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आदर्श समाज समिति इंडिया परिवार ने मनाया राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद व स्वतंत्रता सेनानी आचार्य जेबी कृपलानी और अनसूया साराभाई की जयंती मनाई

झुंन्झुनू, गाँधी कृषि फार्म सूरजगढ़ में राष्ट्रीय साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में देश के प्रथम शिक्षा मंत्री भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया। इस मौके पर शिक्षाविद् व भारतीय राजनीतिज्ञ और 1947 में आजादी के समय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे स्वतंत्रता सेनानी आचार्य जेबी कृपलानी और श्रमिकों के अधिकारों की आवाज बुलंद करने वाली महान सामाजिक कार्यकर्ता अनसूया साराभाई भाई की जयंती मनाई। महान विभूतियों के प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित कर उनके जीवन संघर्ष को याद किया। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने कहा- आज 11 नवंबर को जिन तीन महान विभूतियों की जयंती है, मौलाना आजाद, आचार्य कृपलानी और अनसूया साराभाई तीनों ही राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के अनुयायी थे। महान सामाजिक कार्यकर्ता अनसूया साराभाई ने 1918 में अहमदाबाद में कपड़ा मिल के मजदूरों के हक व अधिकारों के लिए की गई हड़ताल का नेतृत्व किया। अनसूया साराभाई को महात्मा गाँधी का समर्थन हासिल था, तभी से अनसूया साराभाई महात्मा गाँधी की अनुयायी बन गई और जीवनपर्यंत श्रमिकों के अधिकारों के लिए लड़ती रही। आचार्य कृपलानी 1917 में चंपारण सत्याग्रह में महात्मा गाँधी के करीब आये और मौलाना आजाद 1920 में असहयोग आंदोलन में महात्मा गाँधी से जुड़े। महात्मा गाँधी के संपर्क में आने के बाद दोनों क्रांतिकारी नेता आजादी मिलने तक महात्मा गाँधी के हर आंदोलन में शरीक रहे। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद स्वतंत्र भारत के सिर्फ प्रथम शिक्षा मंत्री ही नहीं थे, बल्कि वे भारत में शिक्षा की बुनियाद रखने वाली उच्च कोटि की संस्थाओं के ‛शिल्पकार’ भी थे। मौलाना आज़ाद के व्यक्तित्व के कई पक्ष हैं जिनमें असीमित विस्तार है। आज़ाद भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ उच्च कोटि के विद्वान, साहित्यकार और पत्रकार भी रहे हैं। मौलाना आज़ाद की अगुवाई में 1950 के शुरुआती दशक में ‘संगीत नाटक अकादमी'(1953), ‘साहित्य अकादमी'(1954) और ‘ललित कला अकादमी’ (1954) का गठन हुआ। इससे पहले वह 1950 में ही ‘भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद’ का गठन कर चुके थे। शिक्षामंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल में ही भारत में तकनीकी के महत्त्वपूर्ण शिक्षण संस्थान ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी’ का गठन किया। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और सेकेंडरी एजुकेशन कमीशन भी उन्हीं के कार्यकाल में स्थापित किया गया। मौलाना आज़ाद महिलाओं और वंचित वर्ग की शिक्षा के ख़ास हिमायती थे। उनकी पहल पर ही भारत में 1956 में ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ की स्थापना की गई। उन्‍हीं के कार्यकाल में खड़गपुर में पहला आईआईटी स्‍थापित किया गया। मौलाना आजाद को भारत के विभाजन का विरोध करने के लिये भी याद किया जाता है। आज हम बेहद प्रेरणादायक व्‍यक्तियों को याद कर रहे हैं, जिन्‍होंने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में महत्‍वपूर्ण योगदान दिया। हम मौलाना अबुल कलाम आजाद और आचार्य जेबी कृपलानी की जयंती पर उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। दोनों एक ही वर्ष में पैदा हुए, दोनों ही महापुरुषों ने अपने जीवन को देश की सेवा के लिये समर्पित कर दिया। इस मौके पर समाजसेवी इंद्र सिंह शिल्ला, चांदकौर, राजेंद्र कुमार गाँधी, उम्मेद सिंह शिल्ला, जयसिंह रांगेरा, धर्मपाल गाँधी, कन्नू प्रिया, सुनील गाँधी, किरण देवी, बृजेश, सरिता, रवि कुमार, दिनेश, सोनू कुमारी, अंजू गाँधी, पिंकी नारनौलिया, अमित कुमार आदि अन्य लोग मौजूद रहे।

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