सूरजगढ़ [कृष्ण कुमार गाँधी ] क्षेत्र का सबसे व्यस्त मार्ग चिड़ावा लोहारू मार्ग जिस पर चलने वाली ओवरलोड निजी बसों में सवारियां अपनी जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर है। आए दिन इस मार्ग चलने वाली सैंकड़ों निजी बसों में करीबन हजारों की तादाद में सवारियां आवागमन करती है। रूट पर राजस्थान परिवहन की बसें नही चलने के कारण निजी बस चालक सवारियों को उपर नीचे भेड़ बकरियों की तरह ठुंसकर ले जाते है तथा उनसे मनमाना किराया वसुलते है। जब सवारियां ओवरलोडिंग व किराए की शिकायत करती है तो चालक उनकी मजबूरी का फायदा उठाते हुए उनके साथ अभद्र व्यवहार करते है इतना ही नही कई बार तो सवारियों को बस से नीचे तक उतार देते है। ओवरलोडिंग के चलते इस रूट पर कई बार सडक़ हादसे हो चुके जिसके लिए ग्रामीण प्रशासन को शिकायत भी कर चुके लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती है। ओवरलोड बसें रोजाना कस्बे के पुलिस थाने व एसडीएम कार्यालय के सामने से प्रशासन को ठेंगा दिखाते हुए गुजरती है। चिड़ावा से सूरजगढ़, लोहारू, बुहाना, बलौंदा, पचेरी, सतनाली, महेन्द्रगढ़ के लिए सैंकड़ों बसों का आवागमन होता है जिसमें रोजाना हजारों सवारियां यात्रा करती है।
-आजादी के 70 साल बाद भी रोडवेज सेवा से वंचित
बुहाना उपखंड आजादी के 70 साल बाद भी रोडवेज सेवा से वंचित है प्रदेश के सबसे अग्रणी जिलों में शुमार झुंझुनूं जिले के सूरजगढ़ विधानसभा की जनता आज भी रोडवेज सेवा का इंतजार कर रही है। यह रूट चिड़ावा को सूरजगढ़, बुहाना, पचेरी व हरियाणा के लोहारू, सतनाली, महेन्द्रगढ़ से जोड़ता है। चुनावों के समय नेता वोट लेने आते है तो जनता से वायदा करते है कि जीतते ही रोडवेज बसें चालु करवा देगें लेकिन आज तक जनता को सिर्फ आश्वासन मिला है रोडवेज सेवा का लाभ नही मिला। काफी समय पहले एक बार कुछ समय के लिए चिड़ावा से लोहारू रोडवेज बस सेवा शुरू हुई थी लेकिन उसके बाद निजी बस संचालकों ने अपने राजनैतिक प्रभाव के चलते उनको बंद करवा दी। उसके बाद यहां की जनता रोडवेज बसों का इंतजार कर रही है।
-नही मिलता सरकारी छूट का फायदा
ग्रामीणों का कहना है कि राजस्थान सरकार रक्षा बंधन व कई अन्य त्यौंहारों पर महिलाओं व वृद्धजनों को रोडवेज में नि:शुल्क यात्रा का तोहफा देती है लेकिन क्षेत्र रोडवेज सेवा से वंचित होने के कारण इन अवसरों पर भी महिलाओं व बुजुर्गों को किराया देकर या निजी वाहनों में सफर करना पड़ता है। वहीं कई बार हुए हादसों में दुर्घटनाग्रस्त लोगों को ईलाज भी अपने स्तर पर ही करवाना पड़ता है। निजी बसों में सवारियों की जान सुरक्षित नही है लेकिन मजबुरी वश सवारियां अपनी जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर है।