केन्द्र की हर योजना पर हंगामा खड़ा करना षड्यंत्र तो नही
अग्निपथ योजना को लेकर एक पक्ष
जयपुर, [वर्षा ] देश में एक बार फिर केन्द्र सरकार की एक योजना को लेकर हंगामे जैसे हालात हैं और हर बार की तरह इस बार भी बिना जाने, बिना समझे और बिना गहराई में गए सिर्फ सुनी-सुनाई बातों को लेकर हंगामा किया जा रहा है। यह हंगामा सेना में भर्ती की अग्निपथ योजना को लेकर है और जो सबसे बडी आपत्ति की जा रही है, वह यही है कि इस तरह की योजना ला कर केन्द्र सरकार ने ना सिर्फ युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड किया है, बल्कि देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड कर रही है। जबकि वास्तविकताओं में इस योजना में बहुत कुछ ऐसा है, जिस पर कोई भी चिंतन या मननशील युवा विचार करेगा तो पाएगा कि यह योजना सम्भावनाओं के नए द्वार खोलेगी।
सबसे पहले तो इस गलतफहमी को दूर किया जाना चाहिए कि इस तरह की कोई योजना पहली बार सेना में लाई गई है। देश की सेना में शार्ट सर्विस कमीशन ऑफिसर योजना पहले से लागू है और वर्षो से लागू है। यह योजना सेना में अधिकारी स्तर पर युवाओं की भर्ती के लिए लाई गई थी और शुरूआत में इस योजना के तहत भी पांच साल के लिए भर्तियां की गई थी। जिसमें आगे फिर सेवा विस्तार दिया जाता था। अब इस योजना में दस साल के लिए भर्ती की जाती है जिसे चार साल और बढाया जा सकता है।
अब कांग्रेस या अन्य विपक्षी दल जो अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे हैं उन्हें पहले इस बात का उत्तर देना चाहिए कि उनकी सरकार के समय भी शॉर्ट टर्म सर्विस कमीशन ऑफिसर्स योजना चल रही थी तो क्या तब उन्हें यह नहीं लगा कि सेना में छोटी अवधि के लिए भर्ती की यह व्यवस्था युवाओं या देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड है और सेना में सिर्फ परमानेंट कमीशन होना चाहिए। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह योजना अधिकारियों के लिए है जो जवानों से ज्यादा अहम पद है, जहां उन्हे निर्णय करने होते हैं। ऐसे में क्या यह दोहरा मापदण्ड नहीं है कि अधिकारियों के लिए तो शार्ट टर्म सर्विस को सही माना जा रहा है और जवानों के लिए उसी योजना को गलत मान कर युवाओं को भ्रमित किया जा रहा है।
शार्ट टर्म सर्विस कमीशन ऑफिसर्स योजना में आज भी बडी संख्या में युवा जाते हैं, क्योंकि इससे उन्हें आगे कॅरियर में बेहतर अवसर मिलते हैं और अब तो सरकार ने इसे और बेहतर बना दिया है। ऐसे में क्या हमें यह भरोसा नहीं करना चाहिए कि जैसे शॉर्ट टर्म सर्विस कमीशन ऑफिसर्स योजना में बदलाव कर उसे बेहतर बनाया गया, वैसे ही समय पर इस अग्निपथ योजना में जो भी कमियां सामने आएंगी, उन्हें दूर कर बेहतर बना दिया जाएगा।
अग्निपथ योजना कैसे खोलेगी सम्भावनाओं के नए द्वार
अग्निनथ योजना का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह ऐसी आयु में युवाओं को सेना से जुडने का अवसर दे रही है जो उनके जीवनकाल का सबसे अहम समय होता है। आयु के इस दौर में यदि सही गाइडेंस और दिशा मिल जाए तो भविष्य अपने आप सुरक्षित और बेहतर हो सकता है और इसके लिए सेना से बेहतर जगह क्या हो सकती है जहां ना आपको सिर्फ शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत बनाया जाता है, बल्कि जीवन में अनुशासन और देश के प्रति समर्पण की भावना भी पैदा की जाती है। इंग्लैंड जैसे देश में तो 18 वर्ष की उम्र के बाद चार वर्ष सेना में जाना हर युवा के लिए अनिवार्य होता है और इसके पीछे सबसे बडा उद्देश्य यही है कि देश के युवा अनुशासित और देश के लिए समर्पित बने।
हमारे यहां इसे सबके लिए अनिवार्य नहीं किया जा रहा है। यह वैकल्पिक है। ऐसे में जो लोग किसी दूसरे क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाना चाहते है, उनके लिए दूसरे क्षेत्र खुले है और उनमें जाने पर कोई पाबंदी नहीं है लेकिन जो लोग सेना में आना चाहते है या मान लीजिए कि किसी भी कारण से पढाई आगे जारी नहीं रख पा रहे है, उनके लिए इससे बेहतर विकल्प नहीं हो सकता है।
