झुंझुनू में नही मिली भाजपा के दोनों परंपरागत वोट बैंक को एक भी सीट
झुंझुनू, आचार संहिता लगने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने अपने 41 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी। इसी में झुंझुनू जिले से चार विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। जिनमें से एक भी उम्मीदवार जातिगत रूप से देखा जाए तो सैनी और ब्राह्मण समाज का नहीं है। यह दोनों जातियां भारतीय जनता पार्टी की मूल वोटर मानी जाती है। इस बार ब्राह्मण समाज भी मजबूती के साथ अपनी झुंझुनू जिले में एक सीट के लिए दावेदारी कर रहा था। वहीं सैनी समाज को तो सात विधानसभा सीटों में से एक सीट दी जाती रही है। लेकिन इस बार सैनी और ब्राह्मण समाज दोनों के ही खाली हाथ रहना तय माना जा रहा है। क्योंकि जो शेष तीन सीटे बची हैं जिनमें खेतड़ी से गुर्जर समाज और सूरजगढ़ से जाट समाज के नेताओं को जहां भाजपा में टिकट मिलना तय माना जा रहा है। वही पिलानी विधानसभा क्षेत्र की जो सीट है वह आरक्षित है। जिसके चलते अब यह लगभग तय हो चला है कि इनमें से सैनी समाज और ब्राह्मण समाज को कोई भी टिकट भारतीय जनता पार्टी द्वारा इस बार चुनाव में नहीं दी जाएगी।
वही इन दोनों समाजों के जो खाली हाथ भारतीय जनता पार्टी ने छोड़े हैं उसको देखकर लगता है कि सैनी समाज और ब्राह्मण समाज को भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के हाथ के भरोसे छोड़ दिया है, क्योंकि नवलगढ़ विधानसभा क्षेत्र से डॉक्टर राजकुमार शर्मा का नाम तय माना जा रहा है वही संभावना यह भी है कि उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र से सैनी समाज का उम्मीदवार कांग्रेस मैदान में उतार दे। हालांकि सैनी समाज का उम्मीदवार यदि कांग्रेस से उतरा जाता है तो इसका सीधा-सीधा नुकसान भाजपा के प्रत्याशी शुभकरण चौधरी को होगा वही हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के घोर विरोधी हो रहे बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढा को फायदा होगा। यदि सैनी समाज को कांग्रेस यहां से प्रत्याशी नहीं भी बनाती है तो भी कोई ज्यादा बड़ा गलत मैसेज समाज में नहीं जाएगा क्योंकि कांग्रेस ने माली समाज के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को तीन बार पद से नवाजा है वही चौथी बार भी यदि कांग्रेस की सरकार आती है तो अशोक गहलोत ही इसमें मुख्यमंत्री पद के बड़े दावेदार होंगे, इसमें कोई दो राय नहीं है।
वही इस पूरी स्थिति पर नजर डाली जाए तो इसमें भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए जो ब्राह्मण और सैनी समाज के पदाधिकारी या नेता हैं इनकी भी इसमें बड़ी कमी रही है। वही ब्राह्मण समाज और सैनी समाज के जो जातिगत संगठन झुंझुनू में उनके जो पदाधिकारी हैं उन्होंने भी अपनी समाज की उपस्थिति को मजबूती के साथ भाजपा में इस बार नहीं रखा। जिसके चलते यह हालत देखने को मिले हैं। वही झुंझुनू में यदि भाजपा के द्वारा सैनी समाज को एक भी टिकट नहीं दी जाती है तो इसके पीछे भाजपा जिला अध्यक्ष पवन मावंडिया और झुंझुनू की जन चेतना रैली की भी बड़ी विफलता साबित होगी क्योंकि भाजपा जिला अध्यक्ष के रूप में काम करने के बावजूद भी पवन मावंडिया सैनी समाज को अपने साथ साधने में नाकाम साबित हुए हैं, यही सन्देश जायेगा। वही झुंझुनू की जो सैनी समाज की जन चेतना रैली थी उसको भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रायोजित माना जा रहा था और इसके मंच पर ज्यादातर भाजपा के लोग ही दिखाई पड़ रहे थे लेकिन इस रैली में भी कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को किनारे करने का प्रयास किया गया था।
उसका सैनी समाज के लोगों ने मुंहतोड़ जवाब दे दिया और इस पूरी रैली में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जिंदाबाद के नारे जबरदस्त तरीके से देखने को मिले थे जिसके चलते मीडिया में खबरें भी चली थी की सैनी समाज की रैली कोई भी हो लेकिन उसके जननायक तो मुख्यमंत्री गहलोत ही होंगे। बहरहाल भाजपा के सैनी और ब्राह्मण समाज दोनों ही परंपरागत वोट बैंक माने जाते हैं लेकिन इन दोनों ही जातियों को यदि भाजपा ने खाली हाथ छोड़ा है तो इनके खाली हाथ को थामने के लिए कांग्रेस पार्टी का हाथ तैयार खड़ा है। क्योंकि ब्राह्मण समाज के कांग्रेस नेता डॉ राजकुमार शर्मा को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार अपने कार्यकाल में मंत्री बनाया था वहीं दूसरी बार उनको मुख्यमंत्री सलाहकार नियुक्त किया गया था। ऐसी स्थिति में यदि भाजपा के दोनों परंपरागत वोट बैंक यदि कांग्रेस की तरफ खीसकते हैं तो झुंझुनू की सातों सीटों से भाजपा को सुखद परिणाम देखने को नहीं मिलेंगे। क्योंकि सातों विधानसभा सीटों पर यदि भाजपा का यह परंपरागत वोट बैंक थोड़ा-थोड़ा करके भी खीसकता है तो कांग्रेस को इसका बड़ा फायदा मिलना भी लगभग तय माना जा रहा है।