रेबीज कंट्रोल कार्यक्रम के
झुंझुनूं, राष्ट्रीय रेबीज कंट्रोल कार्यक्रम के स्टेट नोडल अधिकारी डॉ एम एल सालोदिया ने मंगलवार को सीएमएचओ सभागार में नगर परिषद, वेटनरी और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की ओरियेंटेशन मीटिंग बुला कर 2030 तक भारत को रेबीज मुक्त का संकल्प दोहराया। उन्होंने बताया कि रेबीज के 90 प्रतिशत केस डॉग बाइट की वजह से आते हैं। साथ ही रेबीज के 40 प्रतिशत केस 15 साल से कम आयु के बच्चो के आते हैं। इसलिए बच्चों के मामले में बहुत अधिक सावधानी बरतनी होगी। डॉ सालोदिया ने बताया कि पालतू जानवरों को अपनी निगरानी में रखना और एंटी रेबीज के टीके लगवाने चाहिए, अपने पालतू जानवर को अज्ञात जानवर काट ले या जानवर में रेबीज के लक्षण दिखाई दे तो तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए और एंटी रेबीज के टीके लगवाने चाहिए साथ ही कूतों या जानवर के काटने पर तुरंत घाव को 15 मिनट तक साफ पानी से धोना चाहिए स्प्रिट, एल्कोहल या पोवाडीन आदि का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होनें बताया रेबीज कंट्रोल के लिए मैडिकल, वेटनरी और स्वायत शासन विभाग विभाग की संयुक्त रूप से सिटी टास्क फोर्स का गठन किया गया है जिसमें नगर परिषद कमिश्नर को अध्यक्ष बनाया गया है। नगर परिषद और वेटनरी डिपार्टमेंट आवारा कुत्तों का चिन्हितिकरण कर उनका वेक्सिनेशन करवाए। इस अवसर पर सीएमएचओ डॉ राजकुमार डांगी, पाथ संस्थान के डॉ टीकेश बिस्सा, वन विभाग से अमित कुमार, नगर परिषद से सेनेटरी इंस्पेक्टर बाबूलाल चंदेल, डॉ मनोज डूडी, एपिडिमियोलोजिस्ट डॉ कुलदीप फौजदार डीपीसी डॉ महेश कड़वासरा मोजूद रहे।