चुरूताजा खबर

बिस्सा की शहादत साध्य और साधन की पवित्रता का उत्कृष्ट उदाहरण – दाधीच

बिस्सा के स्मृति दिवस पर अर्पित की गई श्रद्धांजलि

चूरू, भारत की आजादी आंदोलन अनेक मोर्चों पर लड़ा लाने वाला दुनिया का सबसे बड़ा अहिंसक आंदोलन था। इस आंदोलन में अनेक युवाओं ने स्वयं की जवानी देश के लिए कुर्बान की। महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक बड़े वर्ग ने छोटी-छोटी बातों को अंगीकार कर देश सेवा का संकल्प लिया। उसी संकल्प के बड़े प्रकल्प थे स्वतंत्रता सेनानी बालमुकुंद बिस्सा। सेनानी बिस्सा के साधन और साध्य दोनों पवित्र थे और उसी पवित्रता से उन्होंने आत्मोत्सर्ग किया। भारत की आजादी के पचहत्तरवें वर्ष आयोजन शृंखला में जिला प्रशासन और महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति की ओर से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग एवं अहिंसा प्रकोष्ठ के सौजन्य से रविवार को स्थानीय महाविद्यालय स्तरीय आवासीय छात्रावास सभागार में स्वतंत्रता सेनानी बालमुकुंद बिस्सा स्मृति दिवस आयोजन में बतौर मुख्य वक्ता बोलते हुए शिक्षाविद् रविप्रकाश दाधीच ने व्यक्त किए। दाधीच ने कहा कि पीलवा-डीडवाना में जन्मे बिस्सा का खादी के प्रचार-प्रसार के साथ ही तत्कालीन मारवाड़ में आजादी की अलख जगाने का काम निःसंदेह एक बडे मिशन का नायाब उदाहरण है। दाधीच ने कहा कि अतीत का अनुभव और वर्तमान की चुनौती समझते हुए हमें बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में योगदान देते हुए देशभक्ति के नवीन मार्गों को नापना है।

महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के चूरू उपखंड संयोजक रियाजत अली खान ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी बिस्सा ने जवाहर खादी प्रकल्प के माध्यम से जहां स्वदेशी वस्त्रों के यज्ञ में अपनी आहुति दी, वहीं जयनारायण व्यास के साथ कंधा से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता के स्वरों को वाणी दी। जेल में भी बेहतर भोजन की मांग और आमरण अनशन का संकल्प बिस्सा की अमर कुर्बानी की दास्तान है। इस अवसर पर छात्रवास की पूनम चौधरी, पूजा कुमारी, रिंकू, देवकी, निशा, पूजा, ममता, अनूप, लिम्का, सोनू, प्रियंका, मंजू सहित छात्राएं एवं स्टाफ मौजूद रहा। धन्यवाद अहिंसा प्रकोष्ठ के सह-प्रभारी दयापाल सिंह पूनिया ने दिया। संचालन महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के जिला संयोजक डॉ. दुलाराम सहारण ने किया।

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