68 साल के इंतजार के बाद राजस्थान टीम ने रचा इतिहास 17 वर्षीय छात्रा वर्ग में टीम ने पहली बार सिल्वर मेडल जीता
रतनगढ़, [सुभाष प्रजापत ] राज्य की हैंडबॉल टीम ने राष्ट्रीय स्कूली हैंडबॉल चैम्पियनशिप में नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। 68 साल के लंबे इंतजार के बाद टीम ने 17 वर्षीय छात्रा वर्ग में सिल्वर मेडल जीता, जो बड़ी उपलब्धि है।खास बात है कि इस टीम में चूरू की बेटी राजकंवर चौहान ने अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन करते हुए टीम की जीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया। बता दें कि महबूबनगर (तेलंगाना) में आयोजित 68वीं राष्ट्रीय विद्यालयी हँडबॉल प्रतियोगिता (17 वर्ष, छात्रा/छात्रा) वर्ग में राजस्थान ने इतिहास रचते हुए छात्रा वर्ग में पहली बार सिल्वर मेडल अपने नाम किया है। सेमीफाइनल मैच में राजस्थान ने गुजरात को 16-14 से पराजित करते हुए फाइनल में प्रवेश किया। फाइनल मैच में राजस्थान की टीम कड़े मुकाबले में तेलंगाना से 14-11 से पराजित हुई। वहीं, छात्र वर्ग में भी राजस्थान ने चौथा स्थान प्राप्त किया। इस चैम्पियनशिप के लिए राजस्थान की टीम का ट्रायल लालगढ़ जाटान में हुआ था। यहां प्रदेश की चयनित खिलाड़ियों ने दमखम दिखाते हुए टीम में अपना स्थान पक्का किया था।
राजस्थान की टीम की जीत पर हैंडबॉल प्रदेश उपाध्यक्ष शशि गौड़, जिला उपाध्यक्ष संतोष बाबू इंदौरिया, साई सेंटर के संस्थापक प्रधानाचार्य प्रभारी कुलदीप व्यास, सेवानिवृत शारीरिक शिक्षक रवि गौड़, बाल साध्वी हेमलता बाईराम, साई सेंटर इंचार्ज अयूब खान, शिवाराम मेघवाल आदि ने शुभकामनाएं प्रेषित की।
चूरू की बेटी राजकंवर चौहान पर एक नजर महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय लोहा हैंडबॉल साई सेंटर पर पिछले 4 साल से कड़ी मेहनत करते हुए हैंडबॉल सीख रही राजकंवर पुत्री सुरेंद्र सिंह ने राजस्थान की टीम में राइट विंग पोजीशन पर रह आक्रामक खेल दिखाया। चूरू का लोहा हैंडबॉल का हब बना, 70 खिलाड़ी ट्रेनिंग ले रहे है रोजाना लोहा गाँव देशभर में हैंडबाल में ख्याति प्राप्त है। इस गांव ने हैंडबॉल में प्रदेश ही नहीं देश में अलग पहचान बना ली है। कोच सुमन पूनिया बताती हैं कि वर्तमान में यहां करीब 70 से अधिक खिलाड़ी रोजाना हैंडबॉल की प्रैक्टिस कर रही हैं। इस गांव के साई सेंटर से सैंकड़ों खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा दिखाते हुए कैरियर को संवारा है और अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। हैंडबॉल की भारतीय टीम में शारदा कंवर और माया जाट विदेश में भी अपनी प्रतिभा दिखा चुकी है। यहां खिलाड़ी प्रतिदिन सुबह-शाम अभ्यास करने के लिए ग्राउंड पर आते हैं। कोच पूनिया बताती हैं कि गांव के 30 से अधिक युवाओं को हँडबाल की वजह से सरकारी नौकरियां भी मिल चुकी है। इस गांव से 10 से ज्यादा शारीरिक शिक्षक हैं।