इसका कारण यह है कि चार साल में उन्हें ना सिर्फ सेना की उच्चस्तीय फिजिकल ट्रेनिंग मिलेगी, बल्कि दिमागी तौर पर स्वयं को मजबूत करने का मौका भी मिलेगा जो भविष्य में एक बेहतर चुनने के लिए बहुत उपयोगी रहेगा।महत्वपूर्ण बात यह है कि युवा 21 वर्ष या अधिक से अधिक 25 वर्ष की आयु में सेना से बाहर आ जाएंगे। यानी अपने कॅरियर में आगे बढने के लिए उन्हें अभी भी पर्याप्त समय मिलेगा। यदि वे सरकारी नौकरी में जाना चाहते हैं तो स्नातक स्तर की पढाई पूरी कर उसके लिए प्रयास कर सकते हैं, क्योंकि ज्यादातर सरकारी नौकररियों में अधिकतम आयु सीमा 28 से 30 वर्ष होती है। आरक्षित वर्ग के युवाओं के लिए तो यह आयुसीमा और भी ज्यादा होती है।
वहीं यदि किसी प्राइवेेट जॉब में जाना चाहते है तो उसके लिए भी उनके पास पर्याप्त समय रहेगा, क्योंकि ज्यादातर कम्पनियां 30 वर्ष तक की आयु के युवाओं को आसानी से भर्ती कर लेती हैं और यदि कम्पनी को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत तथा सेना की ट्रेनिंग किया हुआ कर्मचारी मिले तो कम्पनियां उसे निश्चित रूप से प्राथमिकता देंगी। सरकार पहले ही यह घोषित कर चुकी है कि जो अग्निवीरों को कार्यकाल पूरा होने के बाद 12वीं कक्षा उत्तीर्ण के समकक्ष माना जाएगा, यानी सेना से बाहर आने के बाद वे उच्च शिक्षा के लिए प्रयास करना चाहते हैं, तो उन्हें दिक्कत नहीं आएगी। जो युवा सेना से निकल कर स्वयं का रोजगार करना चाहते है, उनके लिए यह बहुत अच्छी योजना सिद्ध होेगी। इसका सबसे बडा कारण यह है कि जब वे चार वर्ष का कार्यकाल पूरा कर सेना से बाहर आएंगे, तो वे ठीक-ठाक पैसा कमा चुके होंगे और इसके अतिरिक्त उन्हें लगभग 12 लाख रूपए मिलेंगे। यह राशि उन्हें अपना कोई भी काम शुरू करने में मदद करेगी और उन्हें अपने माता-पिता या सरकार से आर्थिक सहायता की आवश्यकता नहीं होगी। सेना में मिली ट्रेनिंग और अनुशासन उन्हें अपना काम जमाने में मदद करेंगे।
बहुत से लोग इस बात की आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि सेना में हथियार चलाने की ट्रेनिंग ले कर आना वाले युवा को रोजगार नहीं मिला तो वे समाज के लिए संकट बन सकते हैं, लेकिन इस तरह की आशंका खडी करने वालों को पहले इस बात का उत्तर देना चाहिए कि हर वर्ष जो सैनिक सेना में अपनी सेवा पूरी कर वापस लौटते हैं, उनमें से कितन आज तक समाज के लिए संकट बने हैं? ये सैनिक तो ऐसी आयु में रिटायर होते है, जब आयु के लिहाज से अवसर बहुत ज्यादा बचते भी नही हैं। इसके बावजूद कोई पूर्व सैनिक समाज के लिए परेशानी बना हो, ऐसी सूचनाएं सुनने को नहीं मिलती है, उलटे ये पूर्व सैनिक समाज के लिए प्रेरणास्रोत के रूप में काम करते हैं।
हंगामा भी एक एजेंडा का हिस्सा।
दरअसल देश भर में फैला हुआ हंगामा भी अब एक एजेंडा का हिस्सा लग रहा है। इसका सबसे बडा कारण यह है कि योजना लांच होते ही इसका विरोध शुरू हो गया। आज भी सडकों पर जमा ज्यादातर युवाओं को इस योजना के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। उन्हें जैसा बताया जा रहा है, वो उसी को सच मान कर सडकों पर उतर आए हैं और विपक्षी दल इस आग को भडकाने में लगे हुए हैं। ऐसा पहले सीएए के समय किया जा चुका है। उसके बाद कृषि बिलो के समय किया जा चुका है और अब अग्निपथ योजना के समय किया जा रहा है। जरूरत इस बात कि है कि युवा इस योजना को जानें और समझें और इसके बाद यदि कोई कमियां है तो उसे सरकार तक पहुंचाए। किसी भी योजना में सुधार की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है जैसा शॉर्ट टर्म सर्विस कमीशन ऑफिसर स्कीम में किया गया और इस अग्निपथ योजना में भी जब आयु सीमा बढाने की बात आई तो सरकार ने पहली बार के लिए इसे 21 से बढा कर 23 वर्ष कर दिया। यह प्रक्रिया आगे भी जारी रह सकती है, लेकिन पहले एक बार इसे लागू तो होने दीजिए।