चुरूताजा खबर

नर सिंहों की जननी है, ये माटी हिंदुस्तान की….

संवाद संस्थान की ओर से हुए राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कवियों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों ने जमाया रंग,

चूरूवासियों के लिए यादगार बना कवि सम्मेलन,

वरिष्ठ कवि भागीरथ सिंह भाग्य, हास्य कवि हरीश हिंदुस्तानी, ओजस्वी विवेक पारीक, सरला मिश्रा, कल्पना शुक्ला, गजेंद्र कविया ने दीं दिलकश प्रस्तुतियां

चूरू, कभी लोकरंजन से भरे राजस्थानी गीतों पर झूमते श्रोता तो कभी हास्य-व्यंग्य की फुलझड़ियों पर ठहाके लगाते युवा, कभी देशभक्ति से भरी ओजस्वी कविताओं पर रोमांच, तो मां-पिता-भाई जैसों रिश्तों पर मार्मिक प्रस्तुतियों पर भावुक होता समां… यह नजारा रहा संवाद संस्थान की ओर से स्त्री विमर्श की सशक्त लेखिका प्रभा खेतान के स्मृति दिवस के उपलक्ष में मंगलवार को शहर के मनोरंजन क्लब में हुए राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का, जहां विभिन्न स्थानों से आए कवियों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर रंग जमा दिया। लंबे अरसे बाद शहर में हुए कवि सम्मेलन शहरवासियों के दिलों पर एक छाप छोड़ गया और लोग देर रात तक कविताओं का लुत्फ उठाते नजर आए।

जिला पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार मीना के मुख्य आतिथ्य एवं वरिष्ठ लेखक-शिक्षाविद प्रो. कमल कोठारी की अध्यक्षता में हुए इस कवि सम्मेलन में सहायक निदेशक (जनसंपर्क) कुमार अजय एवं वरिष्ठ कवि प्रो. सुरेंद्र सोनी, पुलिस उपाधीक्षक जयपाल अटल बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे। अतिथियों ने भारत माता एवं सरस्वती प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। प्रख्यात हास्य कवि हरीश हिंदुस्तानी ने अपनी हास्य फुलझड़ियों से सम्मेलन की शुरुआत की। रोजमर्रा की जिंदगी पर चुटीले व्यंग्य और हास्य फुलझड़ियों के लिए मशहूर हरीश की प्रस्तुतियां प्रभावी रही और माहौल को खुशनुमा बनाती रहीं। राजस्थानी के वरिष्ठ कवि बगड़ के भागीरथ सिंह भाग्य ने ‘खा धक्का दिन च्यार, बलम मेरा घर आया…’ और ‘गैली से सूं पैली…’ जैसे गीतों से सम्मेलन को परवान चढ़ाया और देस-दिसावर का अंतर रेखांकित किया, वहीं श्रोताओं की जोरदार मांग पर उन्होंने जब ‘एक छोरी काळती…’ गीत प्रस्तुत किया तो श्रोता खुद ताल में ताल मिलाते नजर आए।

अपने ओजस्वी सुरों के लिए मशहूर विवेक पारीक ने अपने चिरपरिचित अंदाज में वीर रस से भरपूर प्रस्तुतियां देते हुए बांधकर रख दिया। विवेक पारीक ने जब कविताएं सुनानी शुरू की तो श्रोता मंत्रामुग्ध नजर आए। चंद्रयान-3 की सफलता पर अपनी बहुचर्चित कविता ‘है कहानी भारत के अभिमान की, विज्ञान की, अनुसंधान की…’ के जरिए उन्होंने असफलता से सफलता के सफर को रेखांकित किया, वहीं ‘धीर धर, धीर धर, अधीर ना हो, धीर धर…’ ‘नर सिंहों की जननी है ये माटी हिंदुस्तान की…’ सहित विभिन्न प्रस्तुतियों से युवाओं का देशभक्ति के लिए आह्वान किया।

