन्हे पर्यटको के लिए जरूर खोल दिया है। मडावा में चोखानी, गोयनका, लढ़िया, मुर्रमुरिया, नेवटिया और झुझुनूंवाला की हवेलिया पर्यटको की पहली पसंद हें। इनमें से कुछ को देखने के लिए शुल्क तय है तो कई में प्रवेश निः शुल्क है। ये हवेलिया तकरीबन 150 वर्ष की उम्र पार कर चुकी है । मंडावा के अलावा नवलगढ़, झुझुनू , फतेहपुर , मन्ड्रेला, रामगढ़, महनसर, चिडावा, चूरू, पिलानी, मुकुन्दगढ़ ,डून्डलोद और सीकर की हवेलियां आज प्रदेश की विरासत का हिस्सा बन चुकी है। जो विदेशी पर्यटको को लुभा रही है । कई हवेलिया तो बिक चुकी है जिन्हे खरीदारो ने मरम्मत करवाकर होटल की शक्ल दे दी है ।
-मडावा में पर्यटको का आना जाना 90 के दशक में शुरू हुआ-
ये भिति चित्र 150 से 200 साल पुराने है इन्हे दीवार पर चूने का प्लास्टर करते वक्त बनाया जाता था,पत्थर की पिसाई कर उन्हे पेङ पोधो की पतियो और प्राकृतिक रगो के साथ गीले प्लास्टर में मिलाकर तालमेल से पेटिंग हवेली की दीवारो पर उकेरा जाता था i गीले प्लास्टर में ये रंग पूरी तरह समा जाते थे । इस तरह के रंग फैलने की बजाए अन्दर तक जङ पकङ कर लेते थे i तभी तो दौ सौ वर्ष पुरानी ये पेंटिंग आज भी नयनाभिराम है । यहा के पर्यटन व्यवसायी सुबेदार श्रीकांत जोशी ने बताया कि दुनिया में सबसे ज्यादा कला प्रेमी फ्रांसीसी लोग ही होते है दूसरी ओर इस तरह की फ्रेंस्को पूरी दुनिया में कहीं भी नहीं है इसलिए ये लोग यहां आते है। यहां की बड़ी बड़ी हवेलिया, बेमिसाल बनावट, उत्कृष्ट कारीगरी, भिति चित्रो में राधा -कृष्ण, रामायण, महाभारत के चित्र ,ढोला मारू के अमर प्रेम प्रंसग के अलावा यहा की लोक रीतियां वगैरह को भी इनमें उकेरा गया हे । शेखावाटी की ये हवेलिया गोयनका, सिधानिया, पोद्दार और मोरारका जैसे देश के बड़े उद्योगपति/ करोड़पति धरानो की है। जहां वर्षो पहले वे रहते थे कालांतर में व्यवसाय के चलते ये धराने बाहर चले गए है । इटली से आए र्माको बोरोना व नीकोल केसीनी भी हवेलियो में धूमते हुए इनके भविष्य को लेकर अपनी आशंका जाहिर करते है ,ये हवेलिया सचमुच अनूठी और बेशकीमती है ,इनकी देरवभाल बहुत जरूरी है वरना देखने को यहां कुछ भी नहीं बचेगा ।