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जिला कलेक्टर ने लिया ऐसा एक्शन कि लोग बोल रहे है………. कलेक्टर हो तो ऐसा

पैदल ही कार्रवाई के लिए दौड़ पड़ी यह कलेक्टर

जयपुर, राजस्थान की आईएएस टीना डाबी जो बाड़मेर की जिला कलेक्टर है। एक बार फिर अपने दमदार एक्शन को लेकर चर्चा में बनी हुई है। वही पब्लिक बोलने लगी है कि कलेक्टर हो तो ऐसा। बता दे कि टीना डाबी ‘नवो बाड़मेर‘ अभियान से शहर की सूरत बदलने के साथ अब सरकारी कार्यालयों की सूरत भी बदलती हुईं नजर आ रही हैं। इसी क्रम में डाबी ने गुरुवार को अचानक प्राइवेट क्लिनिकों पर छापेमारी कार्रवाई की। यहां के सरकारी डाॅक्टर ड्यूटी टाइम में प्राइवेट तौर पर रोगियों को देख रहे थे। जब इस बात की भनक जिला कलक्टर को लगी तो वो पैदल ही प्राइवेट अस्पताल पहुंच गई, जहां डॉक्टर्स मौजूद थे। यहां जिला कलेक्टर ने दो डॉक्टरों को मौके पर पकड़ लिया। यह डॉक्टर सरकारी अस्पताल में उपस्थिति लगाकर रोगियों का इलाज कर रहे थे। इस अवसर पर टीना डाबी ने दोनों डॉक्टरों को मौके पर पकड़कर उनकी जमकर क्लास लगाई। वही नेहरू नगर के इलाके में चल रहे सद्भावना क्लिनिक पहुंची, जहां सरकारी डॉक्टर रमेश कटारिया अपना प्राइवेट क्लीनिक चलाते है। इस दौरान डॉक्टर मरीज देख रहे थे, तभी कलेक्टर ने पीएमओ से फोन पर बात कर कटारिया की उपस्थिति के बारे में पूछा, जहां पता चला कि डाॅक्टर ने हॉस्पिटल में उपस्थिति दर्ज करवाकर रखी थी। इसी तरह दूसरी टीम के एसडीएम वीरमाराम ने सरकारी अस्पताल के क्वाटर्स में प्राइवेट तौर पर रोगियों को देख रहे डॉक्टर महेंद्र चैधरी को पकड़ा। इस पर टीना ने डॉक्टरों की जमकर खिंचाई की । साथ ही उन्होंने पीएमओ को उनके खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए। वही दो डॉक्टरों के प्राइवेट तौर पर रोगियों को देखने के मामले के बाद कलेक्टर ने हॉस्पिटल का उपस्थिति रजिस्टर चेक किया। इस दौरान उन्होंने रजिस्टर में देखा कि कई डॉक्टर और नर्सिंगकर्मियों के उपस्थित का काॅलम खाली मिले। इसको लेकर उन्होंने पीएमओ को जांच करने के निर्देश दिए। मीडिया से बातचीत के दौरान टीना डाबी ने कहा कि हमारी नजर सभी डॉक्टरों पर बनी हुई है, क्योंकि इसको लेकर कई बार हमारे पास शिकायत आ चुकी है। आपको बता दे कि अमूमन पूरे प्रदेश में ही यही हाल है। सरकारी डॉक्टरो का एक पैर सरकारी अस्पताल में रहता है वही उनका दूसरा पैर और दिमाग प्राइवेट अपने अस्पतालों या पर घर पर मरीज देखने रहता है। लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारियो के औचक निरिक्षण महज खाना पूर्ति के रहते है। सच्चाई से कही न कही अवगत होते हुए वे इसको नेग्लेक्ट ही करते है परन्तु टीना ढाबी दृढ़ता से वहा हालातो को बदलने में जुट चुकी है।

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