लखनऊ की कवयित्री सरला मिश्रा ने राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति से भरपूर कविताओं से रंग जमाया। सरला ने ‘शुरू करो क्रांति और वीरता की तिमिर को चीरती कहानियां..’, ‘कलम ही समय आने पर हथियार बन जाए…’ सहित देश की आजादी के आंदोलन से जुड़ी उनकी कविताओं ने खूब दाद पाई। दिल्ली की कल्पना शुक्ला ने रिश्तों से जुड़े भावनात्मक और मार्मिक गीतों से भाव-विभोर कर दिया। उनके ‘गीत वेदना उर में छिपाए रहते बाबूजी..’ पर मौजूद लोगों की आंखें आंसुओं से नम नजर आईं।

लोकप्रिय हास्य कवि गजेंद्र कविया ने राजस्थानी भाषा में हास्य रस से भरपूर प्रस्तुतियां देकर मन मोह लिया। सभी कवियों और वक्ताओं ने हिंदी साहित्य और नारी विमर्श में प्रभा खेतान के योगदान को रेखांकित किया और कहा कि प्रभा खेतान का योगदान युगों-युगों तक अमर रहेगा।

कार्यक्रम संयोजक नरेंद्र शर्मा ने आगंतुकों का स्वागत किया और कार्यक्रम की रूपरेखा पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रभा खेतान की स्मृति में यह कार्यक्रम में शहर में सांस्कृतिक गतिविधियों को गति देने की एक पहल है। उन्होंने कार्यक्रम के लिए प्रभा खेतान फाउंडेशन के लिए संदीप भूतोड़िया का आभार जताया और कहा कि सांस्कृतिक साहित्यिक गतिविधियों के लिए फाउंडेशन और भूतोड़िया का प्रेम अनुकरणीय है।

इस दौरान जिला प्रमुख वंदना आर्य, पूर्व प्रमुख हरलाल सहारण, पूर्व सभापति विजय शर्मा, मोहम्मद हुसैन निर्वाण, ओम सारस्वत, कोतवाली थानाधिकारी अरविंद भारद्वाज, एपीआरओ मनीष कुमार, विकास रणवां, लीटू कल्पनाकांत, राधेश्याम चोटिया, जमील चौहान, मो. हुसैन निर्वाण सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, अधिकारी, गणमान्य नागरिक एवं साहित्यप्रेमी मौजूद रहे। संचालन हरीश हिंदुस्तानी एवं अनुराग शर्मा ने किया।

कार्यक्रम में योगेश गौड़, अभिषेक चोटिया, डाॅ मनोज योगाचार्य, सुनील भाऊवाला, रामस्वरूप शर्मा, महेेश मिश्रा, संदीप पाटिल, महेंद्र चौबे, रवि दाधीच, श्रीराम पीपलवा, गोपीचंद शर्मा, कैलाश नवहाल, विनोद ओझा, दिनेश शर्मा, गोपाल पारीक, वीणा शर्मा, विमला शर्मा, नवरतन नवहाल, जगदीश रिबियेवाला, देवकांत शर्मा, बाबू पाटिल, नरेंद्र एडवोकेट, सुरेश सारस्वत, राजीव बहड़, लव कालिया, केशर देव आर्य, गुरुदास भारती, देवराज लाटा, आशीष गौतम, पवन शर्मा, मनोज शर्मा, नरेश भाटी, पीयूष दाधीच, कौशल दाधीच, अमित तिवाड़ी, राजेंद्र शेखावत, जगदीश सोनी, गिरधारी सैनी, पवन बड़थ्वाल, राजेश सोती, योगेश गोग्यान, कृष्ण कुमार महर्षि, संदेश इंदौरिया, गजानंद गौड़, विनोद राठी, आकाश शर्मा आदि ने कवियों एवं अतिथियों का स्वागत किया।

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